- सशक्त स्थायी समिति में चार ऑफिसर्स की गाड़ी पर उठी बात, ऑफिसर की गाड़ी दी जाएगी इंजीनियर्स को
- हवाला दिया गया कि सिर्फ ऑफिस में करते हैं काम, इसलिए नहीं मिलनी चाहिए गाड़ी
PATNA : एक दिन पहले नगर निगम की सशक्त स्थायी समिति की मीटिंग में इस बात पर मुहर लग गई कि नगर निगम के चार ऑफिसर ऑफिस ड्यूटी ही करते हैं, इसलिए उनकी गाड़ी हटा ली जाए, इसको लेकर नगर निगम में विवाद एक बार फिर से गहराने लगा है, क्योंकि जिन ऑफिसर से गाड़ी हटाने की बात चल रही है, उसमें से तीन सीनियर ऑफिसर हैं। इसमें से दो के पास शहर की सफाई का बागडोर है। वहीं, चौथे नगर सचिव हैं। ऐसे में सफाई सहित ऑफिस के काम को सही समय पर खत्म करने और शुरू करवाने की जवाबदेही इन्हीं ऑफिसर के कंधे पर है। अगर इनकी गाड़ी ले ली जाती है, तो फिर एक बड़ी समस्या सामने आने वाली है, क्योंकि तब इन ऑफिसर के पास शहर की सफाई के काम के लिए साइकिल का ही इस्तेमाल करना बचता है।
विपक्षी फिर से मामला उठाने की तैयारी में
सशक्त स्थायी समिति की ओर से लिए गए इस फैसले के बाद ऑफिसर खेमा शांत हैं, पर इसकी भनक लगते ही विपक्षी एक बार फिर से मामले को सजगता से उठाने की तैयारी में है। प्रोसिडिंग आते ही आगे की विरोध कार्य शुरू हो जाएगा, क्योंकि नगर निगम के सीनियर ऑफिसर को अगर गाड़ी नहीं मिलेगी, तो फिर वो साइकिल से ड्यूटी का काम नहीं कर सकते हैं। इस संबंध में पूर्व डिप्टी मेयर विनय कुमार पप्पू ने बताया कि यह पूरी तरह से गलत है। अगर ऑफिसर की गाड़ी ही ले ली जाएगी, तो फिर उनके काम करने का तरीका और लेवल का असर नगर निगम के वार्डो में दिखना शुरू हो जाएगा।
The other side
ऑफिसर की गाड़ी दी जाए इंजीनियर को
सशक्त स्थायी समिति की मीटिंग के दौरान यह निर्णय लिया गया है कि इन चार ऑफिसर की गाड़ी उनसे लेकर चार इंजीनियर को दी जाएगी। दलील यह था कि ये स्पॉट पर जाकर काम करते है, इसलिए गाड़ी इनके लिए जरूरी है।
बन सकता है वित्तीय अनियमितता का मामला
सशक्त स्थायी समिति की बोर्ड में यह भी फैसला लिया गया है कि अगर ऑफिसर आदेश के बाद भी गाड़ी का इस्तेमाल करते हैं, तो मामला वित्तीय अनियमितता का होगा और उसके लिए वो खुद व खुद दोषी होंगे। ऑफिसर्स फिलहाल इस तरह के किसी भी मामले को गलत बता रहे हैं।