पटना ब्यूरो। नगर निगम शहर में हैदराबाद, दिल्ली व मुंबई की तर्ज पर लू कैफे बनाने जा रहा है। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पहले फेज में शहर में 6 जगहों पर इस लू कैफे को तैयार किया जाएगा। निगम ने चीफ आर्किटेक्ट को प्रस्ताव भेजा है.अधिकारियों का मानना है कि इससे शौचालयों की सफाई व्यवस्था बेहतर रहेगी, वहीं दूसरी ओर निगम को आमदनी भी होगी। निगम इस योजना को प्राथमिकता के आधार पर शहर के पार्कों में लागू करवाना चाहती है। पटना नगर निगम के नगर आयुक्त अनिमेष कुमार एल पराशर ने बताया कि इसी महीने इस कैफे को तैयार करने के लिए काम शुरू कर दिया गया है। शुरुआत में लोकेशन चयन में दिक्कतें आई थी लेकिन लोकेशन चयन कर सारी प्रक्रियाएं पूरी हो चुकी है।
20-25 लोगों के एक साथ बैठने की होगी व्यवस्था
पहले चरण में राजा बाजार में 2, कंकड़बाग में 2 और एग्जिबिशन रोड में 2 जगहों पर इस लू कैफे को तैयार किया जाएगा। निगम की ओर से ऐसी कोशिश की जाएगी की पुल के नीचे दो पाया के बीच मिलने वाली जगह में इस कैफे को तैयार किया जाए। इस कैफे में लगभग 20-25 लोगों के एक साथ बैठने की व्यवस्था होगी। निगम की ओर से ये कहा गया है कि जिस कंपनी को भी इस लू कैफे का टेंडर मिलेगा वही कंपनी शौचालय के साफ-सफाई की भी निगरानी करेगी।
नगर निगम को भी मार्किंग के साथ राजस्व का लाभ
स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत शौचालयों की सफाई के काफी नंबर होते हैं। ऐसे में व्यवस्थित शौचालयों के लिए यह योजना काफी अच्छी है। कुछ सेक्टरों में यह योजना सफल रही तो आगे जिन शौचालयों में जगह होगी, वहां इसे लागू करेंगे। निगम का एक टॉयलेट ब्लॉक पर लगभग 40 से 50 हजार रुपये का खर्चा आता है। यह योजना सफल रही तो उनकी सफाई का खर्चा निगम को न करके वेंडर को ही करना होगा। वेंडर अपना व्यवसाय चलाने के लिए शौचालयों की सफाई पर बेहतर ध्यान देंगे। शौचालयों के आसपास कैफे बनाए गए कैफे में कॉपी, चाय और समोसे जैसे खाद्य पदार्थ मिलते हैं। इस कारण लोगों की आवाजाही ज्यादा रहती है और जिस व्यक्ति को जिम्मेदारी दी जाती है, वह भी शौचालयों को साफ करने के लिए बाध्य रहता है। असम और चेन्नई ने इस योजना को अपने यहां लागू किया है।
लू-कैफे में यह खास
- लू कैफे में लोग अपनी पसंद का स्वल्पाहार ले सकेंगे।
- बच्चों को स्तनपान कराने के लिए कैफे में सुरक्षित एरिया बनेगा।
- टॉयलेट का उपयोग करने पर पैसा लिया जाएगा।
- लोगों को नहाने के लिए बाथरूम रहेंगे।
6 स्थानों का सर्वे हुआ है
लू कैफे ऐसे स्थानों पर बनाया जाएगा। जहां पर ज्यादातर लोगों का आना-जाना होता है। इनकी सफलता के बाद टारगेट के मुताबिक 30 लू कैफे बनाए जाएंगे।
क्या होता है लू कैफे
लू एक ब्रिटिश टर्म है, जिसका मतलब टॉयलेट होता है। लू कैफे एक विशेष थीम की तरह है, जहां एक तरफ कैफेटेरिया और दूसरी तरफ मॉर्डन टॉयलेट होता है। पटना नगर निगम द्वारा शहर के प्रमुख और भीड़-भाड़ वाले जगह पर आम लोगों के लिए एक ऐसा कॉर्नर तैयार किया जा रहा है, जहां न सिर्फ वह आकर्षक ढंग से तैयार कैफे में खाने पीने का लुफ्त उठा सकते हैं, बल्कि वहां आधुनिक और मॉर्डन तकनीक के टॉयलेट की भी सुविधा लेंगे।