पटना ब्‍यूरो। निफ्ट पटना में बुधवार को राष्ट्रीय हथकरधा दिवस मनाया गया। मौके पर छात्र—छात्राओं ने सूक्ष्म योजना और भारत की समृद्ध हथकरधा विरासत को बढ़ावा देने के लिए रैंप वॉक किया। रोमांचक “सस्टैनबल भविष्य" थीम पर आयोजित कार्यक्रम ने लोगों को आकर्षित किया। बिहार राज्य खादी ग्रामोद्योग बोर्ड पटना के सौजन्य से राष्ट्रीय हथकरधा दिवस के मैाके पर बिहार खादी के डिजाइनर्स सुभाष कुमार एवं विशाल कुमार द्वारा नवनिर्मित खादी परिधानों को रैंप पर निफ्ट पटना के छात्र-छात्राओं द्वारा उतारा गया। इस फैशन प्रदर्शनी का उद्देश्य हथकरघा उत्पादों के व्यापक उपयोग को बढ़ावा देना और हथकरघा बुनाई के उत्कृष्ट शिल्प को बढ़ावा देना था.इस दौरान गीत, नृत्य और नाटक के माध्यम से अपनी कलात्मक अभिव्यक्तियों को दर्शाया। उपस्थित लोगों को हस्तनिर्मित वस्त्रों की शाश्वत कलात्मकता को अपनाने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित किया गया। पूरे दिन चलने वाले समारोह में "सेल्फी इन हैंडलूम" गतिविधि का आयोजन किया गया।

गांधी के कथन को किया याद
निफ्ट पटना के निदेशक कर्नल राहुल शर्मा ने कहा कि सूक्ष्म योजना और भारत की समृद्ध हथकरधा विरासत को बढ़ावा देना निफ्ट का मकसद है। उन्होंने अपने उपस्थित सभी अतिथिगण, अधिकारियों, प्रोफेसर एवं छात्र-छात्राओं से दैनिक जीवन में खादी पहनने और उपयोग करने की अपील की। उन्होंने महात्मा गांधी के इस कथन को याद किया कि "अगर हमें आर्थिक गुलामी से छुटकारा पाना है, तो हमें अपना कपड़ा खुद बनाना होगा"।

स्थानीय उत्पादों का करें इस्तेमाल
इस अवसर पर सम्मानित अतिथि के रूप में पद्मश्री शिवन पासवान, पद्मश्री शांति देवी, पद्मश्री दुलारी देवी, पद्मश्री बौआ देवी एवं पद्मश्री अशोक कुमार विश्वास शामिल थे.पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित बउआ देवी ने कहा कि वह एक जमीनी स्तर की कलाकार हैं और वह एक साधारण पृष्ठभूमि से आती हैं। वह लोगों को हमेशा से स्थानीय उत्पादों का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित करती आई है। जिसमें उत्साहित प्रतिभागियों ने अपने कला का प्रयोग कर हैंडलूम वस्त्रों की कलाकृति को प्रदर्शित किया।

इनकी मौजूदगी भी रही समारोह में
बिहार राज्य खादी ग्रामोद्योग बोर्ड पटना के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी विवेक रंजन मैत्रेय ने बताया कि “हथकरघा उत्पादों के प्रदर्शन-सह-बिक्री", में स्वर्गीय कपि देव, नालंदा के बावनबूटी और प्रतिभाशाली नालंदा स्थित बावनबूटी कारीगर अखिलेश जैसे प्रसिद्ध कारीगरों की हस्तनिर्मित उत्कृष्ट कृतियों का स्टाल लगाया गया है जिनमें बिहार के कलात्मक अतीत की भावना को दर्शाया गया। इस अवसर पर विशिष्ट सम्माननीय अतिथि के रूप में डॉ। राणा सिंह, निदेशक सीआईएमपी, कुमोद सिंह, अकादमिक प्रशासक, सीआईएमपी पटना, सौरंद्र चटर्जी, एसोसिएट निदेशक, इलास्टिकरन, डॉ। ऋषि कांत, सहायक प्रोफेसर सीआईएमपी पटना और दीपक शामिल रहे।

हथकरघा संरक्षण के महत्व पर डाला प्रकाश
उत्सव का समापन निफ्ट पटना के प्रतिभाशाली छात्रों द्वारा ऊर्जामैय "सांस्कृतिक प्रदर्शन" से हुआ। छात्रों ने गीत और नृत्य के माध्यम से अपनी कलात्मक अभिव्यक्तियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। हथकरघा दिवस पर कला, संस्कृति और नवाचार के शानदार संगम द्वारा हमारे देश के हथकरघा इतिहास के संरक्षण के महत्व पर प्रकाश डाला गया। इस आयोजन ने कलाकारों, बुनकरों और छात्रों को हथकरघा के प्रति अपने कला को बेहतर रूप से प्रदर्शित करने का आदर्श मंच प्रदान किया।