पटना ब्‍यूरो। भारतीय रेलवे ने ट्रेनों की स्पीड बढ़ा दी है। टै्रक मजबूत कर दिया। मगर, ट्रेनों की समय सारणी आज भी दशकों पुरानी ही चल रही है। पटना से गया जाने में जिस ट्रेन को 2 घंटे का वक्त लगना चाहिए उसे तीन घंटे लग रहे हैं। इसी तरह सोनपुर से पाटलिपुत्र जंक्शन आने में 30 मिनट की जगह डेढ घंटे लग रहे हैं। कई बार दूसरे जिलों से सफर कर पटना जंक्शन आने वाले और पटना जंक्शन से यात्रा की शुरुआत करने वाले यात्रियों की ट्रेन बीच मेें या आउटर पर ही रुक जाती है। कई बार तो एक घंटे से ज्यादा समय के लिए गाड़ी खड़ी हो जाती है। ये कोई एक-दो ट्रेन की बात नहीं है। गया की तरफ से आने वाली ट्रेन सिपारा आउटर, दानापुर और राजेन्द्र नगर आउटर की तरफ से आने वाली ट्रेन आर ब्लॉक के पास अक्सर रुकती है। इसी तरह तरह सोनपुर की तरफ से आने वाली ट्रेन पाटलिपुत्र जंक्शन से 300 मीटर पहले ही रुक जाती है। कई बार रात के समय में तो यात्रियों का सामान भी गायब हो जाता है। इसकी शिकायत पिछले कई दिनों से मिल रही थी। पड़ताल के दौरान पता चला कि प्लेटफॉर्म खाली होने के बाद भी रेलवे की ओर से सिग्नल मिलने में देरी होती है। इस दौरान ट्रेन आउटर पर रुकी रहती है। उधर, प्लेटफॉर्म पर ट्रेन के इंतजार में यात्री परेशान होते रहते हैं। पढि़ए रिपोर्ट

सुपरफास्ट व नन स्टॉप ट्रेन को निकालते हैं पहले
नाम न छापने की शर्त पर रेलवे के एक लोको पायलट ने बताया कि आउटर पर ट्रेन कई वजह से रुकती है। कई बार प्लेटफॉर्म खाली नहीं होने की वजह से रुकती है। कई बार प्लेटफॉर्म तो खाली रहती है मगर, सिग्नल मिलने में देरी होने पर आउटर पर ट्रेनें खड़ी रहती हैं। तो कई बार जिस प्लेटफॉर्म पर ट्रेन को जाना होता है उस प्लेटफॉर्म से अगर कोई सुपर फास्ट ट्रेन पहुंचने वाली होती है या नन स्टॉप ट्रेन को गुजरना होता है। ऐसे स्थिति में ट्रेन आउटर पर रोक दिया जाता है। नन स्टॉप ट्रेन को पहले सिग्नल मिलता है। स्टेशन से गुजरने के बाद आउटर पर खड़ी ट्रेन को सिग्नल मिलता है।

आधे घंटे ज्यादा खड़ी रहती है प्लेटफॉर्म पर
पटना से गया जाने वाले यात्री अर्जुन ने बताया कि सुबह 4.30 बजे पटना से गया के लिए ट्रेन चलती है। गया के बेला गंज स्टेशन पर 6.30 बजे पहुंच जाती है। इसके बाद 30 मिनट तक प्लेटफॉर्म पर खड़ी रहती है। क्योंकि निर्धारित समय से पहले स्टेशन पहुंचने की वजह से ट्रेन रुकी रहती है। इस दौरान यात्री परेशान होते हैं। यात्रियों ने बताया कि रेलवे ने ट्रेनों की गति बढ़ा दी है, ट्रैक भी मजबूर कर दिया है। मगर, समय सारण में बदलाव नहीं होने की वजह से ट्रेनों को गंतव्य तक पहुंचने में आज भी समय ज्यादा लग रहा है।

केस 1
आउटर से होता है सामान चोरी
पिछले माह मुगलसराय से पटना आने वाले यात्री संतोष ने बताया कि मगध एक्सप्रेस अपने निर्धारित समय पर पटना पहुंची। आर ब्लॉक के पास पहुंचने पर सिग्नल नहीं होने के चलते ट्रेन खड़ी हो गई। तकरीबन 15 मिनट तक ट्रेन यहीं खड़ी रही। ट्रेन जैसे ही खुली तो देखा बैग गायब है। हालांकि बैग में एक जोड़ी पुराने कपड़ा ही था। इसलिए एफआईआर भी नहीं कराए है। मगर आउटर पर सुरक्षित नहीं है।

केस 2
ट्रेन में पकड़ा गया चोर
राजीव नगर निवासी अशोक चौधरी बीते दिसंबर माह में जहानाबाद से पटना आ रहे थे। ट्रेन रात में आठ बजे के आसपास सिपारा आउटर पर रुकी। इस दौरान बगल में बैठे दो अज्ञात लोग बैग लेकर भागने लगे। हल्ला करने पर ट्रेन में मौजूद सिपाही ने पीछा किया तब तक ट्रेन खुल गई। सिपाही को आते देख बैग छोड़कर चोर ट्रेन से कूद गया।


बिना वजह के ट्रेन नहीं रुकती है। प्लेटफॉर्म खाली होने के बाद भी आउटर पर ट्रेन रुकती है तो टेक्निकल वजह रही होगी। अगर लगातार रुक रही है तो पता करवाता हूं क्या कारण है।
- सरस्वतीचन्द्र, सीनियर डीसीएम, दानापुर रेल डिवीजन


अक्सर-पटना से गया और गया से पटना आना जाना लगा रहता है। ट्रेन आउटर सिग्नल पर कई मिनट तक खड़ी रहती है। इस व्यवस्था को दुरुस्त करने की जरुरत है।
- हीरा लाल यादव, यात्री

दानापुर रेल मंडल की ट्रेन का कोई टाइम नहीं है। निर्धारित समय से 30 मिनट पहले पहुंचकर आउटर पर पहुंच जाती है, तो कभी स्टेशन पर पहले पहुंचकर रुक जाती है। इसे सुधारने की जरूरत है।
- इंद्राप्रसाद, यात्री


कई बार आउटर पर रुकने की वजह से ट्रेन में चोरी की घटनाएं हुई हैं। कई बार सफलता मिली है। सभी ट्रेनों में अगर सिपाही की ड्यूटी लगेगी तो चोरी की घटनाओं में कमी आएगी।
- अंजना रानी, यात्री