PATNA: अब घुटना प्रत्यारोपण में इंफेक्शन का खतरा कोबाल्ट क्रोमियम प्लेट से कम हो जाएगा। अब पटना में भी इसे लेकर बड़ा प्रयोग किया गया है। मरीजों पर सफल प्रयोग के बाद अब इसका विस्तार किया जा रहा है। एक्सपर्ट आर्थो सर्जन का कहना है कि गोल्डेन कलर वाली नी प्लेट संक्रमण की हर गुंजाइश को दूर कर देगी। इससे पहले ट्रांसप्लांट के दौरान इंफेक्शन का खतरा बना रहता था। देशभर में हर साल 2 लाख लोगों का घुटना प्रत्यार्पण किया जा रहा है और 50 लाख से अधिक लोगों के लिए नी ट्रांसप्लांट आवश्यक है। पटना में भी हर साल मरीजों की संख्या में 20 प्रतिशत बढ़ोत्तरी हो रही है। माह में दो दर्जन से अधिक ऐसे पेशेंट आ रहे हैं।
ऐसे टलेगा हाईटेक प्लेट से संक्रमण का खतरा
पटना के आर्थो सर्जन डॉ निशिकांत का कहना है कि स्टील प्लेट में संक्रमण व इंफेक्शन का चांस अधिक रहता है। इसलिए अब गोल्डेन कलर वाले कोबाल्ट क्रोमियम नी प्लेट से घुटना ट्रांसप्लांट करने का बड़ा प्रयोग किया जा रहा है। स्पेशल कोटिंग वाले इस प्लेट में हडिड्यों की मजबूत पकड़ होता है और यह एक तरह से बैरियर का काम करता है जिससे एलर्जी और इंफेक्शन का खतरा नहीं होता है। यह मानव शरीर में काफी आसानी से फिट होता है और बेहतर काम करता है। डॉक्टरों की मानें तो यह ऑपरेशन के बाद तकलीफ भी नहीं देता है।
एक्सपर्ट का कहना है कि आम तौर पर साधारण प्लेट से घुटना प्रत्यारोपण शरीर में धातु आयनों को छोड़ देते हैं। धातुओं में धातु एलर्जी होती है, इन धातु आयनों में घुटने के क्षेत्र में सूजन हो सकती है और अंतत: संक्रमण, पस बनना और गंभीर घुटने के दर्द जैसी जटिलताओं का कारण बन सकता है। इसलिए मरीजों के लिए, आमतौर पर गोल्डन घुटना सर्जरी का सुझाव दिया जाता है। इस सर्जरी के लिए प्रयुक्त प्रत्यारोपण में सोने का रंगीन टाइटेनियम-नाइट्राइड / जिकोनियम नाइट्राइड कोटिंग होता है। न केवल सुनहरे घुटने के प्रत्यारोपण शरीर के साथ किसी भी एलर्जी प्रतिक्रिया को रोकता है, बल्कि यह भी अधिक टिकाऊ है और इसका जीवन अधिक लंबा है।
गोल्डेन कलर वाली प्लेट का सफल प्रत्यारोपण किया जा रहा है। इससे इफेक्शन और एलर्जी का खतरा काफी कम हो जाता है। इसकी उम्र लंबी होती है और मरीजों को अधिक तकलीफ भी नहीं होती है।
डॉ निशिकांत, आर्थो सर्जन पारस एमआरआई