एक पुलिस कर्मी था खड़ा
दोपहर के 12.30 बज रहे थे। भीषण गर्मी के बाद भी बोरिंग रोड में जाम ही जाम। ट्रैफिक को स्मूथ बनाने के नाम पर सिर्फ तफस्या मोड़ पर ही पांच छह ट्रैफिक के ऑफिसर से लेकर कंस्टेबल तक लगे हैं। एक ही जवान ट्रैफिक को रेगुलेट कर रहा। अन्य पुलिसकर्मी आराम से पेड़ की छांव में बैठे हैं। वे जाम होने के बाद भी हिलने की कोशिश नहीं करते। बस खानापूर्ति के तौर पर गाडिय़ों की चेकिंग कर रहे थे। वे भी वैसे लोगों की जिनके पास सारे कागजात मौजूद हैं और आमतौर से ट्रैफिक नियमों का पालन कर रहा है। उनकी आंखों के सामने से ही तेज रफ्तार से ट्रिपल लोड और बिना हेल्मेट के बाइकर्स जा रहे हैं मगर उन्हें नहीं रोका जाता।

ट्रैफिक पोस्ट तो है मगर

बोरिंग रोड चौराहे से लेकर एएन कॉलेज पानी टंकी तक सड़क के डिवाइडर पर चार ट्रैफिक पोस्ट हैं मगर वहां कोई ट्रैफिक कर्मी नहीं रहता जबकि उन सभी जगहों पर काफी जाम लगता है। बोरिंग रोड चौराहे का पोस्ट तो पहले से बंद है। अन्य पर तो कभी कभी पुलिस वाले दिखते थे मगर अब कोई नहीं रहता। कई बार बोरिंग रोड में जाम को सुधारने की बात सीनियर ऑफिसर्स द्वारा कही जाती है मगर इसका कोई असर नहीं दिखता.
 

रोड पर ही फैला है कूड़ा

बोरिंग रोड में कई जगहों पर अब भी कूड़ा पसरा है। लाख कोशिश के बाद भी एएन कॉलेज के समीप सड़क पर ही कूड़े का ढेर लगा है। वहीं कॉलेज के सामने ही बन रहे मॉल के पास भी कचरा पसरा है। जो ट्रैफिक को स्मूथ नहीं होने देता।

यू टर्न भी बनी प्राब्लम

बोरिंग रोड में कई जगहों पर यू टर्न बना है। टर्न लेने के लिए आराम से लम्बी-लम्बी कतारें लगी रहती हैं। ऐसे में जाम की प्राब्लम और बढ़ जाती है। खास बात यह कि वहां कोई ट्रैफिक पुलिसकर्मी मौजूद नहीं होता। मंडे का नजारा भी कुछ ऐसा है कोई देखने वाला नहीं था। अगर यू टर्न पर पुलिस कर्मी रहे तो स्थिति कुछ अलग हो सकती है। स्थिति में सुधार हो सकता है.

 सड़क किनारे लगी हैं दुकानें
बोरिंग रोड में जाम का एक और बड़ा कारण है कि कम चौड़ाई वाली सड़क पर भी इंक्रोचमेंट किया गया है। इसमें फल वालों से लेकर कई ठेला वाले कब्जा किए हैं। खासकर शाम के समय तो सब्जी से लेकर कई तरह की दुकानें सज जाती हैं। ऐसे में सड़क जाम होना लाजिमी है। यह हर दिन की नियति बन गई है। दुकानें भी आमतौर से परमानेंट बन चुकी हैं.
 

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और काट डाला चालान

तपस्या चौराहे पर पुलिस एक युवक को रोकती है। सिद्धार्थ शंकर नाम के इस लड़के की बाइक पर आगे नम्बर प्लेट पर नम्बर लिखा था मगर थोड़ा छोटा दिख रहा था। पुलिस वालों ने उसका कागजात चेक किया। सब कुछ सही था। फिर भी उसे 100 रुपए का चलाना काटा गया। उस लड़के ने शालीनता से कहा-मैं सारे नियमों का पालन कर रहा हूं। मेरे फादर भी हाईकोर्ट में एडवोकेट हैं। आप लोग गलत कर रहे हैं। वहां मौजूद एक पुलिस कर्मी डी एल कुमार ने उसकी बात सुनने के बाद अकड़कर कहा- यहां जज लोगों का भी चालान कटता है यह कहकर मानो उसने अपनी जीत दर्ज कर दी। आखिरकार चालान काट दिया गया। वहीं दूसरी और एक अन्य व्यक्ति को भी पकड़ा गया उसके पास कोई कागजात नहीं था लेकिन कुछ फोन और कुछ मैनेजमेंट के कारण छोड़ दिया गया.
 

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आराम का अड्डा बना है
यह मोड़ ट्रैफिक पुलिस के लिए आराम का अड्डा बना है। जूते खोलकर आराम से पेड़ के नीचे लगी कुर्सियों पर बैठकर ड््यूटी होती है। कौन आ रहा है या जा रहा उससे कोई मतलब नहीं, बस अपनी ड्यूटी का घंटा पूरा करना है। जूते खोलकर आराम से बैठे ऑफिसर को यह भी पता नहीं कि वह ड्यूटी पर है और उसके कोई भी सीनियर उधर से गुजर सकते हैं मगर इसका उसे कोई डर नहीं क्योंकि कोई चेक करने नहीं आएगा।