पटना ब्यूरो।
आनन-फानन होटलकर्मियों ने किचन और स्टोर रूम से सभी सिलेंडरों को बाहर निकाला। थोड़ी देर में लोदीपुर फायर स्टेशन से दमकल की छह गाडिय़ां मौके पर पहुंच गईं। दमकलकर्मी आग बुझाने में जुट गए। आग से बैंक्वेट हाल में रखे फर्नीचर, टीवी सहित अन्य जलकर राख हो गए। अग्निशमन पदाधिकारी मनोज कुमार नट ने बताया कि प्रारंभिक जांच में शार्ट सर्किट से आग लगने की आशंका है। सूचना मिलते ही दमकलकर्मी मौके पर पहुंच गए। होटल के कमरे में जहां लोग ठहरे थे, वहां तक आग नहीं पहुंचने दिया गया। हाइड्रोलिक प्लेटफार्म को भी भेजा गया था। किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। करीब दो घंटे में आग पर काबू पाया गया।
90 से अधिक हैं कमरे
मारवाड़ी आवास गृह में 90 से अधिक कमरे हैं। रिसेप्शन के बगल में ही बैंक्वेट हाल है। इसके बाद ठहरने के लिए कमरे हैं। उसमें सामान रखे हुए थे। होटल में हर समय 20 से 22 कर्मी शिफ्टवार ड्यूटी करते थे। रविवार को होटल में गेस्ट की संख्या कम थी। 22 लोग अलग-अलग कमरों में ठहरे थे। सुबह करीब 7:45 बजे किसी कर्मी ने बैंक्वेट हाल से धुंआ उठते देख शोर मचाया। कुछ कर्मी हाल शीशा तोड़कर आग बुझाने में जुट गए तो कुछ कर्मचारी कमरों में सो रहे लोगों को जगाने लगे। आग की सूचना पर होटल में ठहरे लोग हड़बड़ा कर बाहर निकलने लगे। इसी सूचना फायर स्टेशन और थाना पुलिस को दी गई। इस बीच, आग पूरे हाल में फैल गई और लपटें उपर तक उठने लगीं। इसके पूर्व कर्मी किचन और स्टोर रूप में रखे सभी रसोई गैस सिलेंडर को बाहर कर चुके थे। आग से कितने की संपत्ति का नुकसान हुआ है, इसका आकलन किया जा रहा है।
होटलों में झुलसने से चली गई थी छह की जान
25 अप्रैल को पटना जंक्शन गोलंबर से सटे चार मंजिला होटल पाल और अमृत लाज में भीषण आग लग गई थी। किचन का सिलेंडर ब्लास्ट से पल भर में धू-धूकर दोनों होटल जलने लगे। इसमें छह लोगों की घटना के दिन ही मौत हो गई थी, जबकि आधा दर्जन से अधिक लोग गंभीर रूप से झुलस गए थे। दोनों होटल मालिक के खिलाफ कोतवाली थाने में केस दर्ज किया गया। घटना में कार्रवाई के नाम पर सिर्फ केस दर्ज किया गया। उन मौतों का जिम्मेदार कौन था? जांच फाइलों में ही दब गया।
कार्रवाई के नाम पर नोटिस
जंक्शन गोलंबर के पास होटलों में आगलगी के बाद जिला प्रशासन, अग्निशमन विभाग और पुलिस की संयुक्त टीम ऐसे होटलों की जांच में जुट गई थी। पांच सौ से अधिक होटल और लाज की जांच हुई। फायर सेफ्टी के छह बिन्दुओं पर जांच की गई। इसमें कई होटल ऐसे मिले थे, जहां फायर सेफ्टी के सभी नियमों का पालन नहीं किया जा रहा था। तब दावा किया गया कि ऐसे होटलों को नोटिस दिया जा रहा है। रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई तय होगी। होटल मालिकों के साथ अग्निशमन विभाग बैठक कर फायर सेफ्टी के नियमों का पालन करने का निर्देश था।
जहां सबसे अधिक लगती आग, ऐसे 19 हाट स्पॉट
ऐसे 19 इलाके हैं, जिनकी पहचान फायर हाट स्पाट में की गई हैं। इसमें दिनकर गोलंबर, मीठापुर, शास्त्रीनगर, गर्दनीबाग, बैरिया, पीरबहोर, बुद्धा कालोनी, गांधी मैदान क्षेत्र सहित अन्य इलाके हैं। इन इलाकों में सबसे ज्यादा आगजनी की घटनाएं होती हैं।
गलियों में होटल और लाज खतरनाक
जंक्शन गोलंबर के पास अधिकांश होटल और लाज संचालित किए जा रहे हैं, जहां आग लगने पर हाइड्रोलिक प्लेटफार्म तो दूर की बात है, दमकल की गाड़ी को भी रास्ता भी नहीं मिलेगा। पूर्व में आडिट के दौरान कई ऐसे होटल मिले थे, जो पुराने भवन में चल रहे थ उन होटलों तक चार पहिया वाहन से भी पहुंचा मुश्किल है। सीढ़ी की चौड़ाई काफी कम हैं। कई ऐसे भी होटल है, जहां के कमरों में खिड़की तक नहीं। स्टेशन के आसपास कई मकान को होटल बना दिया गया। होटल संचालिक करने के मानकों और संबंधित विभाग से अनुमति तक नहीं ली जाती। जहां जिसकी मर्जी हुई, वहीं बोर्ड लगाकर होटल खोल बैठा है। कुछ बिङ्क्षल्डग में एक ही साथ लाज, दुकान, होटल, रेस्टोरेंट और गोदाम भी बनाया गया है।