पटना ब्‍यूरो। शब्द के अत्यंत विनम्र और सिद्ध साधक थे महाकवि केदारनाथ मिश्र प्रभात एक एक शब्द को तौल कर प्रयोग करते थे। शब्दों के नगीने तराश कर वे अपने काव्य में पिरोते थे। उनके काव्य से शब्द के एक मोती को भी हटाया नहीं जा सकता। यह बातें बुधवार को बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में चल रहे हिन्दी पखवारा और पुस्तक चौदस मेला के 11 वें दिन महाकवि की जयंती पर आयोजित पुस्तक-लोकार्पण समारोह एवं कवि-सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। उन्होंने कहा कि प्रभात की काव्य-कल्पनांएं भी अत्यंत मोहक और चकित करती हैं। समारोह के मुख्य अतिथि और राज्य उपभोक्ता संरक्षण आयोग, बिहार के अध्यक्ष न्यायमूर्ति संजय कुमार ने इस अवसर पर युवा कवि सूर्य प्रकाश उपाध्याय के दो भोजपुरी काव्य-संग्रहों गीत कवन गाईं हम तथा मन पुरवा पछेया का लोकार्पण भी किया। न्यायमूर्ति ने कहा कि प्रभात जी हिन्दी काव्य के आकाश में सबसे अधिक चमकने वाले सितारे थे.उन्होंने लोकार्पित पुस्तकों के कवि सूर्य प्रकाश उपाध्याय को बधाई और शुभकामनाएं दी। मौके पर जियालाल आर्य, मोहन मृगेंद्र, वरिष्ठ कवि बच्चा ठाकुर, डा मेहता नगेंद्र सिंह, डा पूनम आनन्द, डा पुष्पा जमुआर, डा शालिनी पाण्डेय, पूनम देवा, डा प्रतिभा रानी, जय प्रकाश पुजारी, सागरिका राय, इंदु उपाध्याय, मीरा श्रीवास्तव, शंकर शरण मधुकर, शमा कौसर शमा, प्रो सुनील कुमार उपाध्याय सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।