- बिल्डिंग के नीचे दिनभर चलता है जुआ, कब्जाए हुए हैं 300 जवान

- होमगार्ड के जवान चोरी की बिजली से जलाते हैं लगभग 200 हीटर

PATNA: सालों पहले पाटलिपुत्रा एरिया में 'राज हॉस्पीटल' हुआ करता था। बोरिंग रोड से पाटलिपुत्र जाने के दौरान यह हॉस्पीटल रास्ते में ही पड़ता है। स्थानीय लोग इस हॉस्पीटल के बारे में कई बाते कहते हैं। कुछ का मानना है कि इस हॉस्पीटल में किडनी कांड हुआ था जिसके कारण यह हॉस्पीटल बंद हो गया। वहंीं कई लोगों का मानना है कि यह हॉस्पीटल अपने समय का सबसे चर्चित और समृद्ध हॉस्पीटल हुआ करता था। जो किसी कारणवश धीरे-धीरे खंडहर के रूप में तब्दील होता गया अब इस हॉस्पीटल को लोग भूत बंगला के नाम से जानते हैं।

बना रखा है अपना आशियाना

बिल्डिंग की दीवारों पर उद्योग विभाग का पर्चा चिपका है। इस पर्चे पर लिखा है, 'ऊपर जाना या हॉस्पीटल की संपत्ति को नुकसान पहुंचाना दंडनीय अपराध है'। बिल्डिंग पर चस्पाए गए इस नोटिस को अनदेखी कर खुद कानून के रखवाले ही इसपर कब्जा जमाए हुए हैं और उद्योग विभाग को ठेंगा दिखा रहे हैं। फिलहाल इस बिल्डिंग पर पटना शहर में तैनात होमगार्ड के जवानों का कब्जा है। लगभग तीन सौ होमगार्ड के जवानों ने इसे अपना आशियाना बना रखा है। शहर में होमगार्ड के जवान चाहे वो सिटी में पोस्टेड हो या सगुना मोड़ वो अपनी डयूटी खत्म होने के बाद यहीं डेरा डालते हैं। इस बिल्डिंग के तीन फ्लोर पर इन जवानों का ही कब्जा है।

नीचे जुआ, उपर बिजली चोरी

दिन में इस बिल्डिंग को देखकर लगता ही नहंी कि यहां कोई रहता भी होगा। इसी वजह से लोग इसे भुतहा बंगला कहते हैं। यहां गंदगी और बदबू का ऐसा मिश्रण रहता है कि आप बिल्डिंग के पास खड़े तक नहीं रह सकते। बावजूद इसके बिल्डिंग के नीचे असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है। खुलेआम दिनभर नीचे जुआ चलता है और उपर पुलिस वाले आराम फरमाते हैं। इसी बिल्डिंग में रह रहे होमगार्ड के एक जवान लक्ष्मी (मोतिहारी) ने बताया कि साहब, हमें सरकार इतने पैसे देती नहीं कि हम किराए के मकान में रह सकें। कई साथी यहां पहले से रह रहे थे इसलिए हमलोग भी यहीं चले आए। एक जवान भूषण ने बताया कि एसपी साहब को पता है कि हमलोग यहां रहते हैं। हमलोगों ने साहब को कहा भी था कि यहंा पानी और बिजली की व्यवस्था की जाए। इस बिल्डिंग में बिजली पानी का कनेक्शन नहीं है, लेकिन इन जवानों ने टोंका फंसाकर बिजली की व्यवस्था भी कर ली है। यहां रोजाना कम से कम ख्00 हीटर सुबह-शाम जलते हैं।

आसपास के लोगों को है शिकायत

इस बिल्डिंग के मामले में आसपास के लोगों का कहना है कि हमलोग कुछ नहीं कर सकतें। जब यहां पुलिस वाले ही रह रहे हैं तो कंप्लेन किससे की जाए। लोगों ने बताया कि बिल्डिंग के पास से इतनी दुर्गंध आती है कि घर से निकलने का मन नहीं करता है। पुलिस वाले टोंका फंसाकर हीटर और फंखे चलाते हैं। जिसकी वजह से बोल्टेज अप-डाउन होता रहता है। मालूम हो कि लोगों ने एक बार इसकी शिकायत उद्योग विभाग से भी की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

लिफ्ट भी गायब, डोर भी गायब

होमगार्ड जवान मदन का कहना है कि, हमलोग जबसे यहां रह रहे हैं इस बिल्डिंग में न तो खिड़की थी और न ही गेट। वहीं यहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि यह बिल्डिंग, एक खूबसूरत हॉस्पीटल था। जब हॉस्पीटल बंद हुआ तो सारा सामान मौजूद था। गेट, विंडो, लिफ्ट सब कुछ था यहां, लेकिन अभी तो बिल्डिंग में कुछ नजर ही नहीं आता। मैंने तो लोगों को समान उखाड़कर ले जाते हुए भी देखा है, लेकिन जब कोई मालिक ही यहां नहीं रहता तो इसकी सुरक्षा कैसे होगी। हालांकि उन्होंने बताया कि पहले यहां एक गार्ड तैनात रहता था पर बाद में वो भी छोड़ कर चना गया।

लोन लेकर बना था हॉस्पीटल

हॉस्पीटल की यह जमीन रामप्रकाश अहुजा के नाम पर थी। इनके तीन बेटे रमेश अहुजा, सरेंद्र अहुजा और नरेंद्र अहुजा हैं। बड़े भाई रमेश पेशे डॉक्टर थे। काफी समय तक पटना रहने के बाद ये इंगलैंड शिफ्ट हो गए और वहीं उनकी मृत्यु भी हो गई। दूसरे भाई सुरेंद्र इंजीनियर हैं और सबसे छोटे नरेंद्र ठेकेदार हैं। हॉस्पीटल का सपना सुरेंद्र का था। सुरेंद्र पटना के बड़े बिल्डरों मे से एक थे। उन्होंने आईडीबीआई बैंक से लोन लिया और अपने समय का बेहतरीन हॉस्पीटल बनवाया। क्98फ् में यह हॉस्पीटल चालू हो गया था, लेकिन धीरे-धीरे भाइयों में कलह बढ़ता गया और इसका असर हॉस्पीटल के सेहत पर भी पड़ने लगा। रमेश अहुजा की मौत के बाद पारिवारिक विवाद ज्यादा ही तेज हो गई। इसका असर ये हुआ कि हॉस्पीटल का धंधा मंदा होने लगा और एक समय ऐसा आया जब क्990 में हॉस्पीटल बंद हो गया।

शहाबुद्दीन भी शामिल

आईडीबाई बैंक का हॉस्पीटल पर करोड़ों बकाया था। इसको लेकर एक बार इस हॉस्पीटल की निलामी की गयी। निलामी की बोली लगायी शहाबुद्दीन के भाई ने। निलामी कि सूचना देहरादून रह रहे सुरेंद्र अहूजा को मिली। पटना हाईकोर्ट में उन्होंने याचिका दायर की कि कम कीमत में हॉस्पीटल को नीलाम किया गया है। इसके बाद नीलामी रद्द कर दी गई और कोर्ट ने सुरेंद्र को समय दिया और कहा कि आप ही इसे बेच कर पैसा चुका दें।

बिक गया भुतहा बंगला

अहूजा फैमली पर बैंक द्वारा बार-बार दबाव बनाया जा रहा था। कहा जाता है कि इस बिल्डिंग का कोई खरीददार ही नहीं मिल रहा है। सालों से इसके मालिक इसे बेचना चाह रहे हैं, लेकिन सूत्रों की माने तो यह भुतहा बंगला बिक चुका है। सुरेंद्र अहुजा ने इसे अपने एक करीबी के यहां बेचा है। आईडीबीआई बैंक को उसकी राशि सूद समेत लौटा दी गयी है। सूत्रों के अनुसार इस बिल्डिंग को बिहार के किसी बड़े व्यवसायी ने लिया है। जल्द ही इसकी रजिस्ट्री की भी सूचना है।