पटना ब्यूरो। पापा कहते थे-या तो तू मर जा, या मुझे मार दे। लेकिन इस पहचान के साथ दुनिया के सामने मत आना। अब मैं अपनी पहचान के साथ शान से जी सकूंगी। मैं ऐसा ही चाहती थी। अब मेरी वर्दी मेरी पहचान होगी। ये अल्फाज हैं- दारोगा की परीक्षा में क्वालिफाई कर चुकी ट्रांस वुमेन मधु के। मधु ने पहले प्रयास में ही दारोगा की परीक्षा पास कर ली है। पिछले ढाई साल से पटना में ही रह कर तैयारी कर रही थी। इसके पहले मधु मानवी कश्यप ने ट्रांस वुमेन रेशमा की ओर से चलाये जा रहे शेल्टर होम में शरण ले रखी थी। रेशमा के जरिये ही मधु को पता चला था कि वह पटना में गुरु रहमान के पास जाकर प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर सकती है।
अपने जैसे जीना चाहती हूं
मधु ने 12वीं तक की पढ़ाई पंजवारा, बांका से की। इसके बाद तिलकामांझी यूनिवर्सिटी, भागलपुर में स्नातक में नामांकन करवाया। हालांकि जब वह बीए पार्ट वन में थी, तभी उसने बिहार छोड़ दिया। वह अपनी दीदी के यहां बंगाल रहने चली गयी। वहां वह बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने लगी। हालांकि उसे अपनी पहचान छुपाकर रहना नागवार लग रहा था। यहां वह अपनी कम्यूनिटी के लोगों के संपर्क में आयी। इसके बाद उसे पता चला कि ट्रांसजेंडर के लिए बेंगलुरु में जॉब की अपॉर्चुनिटी है। उसने जेपी मॉर्गन, बेंगलुरु के लिए इंटरव्यू दिया। यहां उसका सेलेेक्शन भी हो गया। इसी बीच लॉकडाउन लग गया। इसके बाद वह जॉब लेस हो गयी। इसी बीच गूगल से पता चला कि पटना में ट्रांस जेंडर के लिए शेल्टर होम है। इस जानकारी के साथ वह पटना आ गयी।
पटना आने के साथ ही एक बार फिर से मधु ने शुरू की पढ़ाई
शेल्टर होम में आने के बाद मधु ने एक बार फिर से पढ़ाई शुरू की। अब उसे अपने लिए एक ऐसे टीचर की तलाश थी, जो ट्रांसजेंडर को भी सामान्य बच्चों की तरह पढ़ा सकें। शेल्टर होम की संचालिका और खुद भी ट्रांस वुमेन रही रेशमा ने मधु को इसके लिए गुरु रहमान का नाम सुझाया। पता चला उनके यहां मधु जैसे 25 और ट्रांसजेंडर पढ़ाई कर रहे थे। यह इनवायरन्मेंट उनके लिए सुटेबल लगा। ढाई साल की मेहनत के बाद दारोगा की परीक्षा पहले ही प्रयास में पास कर गयी।
मुझे तो घर बसाना नहीं है, बस समाज के लिए जीना चाहती हूं
मधु के अनुसार, वह घर-परिवार बसाना नहीं चाहती है। जब ईश्वर ने उसे इस रूप में बनाया है, तब वह इसी रूप को जीना चाहती है। पेट तो जानवर भी पाल ही लेते हैं। वह इज्जत से जीना चाहती है। वह ईमानदारी के साथ देश और समाज की सेवा करना चाहती है। अब वह अपनी मां को देशाटन करवाना चाहती है। मधु अपने जैसे दूसरे ट्रांसजेंडर का जीवन सुधारने के लिए काम करना चाहती है। इसके अलावा और कोई हसरत नहीं है। अपनी सफलता का श्रेय वह गुरु रहमान के साथ ही सूबे के सीएम नीतीश कुमार को देना चाहती हैं। ट्रांस वीमेन रेशमा जी के आंदोलन का नतीजा रहा कि बिहार पुलिस की बहाली में ट्रांसजेंडर के लिए स्पेशल कोटा रखा गया है।
अब तक छह-सात को जॉब मिल चुका है
पिछले ढाई दशकों से बच्चों को कंपटिटीव एक्जाम की तैयारी करवा रहे गुरु रहमान कहते हैं, मधु के रिजल्ट ने अपना सीना भी गर्व से चौड़ा कर दिया है। ऐसे लोगों को, जिन्हें समाज हिकारत भरी नजरों से देखता है, अब वही समाज उन्हें सैल्यूट करेगा। अपना जीवन तो अब सफल हो गया है। पहले इन ट्रांसजेंडर से डर लगता था। मधु के साथ ही दो और ट्रांसजेंडर का बिहार पुलिस में दारोगा पद के लिए चयन हुआ है। इनमें सीतामढ़ी के रौनित झा और मुजफ्फरपुर के बंटी कुमार हैं। गुरु रहमान के अनुसार, उनके यहां पिछले तीन साल से 25 लोग पढ़ाई कर रहे हैं। इन्हें पढ़ाना मेरे लिए भी एक चैलेंज था। पहले तो इन्हें सहज करना था कि वह भी एक सामान्य इंसान ही हैं। इसके बाद जैसे ही ये सहज हो गये, उसके बाद तो हर कंपीटिटीव एग्जाम में इनका रिजल्ट आने लगा।