पटना (ब्यूरो)। बिहार विधानसभा उपचुनाव के लिए महागठबंधन के दलों ने अपने कैंडिडेट की घोषणा कर दी है। मोकामा से अनंत ङ्क्षसह की पत्नी नीलम देवी और गोपालगंज से मोहन प्रसाद गुप्ता को महागठबंधन का कैंडिडेट बनाया गया है। दोनों आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे। मंगलवार को आरजेडी ऑफिस में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में एक्स सीएम सह हम के संरक्षक जीतन राम मांझी ने महागठबंधन के नेताओं के साथ संयुक्त रूप से इसकी औपचारिक घोषणा की।
दोनों सीटें जीतने का दावा
मांझी ने कहा कि महागठबंधन के साथियों के साथ बैठक कर इसका निर्णय लिया गया है। पूरा विश्वास है कि हम दोनों सीटें जीतेंगे। इस दौरान राजद के राष्ट्रीय महासचिव भोला यादव, जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा, कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता राजेश राठौर, सीपीआइ माले के पूर्व राज्य सचिव केडी यादव, सीपीआइ एम के राज्य सचिव ललन चाौधरी और सीपीआइ के राष्ट्रीय परिषद के सदस्य प्रमोद प्रभाकर भी मौजूद रहे। मालूम हो कि मोकामा के विधायक रहे अनंत ङ्क्षसह को दस वर्ष की सजा मिलने के कारण उनकी सदस्यता समाप्त हो गई है। वहीं गोपालगंज में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक रहे सुबाष ङ्क्षसह के निधन से सीट खाली हुई है। मोकामा और गोपालगंज विधानसभा सीट के लिए तीन नवंबर को उप चुनाव होने हैं। छह नवंबर को मतगणना होगी।
आलोक मेहता व उदय नारायण चौधरी को खुद लगानी पड़ी कुर्सी
राजनीति में सीट भले मिल जाए, कुर्सी आसानी से नहीं मिलती। विधानसभा उपचुनाव में राजद के खाते में दोनों सीटों की उम्मीदवारों तो आ गई मगर राजद के बड़े-बड़े नेताजी को आसानी से कुर्सी नहीं मिली। अब इसे मेजबानी का सलीका कहिए या दरियादिली, मंगलवार को राजद कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में कुर्सी का ऐसा ही रोचक किस्सा दिखा।
मंच पर बमुश्किल चार से पांच कुर्सियों की जगह थी। इस पर हम के जीतन राम मांझी, राजद के भोला यादव, जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा बैठ चुके थे। मोकामा से टिकट पाने वाली नीलम देवी को भी जगह मिल गई। बाकी की कुर्सियों पर कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौड़ और वाम दलों के नेता बैठ गए। राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री आलोक मेहता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी के लिए कुर्सी ही नहीं बची। कोई कुर्सी छोडऩे को तैयार भी नहीं। मंच की बाईं ओर दोनों वरीय नेता कुछ देर खड़े रहे फिर खुद ही कुर्सी का इंतजाम किया। एक-दो कार्यकर्ताओं को आवाज लगाई गई। इस बीच प्लास्टिक की खाली कुर्सियों की खोज शुरू हुई। किसी तरह कार्यकर्ता कुर्सी ढूंढकर लाए। नेताजी ने भीड़ के बीच मंच के बगल में बाईं ओर कुर्सी लगाई और बैठ गए। प्रेस वार्ता के समापन के बाद भी जब हाथ उठाकर एकजुटता का प्रदर्शन किया गया तो उदय नारायण चौधरी पहले तो पीछे से देखते रहे, बाद में किसी तरह खुद को एडजस्ट किया।