पटना ब्यूरो। मगही और हिन्दी के यशस्वी कवि और बिहार विधान परिषद के पूर्व सदस्य बाबूलाल मधुकर के निधन से साहित्य-जगत में शोक है। उनके निधन पर, सोमवार की संध्या, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में शोक-सभा आयोजित हुई, जिसमें साहित्यकारों ने उनके साहित्यिक अवदानों को स्मरण करते हुए उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की। शोक-सभा की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कहा कि अपनी विपुल रचनात्मक कृतियों और अवदानों से मधुकर जी ने मगही साहित्य को समृद्ध किया। एक कवि, कथाकार और नाटककार के रूप में उन्होंने पर्याप्त ख्याति अर्जित की। रमरतिया नामक उनके प्रथम उपन्यास ने ही, उन्हें मगही साहित्य में स्थापित कर दिया। शोक सभा में वरिष्ठ कवयित्री विभा रानी श्रीवास्तव, डॉ। अर्चना त्रिपाठी, कुमार अनुपम, प्रो सुशील कुमार झा, श्रीकांत व्यास, पत्रकार हृदय नारायण झा,कौशलेन्द्र पाण्डेय, कृष्ण रंजन सिंह, नन्दन कुमार मीत, भगवती प्रसाद द्विवेदी, डॉ। एम के मधु, डा शशि भूषण सिंह आदि ने भी अपने शोकोदगार व्यक्त किए।