पटना ब्‍यूरो। बेंगलुरु के श्री कांतिरवा स्टेडियम में संपन्न 13वीं जूनियर और सब जूनियर नेशनल पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में बिहार पैरा एथलेटिक्स टीम ने 9 पदक जीते। इसमें 2 गोल्ड, 4 सिल्वर और 3 ब्रॉन्ज मेडल है। यह चैंपियनशिप भारत की पैरालंपिक समिति द्वारा 15 से 17 जुलाई तक आयोजित की गई थी। बिहार पैरा स्पोटर्स एसोसिएशन के संदीप कुमार ने बताया कि सौम्या शरद चंद्र ने जूनियर टी-20 वर्ग के 1500 मीटर दौड़ में रजत पदक जीता। वहीं, धीरज कुमार ने जूनियर टी-46 वर्ग में 1500 मीटर दौड़ में कांस्य पदक, मुहम्मद मुर्सलीम ने सब जूनियर टी-11 वर्ग में 1500 मीटर दौड़ में रजत पदक जीता। वहीं, गोल्डी कुमारी ने सब जूनियर टीएफ-46 वर्ग की शॉटपुट स्पर्धा में रजत पदक, नेहा कुमारी ने जूनियर टीएफ-47 वर्ग की लॉन्ग जंप स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता। इसके अलावा गोल्डी कुमारी ने सब जूनियर टीएफ-46 भाला फेंक स्पर्धा में रजत पदक, डिस्कस थ्रो स्पर्धा में स्वर्ण और धीरज कुमार ने जूनियर टीएफ-46 श्रेणी डिस्कस थ्रो इवेंट में कांस्य पदक जीता और अपने राज्य का नाम रोशन किया। इसमें टीम कोच के रूप में कुन्दन कुमार पांडे (नालंदा) और हरिमोहन सिंह (मुंगेर) ने हिस्सा लिया।

बख्तियारपुर की गोल्डी ने जीते तीन मेडल
पटना के बख्तियारपुर की गोल्डी कुमारी ने 13वीं जूनियर और सब जूनियर नेशनल पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में तीन मेडल अपने नाम किए। उन्होंने डिस्कस थ्रो कैटेगरी में स्वर्ण पदक, सब जूनियर टीएफ-46 वर्ग की शॉटपुट कैटेगरी में रजत पदक और सब जूनियर टीएफ-46 जैवलिन थ्रो कैटेगरी में रजत पदक अपने नाम किया। गोल्डी ने एक साल की उम्र में ही अपना बायां हाथ खो दिया था, लेकिन अपनी काबिलियत के दम पर उन्होंने अपने हुनर का लोहा मनवाया है।

ट्रेन एक्सीडेंट में खोया अपना बायां हाथ
गोल्डी के चाचा विनय कुमार ने बताया कि एक ट्रेन एक्सीडेंट में गोल्डी ने अपने बाएं हाथ को खो दिया था। उनकी मां जब ट्रेन से उतर रही थी, तब गोल्डी उनके गोद में थी। उस वक्त ट्रेन हल्की चल रही थी। उसी दौरान उनके मां की साड़ी ट्रेन में फंस गई और और यह घटना घटी। गोल्डी की मां की मौके पर ही मृत्यु हो गई और गोल्डी का एक हाथ ट्रेन के पटरी के नीचे आ गया और चक्का चढ़ने से उन्होंने अपना बायां हाथ खो दिया।

नानी घर में हुआ पालन-पोषण
16 वर्षीय गोल्डी का पालन-पोषण उनके नानी घर में ही हुआ है। उनके पिता एक किसान हैं। घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण गोल्डी को काफी परेशानी हुई। हालांकि, स्कूल में आयोजित एथलेटिक्स में गोल्डी काफी अच्छा कर रही थी। फिर उनकी मुलाकात कोच कुंदन कुमार पांडे से हुई, उन्होंने गोल्डी को पारा गेम्स के बारे में बताया और अपने अंडर ट्रेनिंग में उन्हें सिखाया। गोल्डी का सपना आगे देश के लिए ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतना है।