पटना ब्‍यूरो।

पटना के रामकृष्णनगर की रहने वाली प्रमिला कुमारी कहती हैं कि यह सच में गलत है कि हम अपने लिए तो अच्छी क्वालिटी की खरीद कर लाते हैं। जिसे खाने की चीजों के साथ प्रयोग करते हैं। लेकिन वहीं जब पूजा के लिए घी खरीदते हैं तब हमारी सोच, हमारी नजरिया बदल जाती हैै। हम सस्ती घी की ओर जाते हैं। लेकिन यह घी होता ही नहीं है।

बाजार में पूजा के लिए घी 200 से 300 रुपये तक उपलब्ध

दलदली रोड किराना कारोबार की पटना की सबसे बड़ी मंडी है। यहां पर पूजा में प्रयोग होने वाला घी 200 से 300 रुपये तक आपको आसानी से मिल जायेंगे। लेकिन इन डिब्बों पर यह भी साफ तौर पर लिखा होता है कि यह घी आप खाने में प्रयोग नहीं करें। मंडी में ऐसी कई दुकानें हैं जहां ऐसी घी थोक के भाव से बेची जाती है। दुकानदार कैमरे पर नहीं आना चाहते थे। लेकिन ऑफ कैमरा उन्होंने स्वीकारा की यह किसी भी एंगल से घी नहीं होता है। अब सवाल है कि इसमें किसी चीज की मिलावट की जा रही है। घी के जानकार अरविंद प्रसाद ने बताया कि घी निकालने से लेकर घरों तक आने का जो अर्थशास्त्र है, उसमें 700 रुपये में भी पूरी तरह शुद्ध घी मिलना मुश्किल है। वक्त आ गया है कि एफएसएसएआई न सिर्फ तिरुपति मामले की जांच करे, बल्कि यह भी सुनिश्चित करे कि आम उपभोक्ता घी की शुद्धता को लेकर आश्वस्त हो। सरकार को ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

पटना में पूजा के घी की हर महीने करोड़ों रुपये का है कारोबार

पटना में पूजा के घी का हर महीने कितना खप्त है इसका कोई स्पष्ट आकड़ा उपलब्ध नहीं है। लेकिन घी फतुहा के एक बड़े कारोबारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि यह करोड़ों में हो सकता है। दशहरा और दीवाली के समय यह कारोबार हर महीने दस करोड़ों से उपर का रहा होगा।

घी के जगह पर तील के तेल का भी पूजा के लिए हो सकता है इस्तेमाल

कई लोग घी के नाम पर नकली घी का पूजा में इस्तेमाल को लेकर आपत्ति जताते हैं। वहीं बहुत लोगों का मानना है कि या तो हमें पूजा में शुद्ध घी का ही इस्तेमाल करना चाहिए। जिस तरह हम अपने खाने पीने के लिए शुद्ध घी की तलाश करते हैं। उसी तरह भगवान के पूजा के लिए हमें शुद्ध घी को ही अपनाना चाहिए नहीं तो फिर हमें अन्य दूसरे विकल्प की ओर जाना होगा। जिसमें तीसी और तील का तेल भी शामिल हो सकता है।

वर्जन

लोग अब अपने घर में अब घी नहीं बनाते हैं। इसलिए शुद्ध घी की अपेक्षा रखना मुश्किल है। ऐसे में नकली घी खरीदने से बेहतर है कि हम तील के तेल का इस्तेमाल करें। इस्कॉन मंदिर में हम खुद का घी बनाते हैं और उसी घी से दीपक जलता है।
गोपाल दास नंद
इस्कॉन पटना