पटना ब्यूरो। मेरा धन है स्वाधीन कलम के अमर रचनाकार कविवर गोपाल सिंह नेपाली तथा मनोविज्ञान के साहित्यकार मेजर बलवीर सिंह भसीन की जयंती पर रविवार को, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में कवयित्रियों का साम्राज्य रहा। हरे रंग के परिधानों में सज-धज कर आयीं कवयित्रियों ने सावन के रस में भीगी कविताओं से श्रोताओं को सरावोर कर दिया। सम्मेलन में सावन महोत्सव कवयित्री-सम्मेलन का आयोजन किया गया था। तीन दर्जन से अधिक कवयित्रियों ने अपनी सतरंगी रचनाओं का पाठ किया।
कवयित्री सम्मेलन का आरंभ चंदा मिश्र की वाणी-वंदना से हुआ। उसके पश्चात वरिष्ठ कवयित्री आराधना प्रसाद ने इन पंक्तियों से सावन का आह्वान किया कि मेरी साधना, व्रत, उपासना सबकुछ तुझको अर्पित है। हिय की धड़कन अधर की विहँसन तेरे लिए समर्पित है। डा पुष्पा जमुआर ने सावन का चित्र इस प्रकार खींचा कि बूंद की रुनझुन पहन कर पायल-राष्ट्रभक्त कवि थे
कवयित्री-सम्मेलन के पूर्व सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ की अध्यक्षता में नेपाली जी और मेजर भसीन को श्रद्धापूर्वक स्मरण किया गया। डा सुलभ ने कहा कि नेपाली जी विलक्षण प्रतिभा के स्वाभिमानी और राष्ट्रभक्त कवि थे। वे प्रेम, प्रेरणा और ऋंगार के स्वर तथा अपने समय के सबसे लोकप्रिय कवि थे। भारत-चीन युद्ध के दौरान, देश-जागरण के उनके गीतों के कारण, उन्हें वन मैन आर्मी कहा जाने लगा था। उनकी लेखनी से गीतों की निर्झरनी बहती थी। उनकी पंक्तियां बदनाम तो हैं बँटमार मगर, घर को रखवालों ने लूटा मेरी दुलहन सी रातों को नौ लाख सितारों ने लूटा, आज भी मन के किसी कोने में गहरे उतर जाती है.डा सुलभ ने कहा कि, नेपाली जी शब्दों, भावों और काव्य-कल्पनाओं के ही नहीं स्वाभिमान के भी धनी थे। उन्होंने कभी भी अपने स्वार्थ में, न तो किसी की निंदा की और न ही किसी का वंदन ही किया.मेजर भसीन को स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि मेजर साहेब सिद्धांतों पर अडिग रहने वाले एक सच्चे और अच्छे भारतीय कवि थे।
इस अवसर पर प्रबुद्ध श्रोताओं में कवि जय प्रकाश पुजारी, प्रो सुशील कुमार झा, कृष्णरंजन सिंह, विनोद कुमार झा, सूर्य प्रकाश उपाध्याय, नीरव समदर्शी, भास्कर त्रिपाठी, डा विजय कुमार, विपिन चंद्र, साकिब हुसैन, डा चंद्रशेखर आज़ाद सम्मिलित थे।