पटना ब्‍यूरो।

18 घंटे से अधिक समय से गायब दो मासूम बच्चों का शव एक कंस्ट्रक्शन साइट पर सोमवार की सुबह पानी भरे गड्ढे में मिला। दोनों बालक विवेक (10) और प्रत्यूष (11) गर्दनीबाग थाना क्षेत्र के सरिस्ताबाद के रहने वाले थे। वे रविवार की दोपहर से लापता थे। स्वजन के मुताबिक, बच्चों के हाथ-पैर रस्सी से बंधे थे। उनके शरीर पर बर्बरता से पिटाई करने के निशान हैं। आंखें फोडऩे का भी आरोप लगाया गया है। उनका कहना है कि ग्रीन सिटी प्रोजेक्ट का काम काफी समय से लंबित था। काम में तेजी आए, इसलिए बालकों की बलि दी गई है। ऐसे आरोपों के समर्थन में गुस्साए लोगों अनिसाबाद-जीरो माइल का रास्ता जाम कर दिया। वे आगजनी कर प्रदर्शन करने लगे। सूचना मिलते ही सिटी एसपी अभिनव धीमान दलबल के साथ मौके पर पहुंचे। एफएसएल की टीम ने भी घटनास्थल से साक्ष्य एकत्र किए। कंस्ट्रक्शन साइट के गार्ड को हिरासत में लिया गया है। निष्पक्ष जांच का आश्वासन मिलने पर लोगों ने करीब आठ घंटे बाद जाम हटाया।

18 घंटे से गायब थे दोनों मासूम


दोनों मासूमों का शव मिलने के बाद लोग आक्रोशित हो गए। बाइपास रोड को जाम कर दिया गया। सड़क पर आगजनी की गई। वहीं मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों को लोगों के आक्रोश का सामना करना पड़ा। विवेक और प्रत्यूष एक दूसरे के पड़ोसी थे। रविवार दोपहर से ही दोनों घर से गायब थे। परिजनों ने पूरा दिन उनकी खोजबीन शुरू की। नहीं मिलने पर रात 11 बजे गर्दनीबाग थाने पहुंचे थे। पुलिस को परिजनों ने बताया था कि दिन के 11 बजे दोनों बच्चे एक अन्य बालक के साथ खेलने गए थे। तीसरा बालक एक घंटे बाद लौट आया, मगर दोनों नहीं आए। इसके बाद प्रभारी थानेदार दीपक कुमार मणि ने सीसी कैमरों के फुटेज खंगालना शुरू किया तो तीनों बच्चे एक साथ जाते दिखे। तीसरे बच्चे ने पुलिस को बताया कि विवेक और प्रत्यूष घुड़सवारी करने के लिए सिपारा चले गए थे। इस पर वह घर लौट आया था। रात के करीब तीन बजे तक पुलिस फुटेज का अवलोकन करती रही, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला।

प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए बच्चों को बली दी गई


मृतक विवेक के पिता विनोद कुमार ने बताया कि दोनों बच्चों की मौत डूबने से नहीं हुई है। बल्कि उनकी हत्या की गई है। ग्रिन सिटी प्रोजेक्ट का काम कुछ दिन से रुका हुआ था। उसमें कुछ बाधाएं आ रही थी। इसलिए बच्चों की हत्या कर उनकी बलि दी गई और उसे डूबने से मौत दिखाया गया। जबकि मृतक प्रत्यूष राज के पिता विकास कुमार ने बताया कि उनका बच्चा गाइडलाइन इंटरनेशनल स्कूल में पांचवी क्लास में पढ़ता था। वहीं विवेक भी वहीं पढ़ता था। विकास ने भी हत्या की आशंका जताई है।

गार्ड की पिटाई, कार को किया क्षतिग्रस्त


बच्चों के शव मिलने की सूचना मिलते ही घटनास्थल पर लोगों की काफी भीड़ जमा हो गई थी। आक्रोशित लोगों ने कंस्ट्रक्शन साइट के गार्ड की पिटाई कर दी। वहां खड़ी एक कार को भी क्षतिग्रस्त कर दिया और उग्र प्रदर्शन करने लगे। हालात पर काबू पाने के लिए आसपास के थानों की पुलिस के साथ वज्र वाहन और दमकल को भी बुलाया गया। स्वजन का आरोप था कि ग्रीन सिटी प्रोजेक्ट का निर्माण एक बड़े राजनेता के रिश्तेदार करवा रहे हैं, इसलिए पुलिस मामले को दूसरा मोड़ देने की कोशिश कर रही है। गार्ड के रूम से एफएसएल की टीम ने रस्सी भी बरामद की है। उसी से बच्चों के हाथ-पैर बांधे जाने की बात कही जा रही थी।

चार घंटे सड़क रही जाम
प्रदर्शन की वजह से बाइपास पर करीब चार घंटे तक जाम लगा रहा। जिसकी वजह से दोनों ओर वाहनों की लम्बी कतार लग गई। सुबह-सुबह जाम की वजह से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ा। विशेषकर सुबह-सुबह ऑफिस जाने वाले लोग इससे काफी प्रभावित हुए।

बुझ गया घर का इकलौता चिराग


न्यू बाइपास के नजदीक एक कंस्ट्रक्शन साइट पर सोमवार की सुबह दो बालकों की हृदयविदारक मृत्यु से लोगों की आंखें भीग गईं। प्रत्यूष का शव देख पिता विकास यादव की हालत खराब थी। मां मनिता देवी दो बेटियों के साथ छाती पीटती हुई मौके पर पहुंचीं और प्रत्यूष का सिर गोद में रखते ही बेहोश हो गईं। मौके पर मौजूद महिलाओं ने उन्हें किसी तरह संभाला। उनके मुंह से आवाज नहीं निकल रही थी। प्रत्यूष, विकास और मनिता का इकलौता बेटा था। बहन नंदनी और अंजलि भी जार-जार रो रही थी। उधर, विवेक की मां पूनम देवी और पिता विनोद यादव का भी यही हाल था। विवेक दो बहनों और दो भाइयों में बड़ा था। उसकी बहनें कोमल और काजल और भाई अभिषेक की आंखों से आंसू थम नहीं रहे थे। सोमवार को दोनों बालकों के शवों का एम्स, पटना में पोस्टमार्टम कराया गया।

दोनों बच्चों के शव मिले दूरी पर


विनोद ने बताया कि दोनों बच्चों के शव लगभग सौ मीटर दूरी पर मिले। चारदीवारी के अंदर जो कमरा बना है, उसी में गार्ड रहता है। उसी कमरे से रस्सी बरामद हुई। ठीक वैसी ही रस्सी से विवेक बंधा था। उन्हें अंदेशा है कि रात भर दोनों बालकों को बेरहमी से पीटा गया। उनके साथ क्रूरता की गई और जब दोनों ने दम तोड़ दिया, तब उनके शव अलग-अलग जगह गड्ढे में फेंक दिए गए। विनोद के मुताबिक, उन्होंने रात भर खोजबीन की थी। इस दौरान वे कंस्ट्रक्शन साइट की ओर भी गए थे, मगर वहां कोई नहीं दिखा। ऐसे में उन्होंने अनुमान लगाया है कि बालकों को भोर में चार बजे के बाद गड्ढे में फेंका गया था।

पीछे के रास्ते से घुस जाते हैं लोग


सूत्र बताते हैं कि गार्ड ने प्रारंभिक पूछताछ में पुलिस को बताया कि करकुटनुमा चारदीवारी के आगे तो गेट लगा है, मगर पीछे खाली स्थान है। वहां से लोग अक्सर प्रवेश कर जाते हैं। वह आगे-पीछे घूमते रहता है, ताकि निर्माण सामग्री की चोरी न हो। पुलिस ने जब उससे पूछा कि दोनों बालकों के शव पड़े रहे, मगर तुम्हें इसकी जानकारी क्यों नहीं हुई? इस पर उसने कहा कि रविवार की रात बारिश हो रही थी। इस कारण वह निर्माण साइट पर बने कार्यालय में ही था।

बच्चों की मौत डूबने से हुई


बच्चों के शव को देखने से प्रथम दृष्टया प्रतीत होता है कि उनकी मौत डूबने से हुई है। बच्चों के कपड़े और चप्पल उसी गड्डे के किनारे मिला है। बच्चों के कदमों के निशान भी पानी में जाने के मिले हैं। फिर भी परिजनों के आरोप पर पुलिस मामले की जांच सभी एंगल से कर रही है। ग्रिन सिटी प्रोजेक्ट का सीसीटीवी फुटेज भी खंगाला जा रहा है।
राजीव मिश्रा
डीआईजी सह एसएसपी पटना