पटना ब्‍यूरो। प्रदर्शन कलाओं का प्रशिक्षण, प्रदर्शन और युवाओं का प्रोत्साहन है। इसके लिए स्थापित रंगमार्च पटना अपने 11वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है। संस्था की ओर से पागल, गूंगी, अनाथ, इन्ना की आवाज़, चंडालिका, रावण लीला, सुभागी, दिल की रानी, एक्ट्रेस, धुंध, जनता का आदमी, एक और मोहरा, नास्तिक भगत, आधी रात के बाद व सन 2025 आदि उल्लेखनीय नाटक है जिसकी 50 से ज्यादा पुनरावृति हो चुकी है। इसके साथ संस्थान हर वर्ष पांच दिवसीय थिएटरवाला नाट्योत्सव करती है और हर वर्ष बिहार में कार्यरत एक युवा निर्देशक को थिएटरवाला युवा सम्मान देती है। संस्था के फाउंडर मृत्युंजय शर्मा ने बताया कि रंगमार्च से प्रशिक्षित कई कलाकार आज बॉलीवुड में पहुंचकर पटना समेत पूरे बिहार का नाम रौशन कर रहे हैं। आज दैनिक जागरण आईनेक्स्ट में पढि़ए ये रिपोर्ट

कला को करते बदनाम
मृत्युंजय शर्मा ने बताया कि कामकाजी लोग जो सुबह 10 से शाम 6 बजे तक काम कर शाम को नाटक करने के लिए थिएटर पहुंचते हैं। ऐसे लोग नाटक को बदनाम करते हैं। उन्हें ड्रामा के ए, बी, सी, डी का ज्ञान नहीं होता है। उन्हें प्रशिक्षण और कलाकारों के अंदर की कला को निखाने के लिए रंगमार्च पिछले 10 वर्ष से काम कर रहा है। उन्होंने बताया कि संस्था से कई कलाकार नाट्य प्रशिक्षण प्राप्त कर आज बॉलीवुड में कार्य कर रहे हैं।

कोर्स कर कलाकार होते हैं ट्रेंड
मृत्युंजय शर्मा ने बताया कि पटना रंगमंच के कलाकारों के प्रशिक्षण के लिए रंगमार्च पटना हर वर्ष एक्टर स्पेस कोर्स संचालित करता है, जिसमें 20 नए बच्चों को अभिनय, रंगमंच और सिनेमा की पढ़ाई नॉमिनल फीस पर करवाई जाती है। निरंतर अभ्यास और एक पूर्णकालीक कोर्स का उद्देश्य एक पूर्णकालिक अभिनेता या कलाकार तैयार करना है।

नाटक के लिए बनाया स्टूडियो
पटना में नाटक करने के लिए कलाकारों को कालिदास रंगालय और प्रेमचंद रंगशाला को छोड़ ऐसी कोई जगह नहीं जहां कम बजट में कलाकार नाटक कर सकें। कालिदास रंगालय का निर्माण कार्य जारी होने की वजह से कलाकारों को अधिक समस्या हो रही है इन समस्याओं के निदान के लिए रंगमार्च पटना ने कृष्णा बिल्डिंग, एसपी वर्मा रोड में स्टूडियो का निर्माण करवाया है, जहां छोटे नाटकों, ओपन माइक व ऑडिशन कलाकार देते हैं।

फिल्मों में अभिनय के लिए एक्टिव
संस्था के फाउंडर मृत्युंजय शर्मा रंगमंच के अलावे फिल्मों में भी अभिनय और स्क्रीन प्ले लेखन को लेकर सक्रिय हैं। दूरदर्शन के लिए बलचनमा, नेटफ्लिक्स के लिए खाकी, आचार्य सुदर्शन के ऑटो बायोग्राफी में जल्द ही दिखाई देंगे।

लोकप्रिय कलाकर हैं नूपुर
संस्था की अभिनेत्री, भरतनाट्यम नृत्यंगना-प्रशिक्षक नूपुर कई नाटकों में मुख्य भूमिका निभाने के साथ, नाटकों में नृत्य संयोजन और निर्देशन भी कर चुकी हैं। दूरदर्शन की ग्रेडेड कलाकार नूपुर वर्तमान में नृत्य शिक्षक के रूप में कार्यरत होने के अलावे रंगमंच और नृत्य आयोजनों में बिहार की बेहद लोकप्रिय कलाकर हैं। इसके साथ ही संस्था की सरिता कुमारी, राज पटेल, विक्की राजवीर, नीतीश प्रियदर्शी, जीशान साबिर, श्रेया शर्मा, कौशिक कुमार, उग्रेश ठाकुर व पंकज सिंह आदि रंगमंच से फिल्मों में लगातार सक्रिय और कार्यरत हैं।


नाटक को लेकर ज्यादा लोग अवेयर नहीं हैं। फिल्म देखने के लिए चले जाते हैं मगर नाटक के लिए टिकट नहीं खरीदते हैं। पटना में नाटक करने के लिए कम खर्च वाले प्रेक्षागृह का अभाव है।
-कौशिक कुमार, अभिनेता

लोग नाटक को छोड़ ग्रांट के पीछे ज्यादा भाग रहे हैं। नाट्य संस्थाओं को सीखने-सिखाने के लिए प्रेरित करनी चाहिए। रंगमार्च एक ऐसी संस्था है जिसके माध्यम से स्थापना काल से कला के प्रति लोगों को अवेयर किया जा रहा है।
-जीशान साबिर, अभिनेता

पटना में नाटक करने के लिए सुव्यवस्थित हॉल की आवश्यकता है। इन समस्या को लेकर रंगमार्च ने एक छोटा सा स्टूडियो बनाया जहां कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं।
-मृत्युंजय शर्मा, संस्थापक निर्देशक, रंगमार्च