पटना (ब्यूरो)। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध जारी है। करीब एक माह से अधिक समय से ऐसे माहौल के बीच किसी प्रकार जान बचाकर बिहार लौट चुके स्टूडेंट्स को अब करियर की चिंता सताने लगी है। मेडिकल के फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स को छोड़कर अन्य सभी सेमेस्टर के स्टूडेंट की परेशानी इस बात को लेकर है कि अब पढ़ाई कैसे होगी और कब तक होगी? दरअसल, थ्योरी की ऑनलाइन पढ़ाई तो शुरू कर दी गई है लेकिन प्रैक्टिकल का कोई विकल्प नहीं है। ऐसे में पढ़ाई अधूरी रह जाने का डर ऐसे सैंकड़ों स्टूडेंट्स के लिए परेशानी का सबब बन गया है।

23 प्रतिशत डॉक्टर का मामला
यूक्रेन स्थित भारतीय दूतावास के अनुसार कुल 18095 स्टुडेंट मेडिकल एवं इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं। यह सभी भारतीय स्टूडेंट कुल इंटरनेशनल स्टूडेंट के समूह का 23.64 प्रतिशत है। हालांकि अब तक यूक्रेन सरकार की ओर से पढ़ाई एक बार फिर से शुरू किये जाने के संबंध में सूचना जारी नहीं की गई है। लेकिन तुरंत पढ़ाई शुरू करने की गुंजाइश नहीं दिख रही है।

कम फीस में पढ़ाई पड़ रहा भारी
अधिकांश स्टूडेंट्स इंडिया से बाहर, विशेष तौर पर रूस और इसके आस-पास के देशों में पढ़ाई करने कम फीस के कारण ही जाते हैं। यूक्रेन जाने वाले स्टूडेंट भारत के फीस के मुकाबले आधे पैसे में पढ़ाई पूरी कर लेते हैं। 3 से लेकर 4 लाख तक के खर्च पर पढ़ाई पूरी कर सकते हैं। जिस में टीचिंग फीस और हॉस्टल फीस भी शामिल है।