पटना ब्‍यूरो। वॉलीबॉल दुनिया के शीर्ष 10 खेलों में से एक है। वॉलीबॉल के 900 मिलियन वैश्विक अनुयायी हैं और 200 से अधिक राष्ट्रीय संघ पंजीकृत हैं। यह 5वां सबसे लोकप्रिय खेल है और किसी भी अन्य खेल की तुलना में इसमें सबसे अधिक पंजीकृत संघ हैं। वॉलीबॉल बहुत ही सरल खेल है जिसमें बहुत कम उपकरण और कुछ नियम हैं। इसके बावजूद आज के समय में पटना जिला में यह खेल अपना वजूद बनाए रखने के लिए संघर्षरत है। इसकी मुख्य वजह सरकार का इस खेल के प्रति उदासीनता। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने खेल दिवस के अवसर पर अपने अभियान खेल से खिलवाड़ के तहत की इस खेल की पड़ताल। पढ़े रिपोर्ट।

बिहार में 1930 में पहली बार खेला गया था वॉलीबॉल
यदि इस खेल के अतित के बारे में बात करें तो पहली बार 1930 में भागलपुर सेंट्रल जेल में कैदियों के बीच वालीबॉल खेला गया था। जेल से छूट कर आए सेनानियों ने 1947 में दिवाना क्लब, भागलपुर की स्थापना की। गिद्धौर (जमुई) निवासी मकंदपुर मध्य विद्यालय के शिक्षक राजेंद्र बाबू ने क्लब की नींव रखी थी। खेल के प्रति दिवानगी की वजह से क्लब का नाम दिवाना रखा गया था। इस खेल ने नित्य अभाव ने गांव की सूरत ही बदल दी। घर-घर खिलाड़ी तैयार हो गए। 1955 के दौर में राजेंद्र प्रसाद तिवारी ने बढ़ावा दिया। 50 से 60 के दौर में धीरे-धीरे इसका विस्तार नवगछिया में हुआ। इस तरह यह खेल आज बिहार के कोने—कोने में फुटबॉल के बाद सबसे ज्यादा लोकप्रिय है।

खेल से मिलने लगी उपलब्धि
मकंदपुर के श्याम सुंदर राय ने बिहार की ओर से राष्ट्रीय प्रतियोगिता में प्रतिनिधित्व किया। पहली बार खेल के आधार पर कोल इंडिया धनबाद में 1960 में नौकरी की। राजेंद्र प्रसाद राय को रेलवे ने नौकरी दी। यह सिलसिला बढ़ता चला गया। 90 के दशक में 100 से अधिक वालीबॉल खिलाड़ी ने रेलवे, बिहार पुलिस व सचिवालय में नौकरी प्राप्त की। 1990 के बाद खेल के आधार पर बिहार सरकार ने नौकरी बंद कर दिया था। हाल के पांच वर्षो में पांच खिलाडिय़ों को सरकारी नौकरी मिली है।

सरकारी उदासीनता से पिछड़ गया खेल
बिहार के गांव-गांव में खेला जाने वाला यह खेल ग्लोबल स्तर पर अपनी अलग पहचान रखता है। बिहार वॉलीबॉल संघ के अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद का कहना है कि सरकार ने इस खेल की ओर ध्यान दिया होता तो तस्वीर कुछ दूसरी होती। सरकार इस खेल को बढ़ावा देने के लिए खेल कोटा भी बढ़ाने पर ध्यान दे, खेल कोटा बढ़ेगा तो इस खेल के प्रति बच्चों में लगन पैदा होगी। इस खेल से निकलकर आज कई खिलाड़ी सरकारी नौकरियों में भी पहुंच चुके हैं और वॉलीबॉल टीम में प्रतिभाग कर राष्ट्रीय स्तर पर नाम चमका रहे हैं।

प्रैक्टिस के लिए ग्राउंड का अभाव
राजेंद्र प्रसाद का कहना है कि वर्तमान में राजधानी पटना में यदि पाटलिपुत्रा स्पोटर्स कॉम्प्लेक्स को छोड़ दे तो कही भी इसके खेलने के लिए ग्राउंड नहीं है। एक समय था कि यह खेल मोइनुल हक स्टेडियम, बीएमपी-5, सचिवालय स्पोटर्स कॉम्प्लेक्स, वेटनरी कॉलेज ग्राउंड, गांधी मैदान आदि जगहों पर खेला जाता था।

बहाली बंद होने के बाद से रूचि हुई कम
पटना जिला वॉलीबॉल संघ के सचिव डॉ। सुनील कुमार सिंह का कहना है कि पहले बिहार सरकार के सहयोग से आल इंडिया वॉलीबॉल चैंपियनशिप भागलपुर, बेगूसराय, बरौनी, मोकामा में हुआ करता था। लगातार तीन साल तक स्टेट खेलने वालों को सचिवालय या अन्य सरकारी विभागों में नौकरी मिलती थी। लेकिन नई योजना के तहत मेडल लाओ नौकरी पाओ में ऐसा होना टफ हो गया है। वॉलीबॉल एक टीम इवेंट है। इंफ्र ास्ट्रक्चर हो या कोच खिलाडिय़ों को नहीं मिलने से उनके खेल पर असर पड़ता है।

ये हैं वॉलीबॉल का गढ़
बिहार में वॉलीबॉल का गढ़ बेगूसराय, भागलपुर, नवगछिया, समस्तीपुर को माना जाता है। यहां से अक्सर खिलाड़ी वॉलीबॉल से नौकरी भी प्राप्त कर चुके हैं। आपको बता दें कि इन जगहों का यह लोकप्रिय खेल माना जाता है। इन जगहों पर खासकर हर एक प्रखंड में वॉलीबॉल का ग्राउंड देखने को मिल जाएगा और बच्चे खेलते नजर आ जाएंगे।

50 साल के बाद टीम इंडिया में बिहार का कोई खिलाड़ी
पिछले 50 वर्षों में अंडर-20 भारतीय महिला वॉलीबॉल टीम में शामिल होने वाली बिहार की पहली महिला खिलाड़ी के रूप बिहार के औरंगाबाद की खुशी कुमारी रही। खुशी का चयन उसकी हाइट 6 फीट होने के कारण हुआ। वह अपने गांव के लड़कों के साथ अकेले खेलने वाली लड़की थी। वहां पर ना ही उनकी कोई टीम थी और ना ही उन्हें ट्रेनिंग देने वाला कोई कोच था। वहीं खुशी के साथ पुरुष टीम में गया के ऋषि कुमार का चयन भी भारतीय टीम में हुआ। तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बिहार से वॉलीबॉल का मान पटना के अनुज कुमार ने बढ़ाया। अनुज का चयन पिछले वर्ष एशियन वॉलीबॉल चैंपियनशिप में भाग लेने वाली भारतीय टीम में हुआ था।


बिहार में प्रतिभा की कमी नहीं है। यदि खिलाडिय़ों को सरकारी स्तर पर मदद के साथ इंफ्रास्ट्रक्चर और ट्रेनिंग मिले तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बिहार का मान बढ़ा सकते हैं।
- रामाशीष प्रसाद सिंह, अध्यक्ष, बिहार वॉलीबॉल संघ

हाल के दिनों में बिहार में वॉलीबॉल के खिलाडिय़ों ने अपना सर्वश्रेष्ठ देते हुए लोगों के दिलों में जगह बनाई है। इस खेल की लोकप्रियता को देखते हुए बिहार में वॉलीबॉल का लीग स्पोटर्स कॉम्प्लेक्स में होने जा रहा है। यह लीग वॉलीबॉल खिलाडिय़ों को बेहतरीन प्लेटफॉर्म देने में सहायक होगा।
डॉ। सुनील कुमार सिंह, सचिव, पटना वॉलीबॉल संघ

बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के महानिदेशक रविंद्रन शंकरण सर वॉलीबॉल के डेवलपमेंट के लिए काफी कुछ कर रहे हैं। आज लीग को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर के कोच से हमें ट्रेनिंग मिल रही है। लीग वॉलीबॉल को एक अलग पहचान देगा। यह सत्य है कि ग्राउंड, इंफ्रास्ट्रक्चर मिले तो ओर भी बेहतर प्लेयर्स बिहार से निकलेंगे।
- अनुज कुमार, इंटरनेशनल वॉलीबॉल प्लेयर