1846 में आगरा से आए थे
कैथिड्रल के फादर जेराम कापूचिन बताते हैं कि यहां के पहले बिशप डॉ। अथानासिअस हार्टमन ओएफएम कैप यहां से पहले 15 मार्च, 1846 को आगरा के पुराने कैथिड्रल थे। फिर पटना आए और यहां पर सोशल एक्टिविटी में इंवाल्व रहे। कुर्जी में ही 24 अप्रैल, 1866 को इनकी मौत कॉलरा से हुई। डेडबॉडी 25 अप्रैल 1866 को बांकीपुर के कान्वेंट में चैपल, जो अब प्रो-कैथिड्रल के नाम से जाना जाता है, लाई गई। फिर पादरी की हवेली चर्च में 26 अप्रैल को दफनाई गई। एक बार फिर 10 मई, 1867 को डॉ। हार्टमन की डेडबॉडी निकाल कर सेंट जोसेफ चैपल ले जाई गई। इस दौरान इनकी बॉडी में कोई चेंज नहीं आया। फिर 6 अप्रैल, 1920 को पटना से इलाहाबाद कैथिड्रल ले जाया गया जहां उन्हें तीसरी बार दफनाया गया।
आज भी सामान है सुरक्षित
पादरी की हवेली चर्च में डॉ। हार्टमन के यूज में आई दो कुर्सियां, कपड़े, फोटो, स्टैचू आदि रिजर्व रो हंै। साथ ही उन्हें जहां दफनाया गया था, उसी स्थान पर क्रॉस व प्रभु ईशु की तस्वीर लगी है।
वल्र्ड लेवल फेम है पादरी की हवेली
मां मरियम के दर्शन का कैथिड्रल (महागिरजाघर) अशोक राजपथ पर पादरी की हवेली में स्थित है। इसकी ऊंचाई काफी है। यह अपने बनावट के लिए वल्र्ड फेम है। यहां अनाथालय भी चल रहा है और मेंटली डिएबल्ड की सेवा भी।
कुरिंथियन स्टाइल पर बनाया गया
कैथिड्रल का फाउंडेशन 18 अक्टूबर, 1772 को हुई थी व इसे लोगों के लिए 8 दिसंबर, 1779 को ाोल दिया गया। कैथिड्रल की हाइट करीब 50 फीट है। इसे कुरिंथियन स्टाइल पर बनाया गया था।