पटना (ब्यूरो)। सरकारी बैंकों में स्ट्राइक की वजह से गुरुवार को लोगों को कैश की कमी से जूझना पड़ा। कई इलाकों में दोपहर बाद से ही एटीएम खाली हो गए। जिस कारण लोगों को कैश के लिए भटकना पड़ा। स्ट्राइक की वजह से बिहार में 6500 बैंक ब्रांच बंद रही। 6608 एटीएम में कैश भी नहीं डाला जा सका। गुरुवार को बैंक स्ट्राइक का पहला दिन था। शुक्रवार को भी सरकारी बैंककर्मियों की हड़ताल जारी रहेगी। जारी रहेगी। एक अनुमान के मुताबिक, स्ट्राइक की वजह से बिहार में 35 हजार करोड़ रुपए से अधिक का लेनदेन प्रभावित हुआ। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के आहवान पर सरकारी बैंकों में हड़ताल थी। बैंककर्मी प्राइवेटाइजेशन और इसके कारण होने वाले व्यापक प्रभाव के विरोध में दो दिनों की हड़ताल पर हैं। फोरम की ओर से बताया गया कि सरकार का यह फैसला न तो बैंककर्मियों और न ही आम आदमी के हित में ही है। सरकार को इससे संबंधित प्रावधान नहीं लाना चाहिए।
एटीएम में दिखी भीड़
हड़ताल की वजह से बैंकों का कामकाज ठप था। इस कारण शहर के एटीएम में कैश के लिए लोगों की भीड़ दिखी। हालांकि, गांधी मैदान, बोरिंग रोड, कंकड़बाग इलाके के एटीएम में कैश होने की वजह से लोगों को राहत मिली। लेकिन शहर के अधिकांश स्थानों पर एटीएम में कैश दोपहर से ही खत्म हो गया। इस वजह से कुछ इलाकों में कैश निकालने के लिए एटीएम में लंबी लाइन लगी रही।
आम लोगों का पैसा सेफ नहीं
यदि केंद्र सरकार की ओर से इस शीतकालीन सत्र में बैंकिंग कंपनी अधिनियम 1970 व 1980 के साथ ही बैंकिंग विनियमन अधिनियम 1949 में संशोधन की घोषणा पर आगे काम कदम बढ़ाया जाता है तो बैंकों का निजीकरण तय है। इस बारे में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, पटना हेडक्वार्टर में एसबीआई ऑफिसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष कमलाकर सिंह ने कहा कि वर्तमान में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक 'मास बैंकिंगÓ कर रहे हैं। हर आदमी का काम इन्हीं बैंकों से हो रहा है। सरकार की हर कल्याणकारी योजना इन्हीं बैंकों के माध्यम से हो रही है। वहीं, एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष अमरेश बिक्रमादित्य ने कहा कि बैंकों का राष्ट्रीयकरण इसलिए किया गया था कि आम लोगों के जमा पैसे की गारंटी सरकार करेगी। उनका पैसा सेफ होगा। लेकिन आगामी संशोधन के आलोक में यह सेफ नहीं रह जाएगा क्योंकि यह प्राइवेट बैंक इसकी गारंटी नहीं लेंगे।
ऑनलाइन से ही राहत
जहां आम लोग और केवल ब्रांच पर निर्भर रहने वालों को परेशानी का सामना करना पड़ा वहीं, ऑनलाइन में कारोबार करने वालों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा। ऑनलाइन ट्रांजैक्शन और यूपीआई माध्यमों से ही लोगों को थोड़ी राहत मिली।