पटना (ब्यूरो)। पटना यूनिवर्सिटी का पटना कॉलेज कई मामलों में विशेष और ऐतिहासिक रहा है। आपको बताना चाहता हूं कि पटना कॉलेज एक ऐसा कॉलेज है जिसमें लगभग सभी विभाग शुरू किये गए थे। इसी कड़ी में वर्ष 1927 से ही भूगोल विभाग का संचालन किया जा रहा है। हालांकि वर्ष 1949 में इसका औपचारिक रूप से अलग बिल्डिंग में संचालित होने लगा। ये बातें पटना कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल और पटना यूनिवर्सिटी के पूर्व वीसी डॉ। रास बिहारी प्रसाद सिंह ने कहीं। वे मंगलवार को पटना यूनिवर्सिटी के भूगोल विभाग के प्लैटिनम जुबली सेलीब्रेशन के अवसर पर प्लेटिनम जुबली के विशेष लोगो का अनावरण करते हुए कहा। उन्होंने इसके उपलब्धियों के बारे में बताया कि अविभाजित बिहार का पहला बड़ा हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट डीवीसी के बेसिन का स्टडी के अध्ययन का काम भूगोल विभाग को ही दिया गया। भूगोल विभाग, पीयू ने इसके अपर बेसिन के टोपोग्राफी आदि की जानकारी दी। इसी प्रकार और भी कई उपलब्धियां इसके नाम रही है।
गंगा के पॉल्यूशन पर रिसर्च
भूगोल विभाग की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए डॉ। रास बिहारी प्रसाद सिंह ने बताया कि गंगा बेसिन के पॉल्यूशन पर व्यापक स्टडी सबसे पहले करने का श्रेय भी इसी विभाग को जाता है। यहां के पूर्व भूगोल विभाग के अध्यक्ष डॉ। सुदीप्तो अधिकारी के नेतृ़त्व में कई बड़े प्रोजेक्ट को पूरा किया गया। इससे पहले 1962 में भारत-नेपाल सीमा के सर्वेक्षण का काम भी इसी भूगोल विभाग को दिया गया था। इसे सफलता पूर्वक पूरा किया गया था। जानकारी हो कि पटना कॉलेज में कई विभाग स्थापित किये गए, लेकिन दो विभाग भूगोल और साइकोलॉजी डिपार्टमेंट आज भी पटना कॉलेज में ही संचालित किया जा रहा है।
सेंटर फोर एडवांस स्टडी
वर्ष 1983-84 में पटना यूनिवर्सिटी के भूगोल विभाग में सेंटर फोर एडवांस स्टडी की स्थापना की गई। डॉ। रास बिहारी प्रसाद सिंह ने बताया कि इसके अंतर्गत यूजीसी फंडेड प्रोग्राम था। इस दौरान पटना कॉलेज में बतौर डिपार्टमेंट हेड मैने कई प्रोजेक्ट पर कार्य किया। इसमें भभुआ के ड्राउट प्रोन एरिया पर सर्वे किया गया था। उपलब्धियों का सिलसिला आगे भी जारी रहा। पीयू के इस भूगोल विभाग को डीआरएस वन यानि डिपार्टमेंटल रिसर्च स्कीम का दर्जा यूजीसी ने दिया। इसके अंतर्गत यूजीसी से डिपार्टमेंट को 67 लाख रुपये दिया गया।
ऐतिहासिक क्षण बताया
प्लेटिनम जुबली के मौके पर प्लेटिनम जुबली के विशेष लोगो (प्रतीक चिन्ह) का अनावरण पटना विश्वविद्यालय के वीसी प्रो। केसी। सिन्हा ने किया। वे इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में इस कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि भूगोल विभाग के उल्लेखनीय 75 साल की यात्रा, समृद्ध विरासत और निरंतर विकास का प्रतीक है। प्लैटिनम जुबली लोगो उत्कृष्टता के प्रति विभाग की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। कार्यक्रम का संयोजन विभागाध्यक्ष प्रोफेसर मो। नाजिम ने किया।
लोगो मेकिंग कराया गया था
डिपार्टमेंट हेड ने बताया कि इस ऐतिहासिक उत्सव का प्रतिनिधित्व करने वाले लोगो का चयन करने के लिए दिसम्बर में एक लोगो मेकिंग प्रतियोगिता आयोजित की गई थी। डिपार्टमेंटल काउंसिल के सदस्यों ने प्रस्तुत किए गए सभी लोगो की समीक्षा की। चयन प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लिया जिसमें एमए के छात्र आदित्य वर्धन, हितेश, आकांक्षा कीर्ति और शोधार्थी आकांक्षा के लोगो को चुना गया। मूल्यांकन के बाद, अंतिम लोगो को रिसर्च स्कॉलर नवनीत निगम द्वारा समर्पण और रचनात्मकता से तैयार किया गया जो अब 75 साल की शैक्षणिक उत्कृष्टता का प्रतीक है। इस कार्यक्रम में पूर्व कुलपति प्रो। रासबिहारी प्रसाद सिंह, प्रो। के.एन। पासवान, प्राचार्य पटना कॉलेज संजय कुमार सिन्हा व अन्य उपस्थित रहे।