पटना ब्‍यूरो। समालोचक और भूपेन्द्र नारायण मंडल यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति प्रो अमरनाथ सिन्हा का अस्थि-कलश बुधवार को बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में अंतिम-दर्शनार्थ रखा गया। सम्मेलन में उनकी स्मृति में श्रद्धांजलि-सभा भी हुई, जिसमें विद्वानों ने उन्हें अद्भुत प्रतिभा का समालोचक, निष्ठावान साहित्य-सेवी और प्रखर शिक्षाविद बताया। बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने श्रद्धांजलि व्यक्त करते हुए कहा कि प्रोफ़ेसर सिन्हा से उनका 50 वर्षों से अधिक का संबंध रहा। जय प्रकाश आंदोलन में उनकी प्रमुख भूमिका थी। जिस काल में कोई भी व्यक्ति मुंह खोलने का साहस नहीं करता था, अमर बाबू खुल कर सामने आए और आंदोलन को वैचारिक दिशा दी। साहित्य सम्मेलन ने उनकी स्मृति में सभा का आयोजन कर पुण्य का कार्य किया है।
वे साहित्य व शिक्षा के साधु-पुरुष थे
सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कहा कि साहित्य ही नहीं अन्य विषयों पर टिप्पणी के प्रति अमर बाबू की सावधानी और प्रतिबद्धता अनुकरणीय है। वे विषय पर तैयारी की बिना न तो एक शब्द लिखते थे और न बोलते थे। यही निष्ठा उनके जीवन के हर क्षेत्र में थी। वे साहित्य और शिक्षा के साधु-पुरुष थे। डा सुलभ ने घोषणा की कि इसी वर्ष से प्रो सिन्हा के नाम से स्मृति-सम्मान आरंभ किया जाएगा, पूर्व सांसद और वरिष्ठ पत्रकार डा रवीन्द्र किशोर सिन्हा ने कहा कि अमर बाबू एक युग का निर्माण करने वाले महान व्यक्तित्व थे। मौके पर पद्मश्री विमल कुमार जैन, प्रो अमरनाथ सिन्हा के पुत्र शिशिर राजन, प्रो सुधा सिन्हा और डा अर्चना त्रिपाठी समेत कई लोग उपस्थित रहे।