पटना ब्‍यूरो।

इस कांड में न केवल एक घंटे के अंदर अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया, बल्कि 14वें दिन ही पुलिस ने आरोप-पत्र (चार्जशीट) दाखिल कर दिया। बिहार पुलिस का दावा है कि यह भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत हत्या जैसे गंभीर कांड में देशभर में दी गई पहली सजा है।

सारण एसपी सहित छह पुलिसकर्मी सम्मानित


सारण पुलिस की इस उपलब्धि को डीजीपी अलोक राज ने पुलिसिंग का एक शानदार उदाहरण बताते हुए पुलिसकर्मियों की तारिफ की है। उन्होंने सारण के एसपी डॉ। कुमार आशीष, डीएसपी राजकुमार, इंस्पेक्टर राकेश कुमार, एसआई रविंद्र कुमार के अलावा पीपी सुरेंद्र नाथ व फोरेंसिक एक्सपर्ट रचना कुमारी को प्रशस्ति सम्मानित किया है। डीजीपी ने केस में शामिल पुलिसकर्मियों के लिए नकद पुरस्कार की भी घोषणा की है। इसके अलावा केंद्रीय गृहमंत्री पदक के लिए अनुशंसा की जायेगी।

14 दिनों में चार्जशीट फाइल 50 दिनों में सजा


एक जुलाई से लागू नए कानूनों में घटनास्थल और आरोपितों-पीडि़तों के बयान की वीडियोग्राफी अनिवार्य कर दी गई है। इसके अलावा सात साल से अधिक सजा वाले कांडों में एफएसएल जांच भी अनिवार्य है। इन सब व्यवस्थाओं के कारण भी अभियुक्तों को जल्द सजा दिलाने की राह आसान हुई। सारण एसपी डा। कुमार आशीष ने बताया कि 17 जुलाई की रात पिता और दो नाबालिग बेटियों की धारदार हथियार से हत्या की सूचना डायल-112 के जरिए मिली। पुलिस की टीम तुरंत घटनास्थल पर पहुंची जहां बेटियों की मां की निशानदेही पर अभियुक्त सुधांशु कुमार और अंकित कुमार को चिह्नित कर एक घंटे के अंदर गिरफ्तार कर लिया गया। आरोपित जब पकड़े गए तो वह खून लगे कपड़े जला रहे थे। उनके हाथ-पैर पर घाव लगा था और खून के छींटे थे। उनकी निशानदेही पर पास के ही कुएं से हत्या में शामिल चाकू भी बरामद कर लिया गया। इन सभी घटनाओं की वीडियोग्राफी कराई गई और सैंपल लिए गए। इससे अभियुक्त के विरुद्ध ठोस साक्ष्य जमा हो गए। जिलाधिकारी से बात कर मृतकों की पोस्टमार्टम जांच के लिए मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया। अभियुक्त के हाथ-पैर से मिले रक्त के नमूनों की डीएनए जांच की गई। इन सभी की रिपोर्ट समय से तैयार हुई। पुलिस ने घटना के 14वें दिन कोर्ट में आरोप-पत्र जमा कर दिया। इसके बाद जिला न्यायाधीश से मिलकर कांड का स्पीडी ट्रायल करने का अनुरोध किया गया। आठ अगस्त से कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई। इस कांड में 12 गवाह थे, जिनकी 13 अगस्त से प्रतिदिन गवाही हुई। तीन सितंबर को जिला सत्र न्यायाधीश ने दोनों अभियुक्तों को दोषी करार दिया जबकि पांच सितंबर को 50वें दिन दंड सुनाया।

बीएनएस कानून लागू होने के 68 वां दिन सजा


सारण एसपी ने दावा किया कि बीएनएस कानून लागू होने के बाद पूरे देश में यह पहली सजा सुनाई गई है। मामले में सभी की अहम और महत्वपूर्ण भूमिका रही है। खुद उन्होंने व अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने इस मामले में ट्रायल कोर्ट के जज से मिलकर त्वरित गति से इसके निपटारे का अनुरोध किया था। आज जब दोनों अभियुक्तों को ट्रीपल मर्डर के इस जघन्य हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा सुना दी गई है।

बयान :
हमारी सोच थी कि तिहरे हत्याकांड की घटना जितनी जघन्य है सजा भी वैसी ही होनी चाहिए, ताकि अपराधियों के बीच एक संदेश जाए। त्वरित और वैज्ञानिक जांच की बदौलत हमने यह काम कर दिखाया है। हत्या जैसे गंभीर कांड में बीएनएस के तहत यह देश में पहली सजा है।
- डा। कुमार आशीष, एसपी, सारण