पटना ब्यूरो।
सोर्सेज के अनुसार बिहार के छोटे से लेकर बड़े जेलों में इस नेटवर्क के 200 से लेकर 250 तक लड़के शामिल हो सकते हैं। जो समय-समय पर अंदर और बाहर आते-जाते रहते हैं। नेटवर्क के लड़के जो भी होते हैं। उनका यह गैंग पूरा ख्याल रखता है। यहां तक कि उनकी वित्तीय जरूरतें भी ये गैंग पूरा करती है। ज्ञात हो कि फिलहाल लॉरेंस विश्नोई की पूरे देश में चर्चा हो रही है। क्राइम की दुनिया में लॉरेंस विश्नोई बड़ा नाम है। हाल में एनसीपी नेता बाबा सिद्धिकी की हत्या में उसका नाम आने के बाद कुछ लोगों के लिए जहां वह सोशल मीडिया सेंसेशन बन चुका है। सोशल मीडिया में ट्रेंड कर रहा है। वहीं कुछ लोग उसे महज एक सड़क छाप अपराधी मानते हैं। सड़क छाप अपराधी मानने वालों में सांसद पप्पू यादव का नाम भी शामिल है। अंडरवल्र्ड में लॉरेंस के बढ़ते कद और नेटवर्क की चर्चा हर ओर हो रही है। कनाडा में खालिस्तानी आतंकियों के रहस्यमयी हत्या में भी कनाडा की ऑथरिटी ने लॉरेंस गैंग का नाम लिया है। इससे समझा जा सकता है कि लॉरेंस का नेटवर्क विदेशों तक में फैला है। क्राइम की दुनिया की ओर जाने वाले युवा आज उससे प्रभावित हो रहे हैं। यही कारण है कि बिहार के भी कमोबेश सभी जेलों में उसका नेटवर्क है।
कैसे करता है यह नेटवर्क काम
हाल ही में जेल से आने वाले एक पूर्व युवा कैदी ने बताया कि यह गैंग अवैध सिम नेटवर्क के माध्यम से एक-दूसरे से जुड़ा होता है। यह सिम ऐसे लोगों के नाम से होता है जिन्हें खुद भी पता नहीं होता है कि कभी किसी ने उनके नाम से सिम इश्यू करा रखा है। गोपनीयता इस लेवल तक होता है कि वार्ड में रहने वाले दूसरे कैदियों तक को इसकी भनक नहीं होती है कि वह किससे बात करता है।
लॉरेंस तक नहीं होती सीधी पहुंच
इन कैदियों की लॉरेंस तक सीधे पहुंच नहीं होती है। यह चार-पांच लेयर नीचे जुड़े होते हैं। अगर लॉरेंस नेटवर्क द्वारा कोई आदेश दिया जाता है तब वे इसे अपने नेटवर्क में सर्कुलेट करा कर काम कराते हैं। जो कैदी जेलों से बाहर आते हैं वे इस नेटवर्क के लिए काम करते हैं। जेलों से सीधा निर्देश इनके पास आता है। हालांकि यह कह पाना मुश्किल है कि सभी मामलों में सीधे तौर पर लॉरेंस नेटवर्क की कोई भूमिका होती है। क्योंकि यह नेटवर्क हाई प्रोफाइल मामले में अपना नाम आने पर ज्यादा खुश होते हैं।
पैसों की नहीं होती है कमी
नेटवर्क के लिए काम करने वाले लड़कों के लिए जेल में पैसों की कमी नहीं होने दी जाती है। जिसके दम पर ये लोग जेलर से लेकर वार्डेन तक से अच्छा संबंध कायम कर लेते हैं। जेल में इन्हें किसी भी चीज की दिक्कत नहीं होती है। इनके लिए वकील से लेकर तमाम जो खर्चे हैं वह नेटवर्क के लोग उठाते हैं। वहीं जो लड़के जेल के बाहर होते हैं उन्हें टास्क पूरा करने को दिया जाता है। बदले में उन्हें विदेशों में अच्छी जिंदगी से लेकर मोटी रकम तक का ऑफर दिया जाता है।
लग्जरी गाडिय़ों तक का कारोबार
जेल से छूटे पूर्व कैदी ने बताया कि जेलों में रहकर ये लोग सिर्फ प्लानिंग पर काम करते हैं। इनके प्लान को इम्पिलिमेंट करने का काम बाहर रह रहे लोग करते हैं। इसमें नकली नोट से लेकर सुपारी किलिंग तक का काम होता है। पंजाब और हरियाणा से लग्जरी गाडिय़ों की चोरी करके उसे बिहार लाना और चेचीस को रिकंस्ट्रक्ट कर फिर से उसे ब्लैक मार्केट में बेचने तक काम इनका होता है।
लॉरेंस गैंग का शूटर जब पकड़ा गया
बिहार में लॉरेंस नेटवर्क के विस्तार का पता इस बात से भी चलता है कि जुलाई 2024 में पुलिस लॉरेंस गैंग के दो शूटरों को पकडऩे का दावा करती है। गोपालगंज के तत्कालीन एसपी स्वर्ण प्रभात ने तब बताया था कि पकड़े गए अपराधियों में एक का नाम कमल रावत है। वह राजस्थान के अजमेर का रहने वाला है। दूसरे का नाम शांतनु शिवम है। वह बिहार के मुजफ्फरपुर का रहने वाला है। दोनों नागालैंड नंबर की गाड़ी से जा रहे थे। यह लोग मुजफ्फरपुर और मोतिहारी में अपने नेटवर्क के आदेश के बाद किसी बड़े वारदात को अंजाम देने जा रहे थे। एसटीएफ ने चेकिंग के दौरान इन्हें पकड़ा था। इनके पास से चार ऑस्ट्रियाई पिस्टल मिली थी।
सुनील उर्फ मयंक कर रहा था ऑपरेट
लॉरेंस बिश्नोई गैंग के दो गुर्गों की गिरफ्तारी के बाद उनके कनेक्शन विदेशों से जुड़ा हुआ पाया गया था। गोपालगंज के तत्कालीन एसपी स्वर्ण प्रभात ने बताया था कि विदेश में बैठा लॉरेंस बिश्नोई का गुर्गा एसके मीणा उर्फ मयंक सिंह उर्फ सुनील मीणा को हर हाल में गिरफ्तार कर लाया जाएगा। क्योंकि यही बिहार में लॉरेंस नेटवर्क को हेड कर रहा था। बिहार पुलिस ने फरार तीन गुर्गों पर इनाम की बड़ी रकम रखी है। गैंग को ऑपरेट कर रहे एसके मीणा उर्फ मयंक सिंह उर्फ सुनील मीणा पर एक लाख के इनाम की घोषणा की जा गई थी। मयंक उर्फ सुनील मीणा विदेश में छिपा हुआ है।