पटना (ब्यूरो)। अखंड सुहाग के लिए सुहागिन महिलाएं कार्तिक कृष्ण चतुर्थी रविवार 20 अक्टूबर को करवा चौथ का व्रत करेंगी। पति की लंबी उम्र एवं उन्नत गृहस्थ जीवन के लिए यह व्रत ग्रह-गोचरों व दिनमान के अद्भुत संयोग में मनाई जाएगी.इस दिन चतुर्थी माता (करवा माता) और गणेश जी की पूजा की जाती है। सुहागिन स्त्रियां को करवा चौथ का व्रत करने से अखंड सौभाग्य व पति को अक्षुण का आशीर्वाद प्राप्त होता है। उनका गृहस्थ जीवन सुखमय व्यतीत होता है। सुहागन महिलाऐं यह व्रत व उपवास अपने पति के प्रति समर्पित होकर उनके उत्तम स्वास्थ्य, दीर्घायु तथा जन्म-जन्मांतर तक पुन: पति रूप में प्राप्त करने हेतु मंगल कामना करती हैं। प्रेम, त्याग व विश्वास के महापर्व में मिट्टी के करवे से रात्रि बेला में चंद्रदेव को जल अर्पण कर व्रत पूर्ण करेंगी।

20 को नक्षत्रों का बना युग्म संयोग

आचार्य राकेश झा ने बताया कि करवा चौथ पर कृत्तिका नक्षत्र दोपहर 01.15 बजे तक रहेगा। उसके बाद रोहिणी नक्षत्र शुरू हो जाएगा। इस तरह करवा चौथ के दिन कृत्तिका व रोहिणी नक्षत्रों का युग्म संयोग बन रहा है। ये दोनों ही नक्षत्र शुभता के प्रदायक है.इस शुभकारी योग में पूजन से विघ्नहर्ता गणेश के साथ करवा माता की अपार कृपा बरसेगी। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन गणेश की पूजा करने से सभी संकट दूर हो जाते है। इसीलिए इस चतुर्थी को संकष्टी गणेश चतुर्थी कहा जाता है। इस शुभ योग में नया काम या कोई शुभ कृत का फलाफल जल्द मिलता है। इस दिन निवेश, आभूषण की खरीदारी, वाहन, लेन-देन करना शुभ रहेगा।

शिव-पार्वती के साथ गणेश-चंद्र की होगी पूजा

नारद पुराण के मुताबिक व्रती महिलाएं सोलह श्रृंगार कर इस दिन सांयकाल में भगवान शिव, गणेश, माता पार्वती, कार्तिकेय एवं चन्द्रमा की पूजा करने के बाद चंद्र को चलनी से देखती है और उन्हें अर्घ देती है। करवा चौथ के दिन व्रती महिलाएं दिनभर व्रत रखेंगी और नए वस्त्र- श्रृंगार करके पूजन करके रात में चांद को छलनी से दीप के साथ देखेंगी। पति को देखते हुए वे चांद को अर्घ्य प्रदान करेंगी। अर्घ्य में दूध,शहद,मिश्री और नारियल प्रदान किया जाएगा। मान्यता है कि चंद्रमा की पूजा से मन की शांति मिलती है। इसके साथ ही इस दिन भगवान विष्णु और धन की देवी माता लक्ष्मी की आराधना करने से अचल सम्पति, धन-धान्य के अलावे दाम्पत्य सुख का आशीर्वाद मिलता है ।

चन्द्रमा के उदय तक रहता है व्रत

ज्योतिषी राकेश झा के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ मनाने की परंपरा है । पति की लंबी उम्र की कामना से महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत रखती है । सुहागिनों के लिए यह व्रत बहुत खास होता है । इसका इंतजार महिलाओं को सालभर रहता है । करवा चौथ का व्रत सूर्योदय से शुरू होकर चंद्रोदय तक रहता है। इस दिन व्रती महिलाएं रात्रि काल में चन्द्रमा की दर्शन, पूजा एवं अघ्र्य देने के बाद पति के हाथ से जल पीकर पूर्ण करती है।

चलनी से छन कर व्यवहार विचार होते शुद्ध

व्रती महिलाएं चलनी से चंद्र दर्शन के बाद अपने पति को उसी चलनी से देखती है। शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार चलनी से पति को देखने से पत्नी के व्यवहार और विचार दोनों छन कर शुद्ध हो जाते है।

सूर्योदय से पूर्व करेंगी सरगही

आचार्य राकेश झा के मुताबिक मंगलवार की देर रात सूर्योदय से पूर्व सुहागिन महिलाएं सरगही करेंगी। सास के हाथों व्रती महिलाएं सरगही के सामान ग्रहण करेंगी। सरगही की थाली में सास अपनी बहुओं को कपड़े, नारियल, सेवई,फल-मेवा आदि सौपेंगी। सरगही करने के बाद महिलाएं व्रत का संकल्प लेंगी और पूरे दिन उपवास रखेंगी।

इन मंत्रों से करे पूजा मिलेगा अखंड सौभाग्य का वरदान

माता पार्वती - ओम उमा दिव्या नम:
भगवान शिव के लिए - ओम नम: शिवाय,
-ओम षण्मुखाय नम: से कार्तिकेय का
-ओम गणेशाय नम: से गणेश का और
-ओम सोमाय नम: से चंद्रमा का पूजन करने से मनोकामना पूर्ण तथा अखंड सौभाग्य का वरदान भी मिलेगा।

करवा चौथ पूजा मुहूर्त

प्रदोष काल - संध्या 05.16 बजे से 07.56 बजे तक
चंद्रोदय अघ्र्य रात्रि 07.40 बजे