पटना ब्यूरो। पटना जंक्शन गोलंबर के पास स्थित पाल होटल में गुरुवार को आग लगने से छह लोगों की मौत हो गई। जबकि हादसे में 38 लोग गंभीर रूप से जख्मी हो गए थे। ईश्वर न करें कि ऐसी घटना फिर से घटे, मगर पटना जंक्शन के पास ऐसे 350 से अधिक होटल हैं जहां आग लगने पर न सिर्फ होटल जल कर खाक हो जाएगा बल्कि लोगों को निकलने में भी काफी मशक्कत करनी पड़ेगी। संकरी गलियों में संचालित होटलों में आग की घटना पर काबू पाना मुश्किल होगा। क्योंकि इन होटलों के पास हाईड्रोलिक प्लेटफॉर्म का तो पहुंचना दूर की बात है कि सामन्य अग्निशमन गाड़ी भी नहीं पहुंच सकती है। मानकों को दरकिनार कर गलियों में संचालित ये होटल कभी भी बड़े हादसे की वजह बन सकते हैं। पाल होटल में आग लगने की घटना के दूसरे दिन दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने शहर की संकरी गलियों में संचालित होटलों की पड़ताल की तो सच आया सामने सामने आया सच। पढि़ए रिपोर्ट
सड़क की चौड़ाई हुई कम
पटना जंक्शन के पास संचालित ऑटो स्टैंड व फ्लाई ओवर के पास से पार्सल ऑफिस की तरफ जाने वाले मार्ग में तकरीबन 100 होटल संचालित हैं। इस संकरी गली में अग्निशमन विभाग के हाईड्रोलिक वाहन को जाना तो दूर की बात है, सामान्य अग्निशमन वाहन भी नहीं जा सकता है। गली में एंट्री करते ही बीच सड़क पर बिजली का खंभा है। जहां से आसपास की दुकानों में बिजली की सप्लाई होती है। इतना ही नहीं सड़क की चौड़ाई लगभग 15 फीट है जो अतिक्रमण की वजह से घटकर आठ फीट रह गया है। इसलिए किसी वाहन का अंदर जाना आसान नहीं है।
जर्जर भवन में संचालित हैं दर्जनों होटल
पटना जंक्शन से चिडिय़ां टाल पुल की तरफ बढऩे पर एक निजी होटल का बोर्ड लगा है। ये गली 100 मीटर आगे जाकर पांच फीट चौड़ी है। ऐसे में पाल होटल अग्निकांड जैसी दुर्घटना हो जाए तो यहां बड़ी जन-हानी के साथ पूरा एरिया जल कर राख हो जाएगा। यहां संचालित 80 फीसदी होटल जर्जर मकान में चल रहे हैं।
फायर सेफ्टी ऑडिट नहीं कराते होटल संचालक
आग से बचाव के लिए होटलों में मॉक ड्रिल व फायर सेफ्टी ऑडिट होना आवश्यक है। मानकों पर खरा नहीं होने की वजह से होटल संचालक फायर सेफ्टी ऑडिट नहीं कराते। और मनमाने ढंग से होटल का संचालन कर लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। पटना जंक्शन से चिडिय़ां टाल पुल और डॉकबंगला गोलंबर के बीच तकरीबन 350 से अधिक होटल हैं। इनमें से 90 फीसदी होटल संचालक होटल मानक को नहीं मानते। हमारी टीम ने 20 अधिक होटलों में जाकर रियलिटी चेक किया तो ज्यादातर होटलों में आग से बचाव के इंतजाम मानक के अनुरूप नहीं मिले।
सड़क को बना लिया किचन
पटना जंक्शन ऑटो स्टैंड के पीछे पूर्व की तरफ संचालित होटलों में अधिकांश होटल का किचन सड़क पर ही संचालित है। जहां गरम-गरम खाने का प्रलोभन देकर यात्रियों की जान के साथ खिलवाड़ करते हैं। इन होटल संचालकों के पास न तो फायर सेफ्टी सिलेंडर है न कर्मियों को आग बुझाने की ट्रेनिंग मिली है। जबकि मानक के अनुरूप होटल के कर्मचारियों को आग बुझाने के लिए मॉक ड्रिल और ट्रेनिंग दी जाती है।
ये है नियम
- सेटबैक (होटल के चारों ओर खुला स्थान होना जरूरी) है।
- होटल में कम से कम दो चौड़ी और ढलानयुक्त सीढिय़ां होनी चाहिए।
-फायर स्केप यानि होटल में इमरजेंसी बाहरी सीढ़ी भी आवश्यक है।
-होटलों में अलार्म के साथ होजरिल होने चाहिए जो आग बुझाने में सहायक होते हैं।
-परिसर या उसके आसपास फायर हाइड्रेंट होने चाहिए।
-होटलों के कमरों में वेंटीलेशन के लिये खिड़की होनी चाहिए।
-दिन और रात के समय होटल में सुरक्षा गार्डों की तैनाती।
-फायर ब्रिगेड की गाड़ी पहुंचने का सुगम मार्ग।
एफएसएल की टीम ने लिए नमूने
पाल होटल के अग्निकांड के बाद एफएसएल की टीम गुरुवार को पहुंची थी। मगर भवन में इतना ताप था कि अंदर जांच के लिए नहीं जा पाई। शुक्रवार दोपहर एक बजे एफएसएल की टीम दोबारा पहुंची। ईंट और प्लास्टर के नमूने लिये। ताकि पता चल सके कि बिल्डिंग सुरक्षित है या नहीं। एसएसपी राजीव मिश्रा ने बताया कि दोनों होटल मालिकों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। हादसे में छह लोगों की मौत हुई थी। जिनमें से चार की पहचान कर ली गई है। जबकि दो लोगों का शिनाख्त नहीं हुआ है। उधर, डीएम शीर्षत कपिल अशोक ने जिला अग्निशमन पदाधिकारी को पाल होटल अग्निकांड रिपोर्ट जल्द से जल्द देने को कहा है। इसके साथ ही डीएम ने जिलों में फायर ऑडिट के लिए अनुमंडल स्तर पर तीन सदस्यी टीम गठित की है। ये टीम अपने-अपने अनुमंडल में जाकर होटल, अस्पताल, सरकारी कार्यालयों लाइन होटलों, बस स्टैंड, रेस्टोरेंट, रेलवे स्टेशन, घनी आबादी वाले इलाकों में जांच करेंगे।
तो होटल होंगे ब्लैक लिस्टेड
पाल होटल अग्निकांड के बाद अग्निशमन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पटना के जिन होटल संचालकों ने फायर सेफ्टी ऑडिट नहीं कराया है ऐसे होटल संचालकों को काली सूची में डाल कर फायन किया जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि एफएसएल की टीम जांच कर रही है। इसके बाद पता चलेगा कि अग्निकांड के बाद पाल होटल संचालित करने लायक है या नहीं।
अग्निकांड के बाद आज प्लास्टर और ईंट के नमूने लिये गए हैं। अभी जांच चल रही है। फायर सेफ्टी ऑडिट रिपोर्ट मिलाकर उच्च अधिकारियों को अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे।
-नयन ओझा, सहायक निदेशक, एफएसएल
पटना के सभी होटल संचालकों को फायर सेफ्टी ऑडिट कराना होगा। मानक के अनुसार ही होटल चला पाएंगे। अगर फायर सेफ्टी ऑडिट नहीं कराते हैं तो फाइन के साथ उन्हें ब्लैक लिस्टेड किया जाएगा।
-शोभा अहोटकर, डीजी अग्निशमन सेवा