पटना ब्यूरो। प्रतिभाएं किसी की मोहताज नहीं होती। अपना रास्ता स्वयं बना लेती है। ऐसा ही कर दिखाया है पटना की अंशु ने। पटना की 16 वर्षीय अंशु ने फिलिपींस में देश का मान पदक जीतकर बढ़ाया है। एक ओर जहां आज पटना वापसी पर ढोल नगाड़े के साथ उसका स्वागत किया गया। वहीं आज से कुछ दिन पहले तक उसके पास इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए पैसे तक नहीं थी। डीएम— सीएम से गुहार लगाने के बाद भी आर्थिक मदद न मिलने के बाद राज्यपाल ने उसकी प्रतिभा को पहचाना और उसे प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए मदद की। उसने राज्यपाल व राज्य से जो वायदा किया। उसे पूरा किया, स्वर्ण पदक के साथ रजत भी जीता। पढ़े रिपोर्ट
कराटे में जीत चुकी है मेडल
फिलीपींस में संपन्न हुए 17 वें अर्निश विश्व स्तरीय चैंपियनशिप में बिहार की अंशु का चयन हुआ था। यह प्रतियागिता 22 से 28 जुलाई तक आयोजित की गई थी। इससे पहले अंशु ने 2022 में इसी प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता था। इस प्रतियोगिता में 48 देशों के खिलाड़ियों ने प्रतिभाग किया था। भारत से 10 खिलाड़ी का चयन हुआ, जिनमें हरियाणा और जम्मू कश्मीर के साथ बिहार की अंशु भी शामिल रही। अंशु ने इससे पहले कोलकाता में 2019 में कराटे में स्वर्ण पदक, 2020 में जापान में कराटे में स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं। यही नहीं कई राष्ट्रीय स्तर पर भी पदक जीता है। 2023 में आयोजित खेलो इंडिया यूथ गेम्स में अंशु ने बिहार का प्रतिनिधित्व किया था। 2024 में नेपाल में आयोजित अंतरराष्ट्रीय गटका चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था।
एयरपोर्ट पर हुआ भव्य स्वागत
फिलिपींस से पटना पहुंची अंशु का पटना एयरपोर्ट पर जमकर स्वागत हुआ। वहीं, अंशु ने कहा कि उन्होंने वादा किया था कि इस बार गोल्ड जीत कर लाएगी। अंशु ने अपना वादा पूरा किया। वहीं कोच संजय कुमार ने भी कहा कि इस बार देश का नाम गौरवान्वित हुआ है। अंशु ने बिहार सरकार से आर्थिक मदद की गुहार भी लगाई थी।
राज्यपाल ने की थी मदद
अंशु ने बताया कि कई बार देश के बाहर होने वाले गेम्स में जाने के लिये पैसे नहीं होते हैं तो काफी परेशानी होती है। हालांकि अंशु को इस बात का मलाल है कि कई अंतरराष्ट्रीय पदक जीतने के बाद भी बिहार सरकार या केंद्र सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिल पाती है। देश भर से 10 खिलाड़ियों का चयन हुआ था। इसमें बिहार की बेटी अंशु बिहार से एकमात्र थी। अंशु ने राज्यपाल से आर्थिक मदद की गुहार लगाई थी और राजभवन से जांच होने के बाद डेढ़ लाख रुपये की सहायता अंशु को इस बार मिली है। अंशु के कोच संजय सिन्हा ने कहा कि यह सहायता बहुत मायने रखती है और इससे खिलाड़ी और अन्य खिलाड़ियों को प्रेरणा मिलेगी। यह सहायता बताती है कि सरकार खिलाड़ियों का सम्मान करती है और उन्हें मदद देने के लिए हमेशा तैयार रहती है। अंशु ने कई स्तरों पर मदद के लिए कोशिश की थी, लेकिन उसे बार-बार केवल आश्वासन ही मिल रहा था।
ओलंपिक में पदक जीतना है सपना
अंशु पढ़ाई के साथ-साथ खेलों में रुचि रखती है। उसका सपना ओलंपिक में पदक जीतना है। गया के सिमरौर गांव की है। अंशु के दादाजी रामस्वरुप प्रसाद ने कहा कि मुझे बहुत गर्व होता है कि मेरी पोती बिहार एवं देश का नाम रोशन कर रही है। सरकार से उम्मीद है कि वह आगे भी मदद करेगी।