असुरक्षित हैं बेटियां 
हमेशा एक समुचित वातावरण बनाने की बात कही जाती है। लेकिन, सच है कि पूरी दुनिया में 98 प्रतिशत हिंसा घर और चहारदीवारी के भीतर ही होती है। एक सर्वे में करीब 56 प्रतिशत पुरुषों ने भी माना है कि हां, घर में ही हिंसा होती है।  यह बातें जेंडर रिसोर्स सेंटर के प्रिंसिपल कंसल्टेंट आनंद माधव ने अपने संबोधन में कही। छात्राओं द्वारा पूछे  गए सवालों के बाद उन्होने कहा कि जिस देश में नारियों की पूजा होती है। पर क्या चंद दिनों की पूजा कर लेने से उनका सम्मान हो जाता है? यह एक चिंताजनक तथ्य है कि हमारा समाज एक आदर्श समाज नहीं है.

सदाचार को दें महत्व 
पटना सेंट्रल स्कूल के संस्थापक एवं शिक्षाविद आचार्य सुदर्शन महाराज ने कहा कि आज की परिस्थितियों में पढ़ाई से अधिक सदाचार को महत्व देने की जरूरत है। उन्हें गुड टच, बैड टच के बारे में बताने की जरूरत है। गलत काम वही करता है जो अंधकार में रहता है। जितने भी बुरे कर्म हैं, वे अंधेरे में ही होते हैं। हमलोगों को आध्यात्म चिंतन करना चाहिए। जब हमें यह बोध हो जाए कि हम हमलोग साधारण नहीं है और गलत काम नहीं कर सकते हैं, तभी जागरण होगा.

'भोर' में दिखा महिला हिंसा का दर्द 
कार्यक्रम में चर्चित शॉर्ट फिल्म मेकर श्रुति अनंदिता वर्मा की 'भोरÓ छात्राओं के समक्ष प्रदर्शित की गई। यह फिल्म इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के दौरान 700 फिल्मों में बेस्ट फिल्म के रूप में चुनी गई थी। इस फिल्म में विभिन्न महिला पात्रों की कहानी में उनके साथ हुए शारीरिक प्रताडऩा की पीड़ा और अंत में इसके खिलाफ चुप्पी तोडऩे वाली घटना को भी बखूबी फिल्माया गया है। श्रुति अनंदिता वर्मा ने कहा कि हर महिला को दुव्र्यवहार के खिलाफ चुप नहीं रहना है, आवाज उठाएं .


सवालों से गूंजा हॉल 
श्रुति अनंदिता वर्मा की स्क्रीन की गई फिल्म 'भोरÓ के बाद पटना सेंट्रल स्कूल की छात्राओं ने इसके बारे में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। इस दौरान सभी ने माना कि इस फिल्म में दिखायी गई दर्दनाक कहानियां समाज में अविरल रूप से मौजूद है। इसके बाद चाइल्ड काउंसलर, राइटर एवं सोशल वर्कर डॉ। पूजा त्रिपाठी ने महिला हिंसा को लेकर बच्चों के सवाल लिए और उन्हें कई बातें भी सुझाई। छात्राओं ने बढ़ चढ़कर और उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया.

सुनाई दर्द भरी दास्तां
कार्यक्रम के दौरान महिला हिंसा की कई सच्ची घटनाओं को विभिन्न लोगों ने शेयर किया। सीनियर कंसल्टेंट (जीआरसी) शांति आनंद ने अपने ही एक चाचाजी की बेटी की समस्या का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि उनके यूके के एक चाचाजी की बेटी स्कूल से जब समय से पहले घर लौटने लगी तो उनके पिता को बड़ी हैरानी हुई। वे सोचने लगे कि आखिर कैसे वह पहले आ रही है। बेटी से पूछने पर पता चला कि रास्ते में कुछ लफंगे लड़कियों को छेड़ते थे। वह इससे बचने के लिए दूसरे रास्ते से लौटती थी। वहीं, श्रुति अनंदिता वर्मा ने बताया कि उनकी फिल्म को मुम्बई में जब बेस्ट फिल्म का अवार्ड मिला तो उसी दौरान एक महिला ने स्टेज पर आकर एक वहां मौजूद एक प्रोफेसर पर सात साल तक जबरन शारीरिक संबंध बनाने की बात कही।  छात्रा दीक्षा ने अपनी एक सहेली की आपबीती शेयर की। कहा कि उसके मौसेरे भाई ने ही उसका शारीरिक शोषण किया था। पेरेंट्स ने काउंसलिंग कराई फिर भी वह गुमशुम रहने लगी। जबकि पेरेंट्स ने मौसेरे भाई के परिवार से कभी इसका जिक्र नहीं किया.

ऑनलाइन अब्यूज हो तो करें शिकायत
स्कूल की छात्रा नमिता ने सवाल किया कि जब कोई ऑनलाइन अब्यूज करे तो क्या करें। इसका जवाब देते हुए चाइल्ड काउंसलर पूजा त्रिपाठी ने कहा कि यह साइबर एक्ट के अंतर्गत आता है। इसमें 48 घंटे के अंदर कार्रवाई की जाती है और महिला पुलिस की सुरक्षा भी प्रदान की जाती है। इसी प्रकार, पूजा ने अन्य छात्राओं के सवालों का जवाब दिया.

'ना'कहना सीखें
लड़कियां खुद हिंसा के खिलाफ आवाज उठाएं 
दुव्र्यवहार करने वाला स्वंय डरा होता है, लड़कियों को डरने की जरूरत नहीं 
'ना' कहने की हिम्मत रखें, 'नाÓ का मतलब ना ही होता है 
हिंसा की स्थिति में किसी रिलेशन की परवाह बिल्कुल न करें 
सिर्फ अपना बचाव ही नहीं विरोध का भी तरीका जानें 
दुव्र्यवहार करने वाला कोई भी हो, आपको उसे मारने की हिम्मत भी होनी चाहिए
ड्रेसिंग सेंस को लेकर परवाह करने की जरूरत नहीं

हमेशा मर्यादा का पाठ लड़कियों को ही क्यों पढ़ाया जाता है। लड़कों को क्यों नहीं यह बताया जाता है?
- आकृति 

जब लड़कियां लड़कों से बात करती है तो उनके कैरेक्टर पर सवाल किया जाता है। आखिर ऐसा क्यों है?
- रोशनी

रिलेटिव ही कुछ गलत करे और शिकायत पेरेंट से लड़की करे तो वे रिलेशन खराब हो जाने की बात क्यों कहते हैं?
- शिखा 

आखिर हर बार लड़कियों को ही ब्लेम क्यों किया जाता है? यदि गलती नहीं हो, तब भी। ऐसा क्यों ? 
- अंजलि 

टीवी से भी जागरूकता फैलाने का प्रयास हो रहा है और दूसरी ओर गंदे वीडियो भी दिखाए जा रहे हैं। क्यों ? 
- मणि मिश्रा

जब लड़के मिसबिहेव करते हैं तो उसके पेरेट्स उन्हें क्यों नहीं समझाते हैं? ऐसा भेदभाव क्यों होता है?
- रिचा

ऑनलाइन अब्यूज कोई करे तो क्या करना चाहिए। आखिर कहां इस प्रकार के मामले दर्ज किए जा सकते हैं?
- नमिता

लड़कियों को सुरक्षा के लिए और कब तक परिवार के प्रोटेक्शन में ही रहना होगा। ये हालत आखिर कब तक रहेंगे? 
- फौकिया जावेद

मैंने क्राइम पेट्रोल में देखा कि एक लड़की को रेप कर मार डाला जाता है। तो सरकार क्या कर रही है ? 
- भाव्या
वो लड़कियों की तरह रो रहा है। अक्सर लोग ऐसा उदाहरण देकर हमें कमजोर क्यों बताते हैं ?
-आशा किशोर

असुरक्षित हैं बेटियां 

हमेशा एक समुचित वातावरण बनाने की बात कही जाती है। लेकिन, सच है कि पूरी दुनिया में 98 प्रतिशत हिंसा घर और चहारदीवारी के भीतर ही होती है। एक सर्वे में करीब 56 प्रतिशत पुरुषों ने भी माना है कि हां, घर में ही हिंसा होती है।  यह बातें जेंडर रिसोर्स सेंटर के प्रिंसिपल कंसल्टेंट आनंद माधव ने अपने संबोधन में कही। छात्राओं द्वारा पूछे  गए सवालों के बाद उन्होने कहा कि जिस देश में नारियों की पूजा होती है। पर क्या चंद दिनों की पूजा कर लेने से उनका सम्मान हो जाता है? यह एक चिंताजनक तथ्य है कि हमारा समाज एक आदर्श समाज नहीं है।

 

सदाचार को दें महत्व 

पटना सेंट्रल स्कूल के संस्थापक एवं शिक्षाविद आचार्य सुदर्शन महाराज ने कहा कि आज की परिस्थितियों में पढ़ाई से अधिक सदाचार को महत्व देने की जरूरत है। उन्हें गुड टच, बैड टच के बारे में बताने की जरूरत है। गलत काम वही करता है जो अंधकार में रहता है। जितने भी बुरे कर्म हैं, वे अंधेरे में ही होते हैं। हमलोगों को आध्यात्म चिंतन करना चाहिए। जब हमें यह बोध हो जाए कि हम हमलोग साधारण नहीं है और गलत काम नहीं कर सकते हैं, तभी जागरण होगा।

 

'भोर' में दिखा महिला हिंसा का दर्द 

कार्यक्रम में चर्चित शॉर्ट फिल्म मेकर श्रुति अनंदिता वर्मा की 'भोरÓ छात्राओं के समक्ष प्रदर्शित की गई। यह फिल्म इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के दौरान 700 फिल्मों में बेस्ट फिल्म के रूप में चुनी गई थी। इस फिल्म में विभिन्न महिला पात्रों की कहानी में उनके साथ हुए शारीरिक प्रताडऩा की पीड़ा और अंत में इसके खिलाफ चुप्पी तोडऩे वाली घटना को भी बखूबी फिल्माया गया है। श्रुति अनंदिता वर्मा ने कहा कि हर महिला को दुव्र्यवहार के खिलाफ चुप नहीं रहना है, आवाज उठाएं ।

 

 

सवालों से गूंजा हॉल 

श्रुति अनंदिता वर्मा की स्क्रीन की गई फिल्म 'भोर' के बाद पटना सेंट्रल स्कूल की छात्राओं ने इसके बारे में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। इस दौरान सभी ने माना कि इस फिल्म में दिखायी गई दर्दनाक कहानियां समाज में अविरल रूप से मौजूद है। इसके बाद चाइल्ड काउंसलर, राइटर एवं सोशल वर्कर डॉ। पूजा त्रिपाठी ने महिला हिंसा को लेकर बच्चों के सवाल लिए और उन्हें कई बातें भी सुझाई। छात्राओं ने बढ़ चढ़कर और उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया।

 

सुनाई दर्द भरी दास्तां

कार्यक्रम के दौरान महिला हिंसा की कई सच्ची घटनाओं को विभिन्न लोगों ने शेयर किया। सीनियर कंसल्टेंट (जीआरसी) शांति आनंद ने अपने ही एक चाचाजी की बेटी की समस्या का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि उनके यूके के एक चाचाजी की बेटी स्कूल से जब समय से पहले घर लौटने लगी तो उनके पिता को बड़ी हैरानी हुई। वे सोचने लगे कि आखिर कैसे वह पहले आ रही है। बेटी से पूछने पर पता चला कि रास्ते में कुछ लफंगे लड़कियों को छेड़ते थे। वह इससे बचने के लिए दूसरे रास्ते से लौटती थी। वहीं, श्रुति अनंदिता वर्मा ने बताया कि उनकी फिल्म को मुम्बई में जब बेस्ट फिल्म का अवार्ड मिला तो उसी दौरान एक महिला ने स्टेज पर आकर एक वहां मौजूद एक प्रोफेसर पर सात साल तक जबरन शारीरिक संबंध बनाने की बात कही।  छात्रा दीक्षा ने अपनी एक सहेली की आपबीती शेयर की। कहा कि उसके मौसेरे भाई ने ही उसका शारीरिक शोषण किया था। पेरेंट्स ने काउंसलिंग कराई फिर भी वह गुमशुम रहने लगी। जबकि पेरेंट्स ने मौसेरे भाई के परिवार से कभी इसका जिक्र नहीं किया।

 

ऑनलाइन अब्यूज हो तो करें शिकायत

स्कूल की छात्रा नमिता ने सवाल किया कि जब कोई ऑनलाइन अब्यूज करे तो क्या करें। इसका जवाब देते हुए चाइल्ड काउंसलर पूजा त्रिपाठी ने कहा कि यह साइबर एक्ट के अंतर्गत आता है। इसमें 48 घंटे के अंदर कार्रवाई की जाती है और महिला पुलिस की सुरक्षा भी प्रदान की जाती है। इसी प्रकार, पूजा ने अन्य छात्राओं के सवालों का जवाब दिया।

 

'ना'कहना सीखें

लड़कियां खुद हिंसा के खिलाफ आवाज उठाएं 

दुव्र्यवहार करने वाला स्वंय डरा होता है, लड़कियों को डरने की जरूरत नहीं 

'ना' कहने की हिम्मत रखें, 'ना' का मतलब ना ही होता है 

हिंसा की स्थिति में किसी रिलेशन की परवाह बिल्कुल न करें 

सिर्फ अपना बचाव ही नहीं विरोध का भी तरीका जानें 

दुव्र्यवहार करने वाला कोई भी हो, आपको उसे मारने की हिम्मत भी होनी चाहिए

ड्रेसिंग सेंस को लेकर परवाह करने की जरूरत नहीं

 

हमेशा मर्यादा का पाठ लड़कियों को ही क्यों पढ़ाया जाता है। लड़कों को क्यों नहीं यह बताया जाता है?

- आकृति 

 

जब लड़कियां लड़कों से बात करती है तो उनके कैरेक्टर पर सवाल किया जाता है। आखिर ऐसा क्यों है?

- रोशनी

 

रिलेटिव ही कुछ गलत करे और शिकायत पेरेंट से लड़की करे तो वे रिलेशन खराब हो जाने की बात क्यों कहते हैं?

- शिखा 

 

आखिर हर बार लड़कियों को ही ब्लेम क्यों किया जाता है? यदि गलती नहीं हो, तब भी। ऐसा क्यों ? 

- अंजलि 

 

टीवी से भी जागरूकता फैलाने का प्रयास हो रहा है और दूसरी ओर गंदे वीडियो भी दिखाए जा रहे हैं। क्यों ? 

- मणि मिश्रा

 

जब लड़के मिसबिहेव करते हैं तो उसके पेरेट्स उन्हें क्यों नहीं समझाते हैं? ऐसा भेदभाव क्यों होता है?

- रिचा

 

ऑनलाइन अब्यूज कोई करे तो क्या करना चाहिए। आखिर कहां इस प्रकार के मामले दर्ज किए जा सकते हैं?

- नमिता

 

लड़कियों को सुरक्षा के लिए और कब तक परिवार के प्रोटेक्शन में ही रहना होगा। ये हालत आखिर कब तक रहेंगे? 

- फौकिया जावेद

 

मैंने क्राइम पेट्रोल में देखा कि एक लड़की को रेप कर मार डाला जाता है। तो सरकार क्या कर रही है ? 

- भाव्या

वो लड़कियों की तरह रो रहा है। अक्सर लोग ऐसा उदाहरण देकर हमें कमजोर क्यों बताते हैं ?

-आशा किशोर