पटना(ब्यूरो)। यूजीसी के नियमानुसार अब वही विश्वविद्यालय डिस्टेंस मोड में पढ़ाई करा सकते हैं जिन्हें नैक से ए ग्रेड प्राप्त हो। पटना यूनिवर्सिटी में साल 1974 से ही डिस्टेंस मोड में पढ़ाई कराई जा रही थी, लेकिन सत्र 2016-17 बैच के छात्रों की डिग्री आज भी सवालों के घेरे में है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट अपने अभियान ये सवाल फ्यूचर का है की कड़ी में जायजा लिया पीयू के डीडीई का तो पढि़ए रिपोर्ट।
किसी विवि में नहीं होती डिस्टेंस से पढ़ाई
बिहार जैसे राज्य में जहां निम्न आय वर्गीय परिवार के लिए आज भी शिक्षा से पहले भोजन आता है, उनके लिए शिक्षा से ज्यादा दो वक्त का भोजन महत्व रखता है। उसमें मंहगी होती उच्च शिक्षा को पाना बहुत कठिन है। डीडीई के संचालन के लिए यूजीसी के नियमों का अनुपालन नहीं करना बिहार के विश्वविद्यालयों की दुर्दशा को दिखाता है। बिहार में सरकारी और गैरसरकारी विश्वविद्यालयों में भी चार से पांच विश्वविद्यालय ही डिस्टेंस मोड में पढ़ाई करवा रहे थे, जो अब केवल नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी में ही हो रही है।
मान्यता रद होने के बाद भी हुआ नामांकन
साल 2016 में विश्वविद्यालय की मान्यता रद होने के बाद उस बैच के छात्रों की डिग्री पर सवाल उठने लगे। विश्वविद्यालय प्रशासन ने तीन वर्षीय बीए और बीकॉम कोर्स में नामांकित छात्रों को पीयू के संबंधित विभिन्न कॉलेजों में रेगुलर मोड में शिफ्ट कर दिया, लेकिन एक वर्षीय कोर्स जैसे- बी.लिस, पीजी डिप्लोमा इन मार्केटिंग मैनेजमेंट, पीजी डिप्लोमा इन फाइनेंशियल मैनेजमेंट, पीजी डिप्लोमा इन ऑपरेशन मैनेजमेंट कोर्स में 300 से ज्यादा छात्र नामांकित थे। एक वर्षीय कोर्स के छात्रों की डिग्री वैध करने में विश्वविद्यालय प्रशासन विफल रहा। सत्र 2016-17 बैच के छात्रों की डिग्री आज भी सवालों के घेरे में है।
डिग्री वाले नौकरी से धो रहे हाथ
पटना यूनिवर्सिटी के दूर शिक्षा निदेशालय से विभिन्न विषयों में सर्टिफिकेट व डिग्री हासिल करने वाले स्टूडेंट्स को धीरे-धीरे नौकरी से हाथ धोना पड़ रहा है। सत्र 2016 में बी.लिस, पीजी डिप्लोमा इन मार्केटिंग मैनेजमेंट, पीजी डिप्लोमा इन फाइनेंशियल मैनेजमेंट, पीजी डिप्लोमा इन ऑपरेशन मैनेजमेंट के सर्टिफिकेट व डिग्री प्राप्त करने वाले स्टूडेंट्स को कई जगहों पर नौकरी से वंचित कर दिया है।
पीयू प्रशासन पर कराया केस दर्ज
पटना यूनिवर्सिटी के दूर शिक्षा निदेशालय से बी.लिस की डिग्री प्राप्त करने वाले प्रभात कुमार सिंह की नौकरी हैदराबाद में लगी थी। लेकिन, उन्हें नौकरी से हाथ धोना पड़ा। डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन में उनकी बी.लिस की डिग्री को अवैध करार दिया गया। नौकरी जाने के बाद प्रभात ने पीयू प्रशासन पर केस दर्ज कराया है। इससे पहले भी यहां से डिग्री प्राप्त करने वाले देबाशीष पंडित पाल की नौकरी बंगाल में लगी थी, लेकिन, नौकरी के बाद डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन में उनकी नौकरी चली गयी। इनकी बी.लिस की डिग्री वैध नहीं है। लेकिन, एम.लिस की डिग्री सही है। जबकि देबाशीष ने दोनों डिग्री पीयू से प्राप्त की है और दोनों में वह गोल्ड मेडलिस्ट हैं, लेकिन उनकी बी.लिस की डिग्री को फर्जी करार दे दिया गया। इस कारण स्टूडेंट्स इस डिग्री को वैध करने की मांग पीयू प्रशासन से कर रहे हैं।
बीकॉम और बीए को रेगुलर मोड में किया गया परिवर्तित
पटना यूनिवर्सिटी के दूर शिक्षा निदेशालय की बी.कॉम और बीए की डिग्री भी अवैध थी, लेकिन पीयू प्रशासन ने बिहार सरकार से अनुमति प्राप्त कर बीए और बीकॉम की डिग्री को रेगुलर मोड में परिवर्तित करा दिया। इसके बाद सभी स्टूडेंट्स को डिस्टेंस वाली मार्क्सशीट को सरेंडर करा कर रेगुलर मोड की मार्क्सशीट दी गयी। लेकिन, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट के विभिन्न कोर्स की डिग्री अब भी अवैध है। इसे अब तक वैध नहीं किया गया है।
एक साल के कोर्स के कारण मामला फंसा
सत्र 2016 में पीयू के दूर शिक्षा निदेशालय को मान्यता नहीं मिली थी, लेकिन, डिस्टेंस मोड में एडमिशन ले लिया गया। जब डिग्री की वैधता पर सवाल उठने शुरू हुए, तो पीयू ने आनन-फानन में बीए और बीकॉम के सभी स्टूडेंट्स को रेगुलर मोड से डिग्री प्रदान कर दी, लेकिन एक साल के सभी कोर्स का मामला फंस गया। इन सभी कोर्स की परीक्षा हो गयी थी। सर्टिफिकेट और मार्क्सशीट भी जारी कर दिए गए थे। इस कारण इन सभी को रेगुलर मोड में डिग्री को लेकर योजना नहीं बन पायी।