पटना ब्यूरो। पटना के होटल में गुरुवार को आग लगने से आधा दर्जन से ज्यादा लोगों की जान चली गयी। पटना में जिस बिल्डिंग में आग लगी वहां अग्नि सुरक्षा यंत्र होते हुए भी उसे चलाने की जानकारी नहीं थी। फायर एनओसी भी नहीं ली गयी थी। यह मंजर तो सिर्फ चार मंजिला भवन की रही। लेकिन शहर में कई उंची इमारत, नर्सिंग होम और होटल बिल्डिंग चल रहे। लेकिन कल जिस तरह से समय रहते अग्निशमन विभाग ने रेस्क्यू कर 45 लोगों को बाहर निकाला उसकी चर्चा पूरे देश में हो रही है। परंतु इस घटना से यह बात तो सामने निकल कर आ गई कि बड़ी संख्या में लोग व संस्थानें फायर सेफ्टी को अनदेखा करके चल रहे हैं। इसकी पड़ताल की दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने।
उंची इमारतो से रस्क्यू करना हुआ आसान
होटल पाल अगलगी घटना में कई लोगों की जान सांसत में फंस गई थी, लेकिन अग्निशमन विभाग के द्वारा लगाए गए पांच की संख्या में हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म ने समय रहते होटल के अंदर के तल्लों पर फंस करीब 35 लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित बाहर निकाला। दमकल विभाग के अधिकारी ने बताया कि हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म के चलते आग पर कंट्रोल पाया गया। साथ ही हाइड्रा से आग में फंसे लोगों को बाहर निकाला गया।
52 मीटर हाइट तक के हाइड्रोलिक दमकल
पटना में 52 मीटर हाइट तक के भवनों में आग बुझाने के लिए हाइड्रोलिक प्लेटफार्म युक्त दमकल है। यानि अब 52 मीटर एंची इमारतों में आग लग जाने पर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाने के लिए अग्निशमन विभाग पूरी तरह से तैयार है।
दिखाबे को लगे हैं अग्निशमन यंत्र
राजधानी के अधिकतर होटलों में आग से बचाव के लिए लगाए गए यंत्र मात्र दिखाबे के लिए है। पॉश इलाके में स्थित ज्यादातर होटलों में आग से निपटना तो दूर ऐसे हादसे होने पर यहां से निकले के रास्ते नहीं है। इन होटलों में न फोर्टबेल अग्निशमन यंत्र तो लगे थे लेकिन रिफिलिंग तय वक्त पर नहीं थी। हालांकि वहीं कुछ बड़े होटलों में अगलगी के मदृेनजर पुख्ता इंतजाम हैं और वहां फायर ऑडिट हुई है।
दुकानों पर मंडरा रहा खतरा
आग लगने का सबसे ज्यादा खतरा दुकानों में होता है। दरअसल रात के समय दुकानें बंद रहती हैं। कई बार दुकानदार दीपक, अगरबत्ती या ऐसी कोई चीज जलती छोड़ जाते हैं, जिससे आग लग जाती है। शार्ट सर्किट आगजनी का सबसे बड़ा कारण है। इसे देखते हुए दुकानों में भी आग से सुरक्षा के लिए मानक तय हैं, पर इनका कहीं पालन नहीं होता। छोटी दुकानों को छोड़ भी दें, तो बड़े शोरूम और शॉपिंग प्लाजा में भी फायर फाइटिंग इक्विपमेंट्स नहीं हैं। ऐसे में दुकानों में रखे सामान के साथ आसपास रहने वालों और वहां जाने वालों पर भी खतरा रहता है। दो साल पहले प्रशासन ने आगजनी रोकने के लिए शहर के सभी व्यापारियों को अग्निशमन यंत्र रखने का आदेश जारी किया था, पर इसका कोई पालन नहीं कर रहा है।
डबल इंजन से युक्त है हाइड्रोलिक प्लेटफार्म
हाइड्रोलिक प्लेटफार्म कई अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त है। इसमें दो इंजन लगे हैं। लिहाजा यदि अग्निशमन कार्य के दौरान यदि एक इंजन खराब हो जाता है तो तुरंत दूसरे इंजन को चालू कर बचाव कार्य जारी रखा जा सकता है। बैटरी से भी इसका संचालन संभव है। इसके उपरी हिस्से में लगे केज की 500 किलो भार सहन करने की क्षमता है। बचाव कार्य के दौरान इस केज में एक साथ करीब आठ से नौ लोगों को एक साथ नीचे उतारा जा सकता है।
यह सावधानियां बरतना जरूरी
होटल की घटना को लेकर डीजी शोभा अहोटकर ने बताया कि होटलों व रेस्टोरेंट जैसे प्रतिष्ठानों में फायर ऑडिट बेहद जरूरी है। आपातकालीन रास्ते का होना बेहद जरूरी है। बड़ी इमारतों के हर तल्ले पर पोर्टेबल अग्निशमन यंत्र का होना अनिवार्य है। वहां कर्मियों को इसे चलाने का प्रशिक्षण भी दिया जाना चाहिए। साथ ही होटलों के किचेन में आग बुझाने के यंत्र व बालू का होना बेहद जरूरी है।
अग्निशमन से एनओसी लेने के नियम
फायर का एनओसी लेने के लिए विभाग के पास आनलाइन आवेदन करना होता है। सभी पेपर, फॉर्म अपलोड करने के बाद मुख्यालय से संबंधित स्टेशन के अधिकारी उक्त संस्थान में जाकर स्थल निरीक्षण करते हैं। जांच के दौरान खामियों को चिह्नित कर संस्थान प्रबंधन को जानकारी देने के बाद फायर से संबंधित सभी इक्यूपमेंट को इंस्टॉल करने के लिए कहते हैं। सारी प्रक्रिया पूरी होने के बाद फायर स्टेशन प्रभारी फिर से निरीक्षण कर रिपोर्ट मुख्यालय भेजते हैं। सभी बिंदु सही होने पर ही एनओसी के लिए अप्लाई करने की अनुमति दी जाती है।
बिल्डिंग बायलॉज में नियमों की अनदेखी
शहर में अधिकतर बिल्डिंग में फायर सेफ्टी संसाधन तक नही है। बिल्डिंग बायलॉज में 18 से 20 फीट की सड़क पर जी प्लस टू भवन का नक्शा पास करने का प्रावधान है, लेकिन नियमों की अनदेखी कर आज भी निर्माण जारी है, जबकि कॉम्प्लेक्स में आग से बचाव के उपकरणों व साधन में अंडरग्राउंड टैंक, ओवर हेड टैंक, वैकल्पिक बिजली व्यवस्था, राइजर, डिलेवरी होज विथ ब्रांच, फायर अलार्म, फायरमैंन स्विच, ऑटोमेटिक प्रिरंटलर आदि सबसे जरूरी है, लेकिन अधिकांश बिल्डिंगों में ये उपकरण ना के बराबर है।
डराते हैं ये आंकड़े
आग लगने की घटना में 40 से 50 फीसदी तक की वृद्धि
2023 में आगजनी से 83 लोगों की गई जान
2022 में 54 लोगों ने आग से गवाई जान
2021 में 28 लोग काल के गाल में समाए
राज्य में 169 हॉटस्पॉट
राज्य में 1000 से अधि आग लगने की घटनाएं हर साल दर्ज की जाती है। बिहार के 16 जिले हॉटस्पॉट हैं। तमाम जिलों में आगजनी की घटनाए हुई हैं। राज्य के अंदर 169 हॉटस्पॉट को चिन्हित किया गया है, जिसमें 19 पटना में है। इन सभी जगहों पर आग लगी की घटनाएं अधिक होती हैं।