पटना ब्‍यूरो। श्रावण शुक्ल तृतीया यानी बुधवार को अखंड सुहाग की कामना से सुहागिन महिलाएं हरियाली तीज का पर्व करेंगी। यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के पर्व के रूप में मनाया जाता है। हरियाली तीज पारंपरिक उत्सव, दांपत्य जीवन में प्रगाढ़ता व पारिवारिक सौहार्द का प्रतीक है। हरियाली तीज का त्योहार स्त्रियों के जीवन में प्रेम-स्नेह की सोंधी सुंगध और आपसी जुड़ाव का उत्सव है। त्रेता युग में माता पार्वती ने स्वयं शिव की बालुकामयी प्रतिमा बनाकर पूजा कर उनको अपने पति रूप पायी थी। यह पर्व प्रकृति से प्रेम व संरक्षण का प्रतीक है। इसीलिए शिव समान पति और शिव-पार्वती के समान वैवाहिक जीवन की कामना से महिलाएं आज पार्थिव निर्माण कर पूजा कर कथा श्रवण करेंगी।

अखंड सुहाग की कामना से होगी पूजा

आचार्य राकेश झा ने बताया कि प्रकृति व प्रेम के रंग साथ लिए हरियाली तीज अखंड सौभाग्य और परिवार की खुशहाली की कामना से आज बुधवार को पूर्वा फल्गुनी नक्षत्र के साथ दोपहर 12.12 बजे तक परिघ योग एवं उसके बाद शिव योग के युग्म संयोग में मनाया जाएगा। आज रवियोग का भी सुयोग बन रहा है। इस व्रत में महिलाएं हरे रंग की वस्त्र, हरी चूडिय़ां, लहठी व सोलह श्रृंगार के साथ मेहंदी लगाकर महादेव और माता पार्वती की पूजा करेंगी। इस दिन व्रत व पूजन से अखंड सौभाग्य, सुख, समृद्धि, वैभव, शांति का वरदान व दांपत्य जीवन सुखमय रहता है। इसे कजरी तीज भी कहा जाता है।

मधुश्रावणी पर्व का होगा समापन
सावन मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी को मिथिला की नवविवाहिता द्वारा शुरू हुए मधुश्रावणी पर्व का समापन सावन शुक्ल तृतीया में आज होगा। इस पर्व में नवविवाहिता बासी फूल से शिव-पार्वती तथा नाग-नागिन की पूजा करती हैं। इस पर्व के प्रथम व अंतिम दिन विशेष विधि विधान से पूजा होती है। पारंपरिक लोकगीत, विषहरी गीत, नचारी व शिव-पार्वती के जीवन चरित्र की कथाएं होती है। इस पूजा में पंडित भी महिलाएं ही होती हैं। जो पूजा करवाने से लेकर कथा वाचन का पूरा दायित्व निभाती है। अंतिम दिन उन्हें उपहार स्वरूप वस्त्र व फल प्रसाद आदि दिया जाएगा।

प्रेम की प्रगाढ़ता का प्रतीक है मधुश्रावणी
पंडित झा के मुताबिक आज सावन शुक्ल तृतीया में मधुश्रावणी के अंतिम दिन विषहरी देवी, नाग-नागिन व महादेव के संग गौरी की पूजा के बाद टेमी दागकर पुन: पति द्वारा सिंदूर लगाने के साथ इसका समापन होगा। मधुश्रावणी के पूजा की समाप्ति के बाद सुहागिन महिलाओं के साथ अहिवाती पुराई यानि सुहागिन महिलाओं के साथ शुद्ध एवं पवित्र प्रसाद स्वरूप खीर खाकर इस पर्व को पूर्ण करेंगी।

महादेव के प्रिय पत्र-पुष्प अर्पण से कामना पूर्ण

धतूरा- संतान प्राप्ति के लिए भोलेनाथ को धतूरा अर्पित करना चाहिए।

दूब- महादेव को दूर्वा चढ़ाने से चिरायु का वरदान मिलता है।

बेलपत्र- भोलेनाथ को बेलपत्र अर्पित करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

गुड़हल- भगवान शंकर को गुड़हल के फूलों के अर्पण से दुश्मनों का विनाश होता है।

बेला- विवाह में रुकावट आने तथा अच्छा जीवनसाथी के लिए शिव को बेला चढ़ाएं।

पारिजात- इस फूल को शिव को अर्पित करने से प्रसन्नता व ऐश्वर्य में वृद्धि होती है।

गुलाब- भगवान शिव को लाल गुलाब अर्पित करने से धन व समृद्धि का विस्तार होता है।