पटना (ब्यूरो)। बारिश के दिनों में अगर आप पाटिलपुत्रा अंतरराज्यीय बस स्टैंड बैरिया से सफर करने के लिए सोच रहे हैं तो बेशक करिए। लेकिन घर से निकलते समय एक जोड़ी कपड़े एक्स्ट्रा साथ में रख लीजिए। क्योंकि 339 करोड़ की लागत से बने इस बस स्टैंड में बारिश के दिनों में चारो तरफ कीचड़ ही कीचड़ दिखता है। स्टैंड के अंदर जाने के बाद कीचड़ की वजह से पैसेंजर्स के कपड़े खराब हो जाते हैं। इसकी शिकायत दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के पास पिछले कई दिनों से मिल रही थी। पड़ताल करने के लिए हमारी टीम जब मौके पर पहुंची तो पता चला कि आईएसबीटी मेन गेट के पास जल निकासी की उचित व्यवस्था बस स्टैंड प्रशासन की ओर से नहीं की गई है। जिस वजह से पैसेंजर्स के कपड़े में कीचड़ लग जाता है। इतना ही नहीं यहां के ऑटो चालक पैसेंजर्स से मनमाना किराया वसूलते हैं। पढि़ए विस्तृत रिपोर्ट
पहली बारिश में खुला पोल
पिछले साल अगस्त में मीठापुर से बैरिया स्थित पाटिलपुत्रा अंतरराज्यीय बस स्टैंड शिफ्ट कर दिया गया। बारिश होने पर भी निर्माण के नाम पर अधिकारी बचते रहे। लेकिन निर्माण संबंधित अधिकांश कार्य पूरा होने के बाद मेन एंट्री गेट पर जल निकासी की कोई व्यवस्था नहीं होने से न सिर्फ पैसेंजर्स के कपड़े खराब हो रहे हैं बल्कि बस स्टैंड की सुंदरता पर भी ग्रहण लग रहा है।
सड़क मार्ग से है काफी नीचे
पैसेंजर्स और ड्राइवरों ने बताया कि मुख्य सड़क मार्ग से लगभग 2 फीट नीचे बस स्टैंड बनाया गया है। बारिश के दिनों में जल निकासी की उचित व्यवस्था नहीं होने के चलते पानी मेन गेट से लेकर पूरे स्टैंड कैंपस में जम जाता है। पानी में बस आने की वजह से पूरा कैंपस में कीचड़ में बदल जाता है। जिस वजह से पैसेंजर परेशान होते रहते हैं। दरभंगा जाने वाले पैसेंजर सुजय ने बताया कि बस स्टैंड तो सरकार ने बना दिया है लेकिन पैसेंजर्स की सुविधा नजर अंदाज कर दिया है। जिस वजह से यात्रा करने वाले यात्री बस स्टैंड पहुंचने पर परेशान होते रहते हैं।
वसूलते हैं मनमाना किराया
पाटलिपुत्रा बस स्टैंड से पटना जंक्शन आने के लिए सरकार द्वारा 40 रुपए प्रति यात्री के हिसाब से किराया निर्धारित है। मगर ऑटो चालक यात्रियों से 50 से 60 रुपए प्रति यात्री के हिसाब से चार्ज करते हैं। और तो और पटना जंक्शन से आने वाले यात्रियों को बस स्टैंड से तकरीबन एक किमी दूर बाइपास पर ये कहकर उतार देते हैं कि बस यही से मिलेगा। यात्रियों को उतारने के बाद खुद भाग जाते हैं। जिसके बाद बस के इंतजार में यात्री परेशान होते रहते हैं।