रजिस्टार जनरल की लेटेस्ट रिपोर्ट के मुताबिक यहां जन्में हर हजार में से 42 बच्चे अपना पहला जन्मदिन भी नहीं मना पाते। देश में चल रहे ट्रेंड के विपरीत यहां लड़के और लड़की की मृत्यु दर में काफी असमानता है। यहां गर्ल चाइल्ड की मौत लड़कों से कहीं ज्यादा होती है। शहरी आबादी में जहां प्रति हजार जन्म पर 52 लड़कियां मर जाती है, वहीं लड़कों की संख्या
इसके मुकाबले काफी कम 37 है। ग्र्रामीण इलाकों की स्थिति इससे बेहतर है और यहां प्रति हजार पर 39 लड़कियां और 36 लड़कों की मौत पहले साल में ही हो जाती है.
गर्ल चाइल्ड इंफेंट मॉर्टिलिटी रेट ज्यादा
पूरे देश में ग्र्रामीण इलाकों में शिशु मृत्यु दर अधिक होना काफी कॉमन है। यहां मेडिकल फेसिलिटी और जागरुकता में अभाव को मुख्य वजह माना जाता है। बिहार में इसके उलट शहरी आबादी में इंफेंट
मॉर्टिलिटी रेट अधिक है। इससे कई सवाल खड़े होते हैं। क्या गांव की स्वास्थ्य व्यवस्था शहरों से अधिक अच्छी है। यह काफी सोचनीय है.
मध्यप्रदेश में सबसे अधिक, केरल में सबसे कम
ओवरऑल आईएमआर डाटा में साल 2015 में मध्यप्रदेश की स्थिति सबसे खराब है। यहां हर हजार बच्चों पर 50 बच्चों की मौत हो जाती है। केरल में यह आंकड़ा देश में सबसे कम 12 बच्चों का है। छोटे राज्यों में गोवा और मणिपुर का पिछले तीन साल का एवरेज आईएमआर 9 है.
रिपोर्ट के शॉकिंग फैक्ट्स
36 मेल चाइल्ड की मौत प्रति हजार जन्मे बच्चे में हो जाती है.
50 गर्ल चाइल्ड प्रति एक हजार में अपना पहला जन्मदिन भी नहीं मना पाती.
44 शहरी बच्चे की मौत प्रति हजार जन्में बच्चों में हो जाती है.
52 शहरी बच्चियों की मौत प्रति हजार बच्चों में हो जाती है.
गांव से अधिक बेटियों की मौत क्यों हो रही शहरों में?
रजिस्टार जनरल की लेटेस्ट रिपोर्ट के मुताबिक यहां जन्में हर हजार में से 42 बच्चे अपना पहला जन्मदिन भी नहीं मना पाते। देश में चल रहे ट्रेंड के विपरीत यहां लड़के और लड़की की मृत्यु दर में काफी असमानता है। यहां गर्ल चाइल्ड की मौत लड़कों से कहीं ज्यादा होती है। शहरी आबादी में जहां प्रति हजार जन्म पर 52 लड़कियां मर जाती है, वहीं लड़कों की संख्या
पूरे देश में ग्र्रामीण इलाकों में शिशु मृत्यु दर अधिक होना काफी कॉमन है। यहां मेडिकल फेसिलिटी और जागरुकता में अभाव को मुख्य वजह माना जाता है। बिहार में इसके उलट शहरी आबादी में इंफेंट
मॉर्टिलिटी रेट अधिक है। इससे कई सवाल खड़े होते हैं। क्या गांव की स्वास्थ्य व्यवस्था शहरों से अधिक अच्छी है। यह काफी सोचनीय है।
मध्यप्रदेश में सबसे अधिक, केरल में सबसे कम
ओवरऑल आईएमआर डाटा में साल 2015 में मध्यप्रदेश की स्थिति सबसे खराब है। यहां हर हजार बच्चों पर 50 बच्चों की मौत हो जाती है। केरल में यह आंकड़ा देश में सबसे कम 12 बच्चों का है। छोटे राज्यों में गोवा और मणिपुर का पिछले तीन साल का एवरेज आईएमआर 9 है.
रिपोर्ट के शॉकिंग फैक्ट्स
36 मेल चाइल्ड की मौत प्रति हजार जन्मे बच्चे में हो जाती है।
50 गर्ल चाइल्ड प्रति एक हजार में अपना पहला जन्मदिन भी नहीं मना पाती।
44 शहरी बच्चे की मौत प्रति हजार जन्में बच्चों में हो जाती है।
52 शहरी बच्चियों की मौत प्रति हजार बच्चों में हो जाती है।
गांव से अधिक बेटियों की मौत क्यों हो रही शहरों में?
This website uses cookie or similar technologies, to enhance your browsing experience and provide personalised recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy. OK