पटना ब्यूरो। मिष्ठी को अपनों ने मौत के मुंह में जाने के लिए छोड़ दिया लेकिन गैरों ने उसे अपना बना कर नई जिंदगी देने की कोशिश की है। कहा गया माता कुमाता नहीं हो सकती मगर मिष्ठी की मां उसकी अपनी न रही उसने दूसरी शादी कर ली जबकि पिता भी पराया हो गया। उसने भी अपने लिए दूसरी जीवन संगनी चुन ली, अब सवाल मिष्ठी के जिंदगी का था क्योंकि उसे कैंसर है। उसकी जिंदगी की डोर बीच रास्ते में माता-पिता ने छोड़ दिया मगर शुभम ने उस डोर को थामते हुए मौत से उसकी लड़ाई लडऩे में उसका साथ देना शुरू किया है। अब कैंसर से लडऩे में मिष्ठी के साथ कई लोग जुड़ते जा रहे हैं। आईजीआईएमएस के डॉक्टर और कई लोग साथ हैं। आज दैनिक जागरण आईनेक्स्ट में मिष्ठी की पूरी कहानी पढ़कर आपकी आंखों में भी पानी आ सकता है।
जन्म होते ही पिता ने छोड़ दिया साथ
आईजीआईएमएस में कैंसर का इलाज कराने के लिए आई मिष्ठी ने दैनिक जागरण आई नेक्स्ट से बात करते हुए बताया कि जन्म के एक दिन बाद ही पिता ने साथ छोड़कर दूसरी शादी कर ली। मां ने पाला। बीमारी के लक्षण दिखने पर बाद में वो भी पराई हो कर अपना घर बसा ली। फिर इलाज के लिए नाना के साथ दर-दर भटकती रही। जब समाज सेवक शुभम मिले तो जीने की उम्मीद जगी।
आज से कीमोथेरेपी
शुभम ने बताया कि आईजीआईएमएस में जांच-पड़ताल के बाद डॉक्टरों ने कंधे में ट्यूमर और कैंसर की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि तत्काल इलाज शुरू हुआ है। बायोप्सी समेत कई प्रकार की जांच की गई। पंाच साल की बच्ची का आधार कार्ड नहीं होने की वजह से एडमिट कराने में भी काफी परेशानी हो रही है। उन्होंने बताया कि डॉक्टरों ने शुक्रवार से कीमोथेरेपी करने की बात कही है।
सोशल साइट्स पर मिल रही हेल्प
शुभम ने बताया कि जैसे ही पता चला कि बच्ची को कैंसर है, इलाज के लिए तत्काल लगा दिए अब सोशल साइट्स के माध्यम से भी हेल्प में कुछ पैसे आने लगे हैं। कैंसर पीडि़ता इस बच्ची को बचाने में कई सामजसेवी समेत डॉक्टर व इंजीनियर शामिल हुए हैं जो अपने खर्च बचाकर मुहिम का हिस्सा बन रहे हैं।
अफसर बनना चाहती हैं मिष्ठी
शुभम ने बताया कि सुपौल जिले की रहने वाली मिष्ठी इलाज के लिए खुद आगे आई, नाना के संग पटना पहुंची और 200 रुपए के किराए पर एक कमरा ली। लोगों से इलाज के लिए गुहार लगाई। अब इलाज शुरू हो गया है। शुभम ने बताया कि मिष्ठी का हौसला इतना बुलंद है कि कैंसर को मात देकर वे पढऩा चाहती हैं और सरकारी अफसर बनकर देश सेवा की जज्बा रखती हैं।