पटना ब्यूरो। सीएम नीतीश कुमार ने इसका उद्घाटन किया। इसके साथ ही इस जलीय जीव के संरक्षण, रिसर्च और इसके अधिवास क्षेत्र को इको-टूरिज्म की दृष्टि से भी विकसित करने में मदद मिलेगी। इस मौके पर वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की सचिव वंदना प्रेयसी ने कहा कि पटना में गंगा नदी के किनारे स्थापित किए गए नेशनल डॉल्फिन रिसर्च सेंटर न केवल भारत बल्कि एशिया में अपनी तरह का सबसे बड़ा और पहला सेंटर है जो इसके रिसर्च के लिए डेडीकेटेड तरीके से काम करेगा। वर्ष 2009 में इसे राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया गया था।
रिसर्च सेंटर इन पहलूओं पर करेगा काम
नेशनल डॉल्फिन रिसर्च सेंटर का सपना सबसे पहले डॉल्फिनमैन डॉ। आरके सिन्हा ने ही पहल की थी। वर्ष 2011 से की पहल अब फलीभूत हुआ है। डॉ। आरके सिन्हा के गाइडेंस में अपना रिसर्च वर्क पूरा करने वाले और वर्तमान में जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया में प्रभारी अधिकारी एवं सीनियर साइंटिस्ट डॉ। गोपाल शर्मा ने भी डॉल्फिन के संरक्षण और इसकी आवश्यकता क्यों? जैसे गंभीर विषय पर काफी कार्य किया है। उन्होंने नेशलन डॉल्फिन रिसर्च सेंटर के अस्तित्व में आने पर खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा कि यह डॉल्फिन रिसर्च और इसके संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण कार्य करेगा। यह डॉल्फिन रिसर्च के लिए नोडल सेंटर है। यहां इस पर रिसर्च वर्क, संरक्षण, जागरूकता, क्षेत्र विकास और इसके मूल अधिवास क्षेत्र को स्थायी रूप से संरक्षित करने में बहुत सहायक सिद्ध होगा।
सैंड माइनिंग को भी रोकना होगा
जानकारी हो कि बिहार में गंगा के बहाव क्षेत्र में गांगेय डॉल्फिन का प्राकृतिक अधिवास है। लेकिन मानवीय गतिविधियों के बढऩे और अवैध तरीके से इसके शिकार की चिंता इसके संरक्षण की बड़ी चुनौती है। इससे निपटना होगा। डॉ। गोपाल शर्मा ने बताया कि जहां डॉल्फिन रिसर्च सेंटर इसके बचाव के लिए व्यापक सुविधा प्रदान करेगा। इसी कड़ी में साथ -साथ हैबिटेट डेवलपमेंट, थे्रट वाले इलाकों को चिन्हित करना, जाल में फंसने से बचाने और सैंड माइनिंग को भी रोकना होगा। यदि जरूरी होगा तो इसके लिए रिसर्च सेंटर से अनिवार्य रूप से अनुमति प्राप्त होने पर ही माइनिंग कराई जा सकती है।
जलीय जीवों में अनोखा
यह बात पहले बहुत कम लोग जानते थे कि डॉल्फिन मछली नहीं है बल्कि इंसानों की तरह ही एक्वेटिक एनिमल है। इस तकनीकी बात की जागृति लाने मेें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त एवं डॉल्फिनमैन के नाम से प्रसिद्ध डॉ। आरके सिन्हा की बहुत बड़ी भूमिका है। करीब एक वर्ष पूर्व ही पटना जू में डॉल्फिन पर जागरूकता कार्यक्रम में डॉ। आरके सिन्हा ने अपने रिसर्च वर्क की विस्तृत चर्चा की। उन्होंने बताया कि डॉल्फिन जैसे 11 प्रकार के स्तनपायी जीव पानी में रहते हैं। उन्होंने कहा कि डॉल्फिन मछली नहीं बल्कि एक अलग जीव है और इसे मारना दंडनीय अपराध है। बहुत लंबे समय तक पटना और बिहार में इसके अधिवास क्षेत्रों में गहन तरीके से जागरूकता और सोशल पार्टिसिपेशन को बढ़ावा देकर इसे बचाने के लिए अनुकरणीय पहल की गई।