-आरजेडी के 5 एमएलसी पार्टी तोड़कर जेडीयू में शामिल

PATNA: विधानसभा से पहले विधान परिषद चुनाव यानी बिहार के लिए सेमीफाइनल माने जा रहे चुनाव में लालू को एक ही दिन में डबल झटका लगा है। ट्यूजडे को 5 एमएलसी आरजेडी को छोड़कर जेडीयू में शामिल हो गए। विधान परिषद के कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह ने सभी बागी एमएलसी को अलग गुट के रूप में जेडीयू में विलय की स्वीकृति दे दी है।

विधान परिषद में आरजेडी के कुल 8 एमएलसी थे। 5 अलग हो जाने से अब विधान परिषद में आरजेडी के 3 मेंबर्स रहे गए हैं। लालू को दूसरा बड़ा झटका आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह ने दिया है। पूर्व सांसद रामा सिंह को आरजेडी में लाने की तैयारी से नाराज रघुवंश ने पार्टी पद से इस्तीफा दे दिया

है। ज्ञात हो कि रामा सिंह ने 2014 के लोकसभा चुनाव में लोजपा प्रत्याशी के रूप में रघुवंश को वैशाली सीट से हराया था।

विलय के बाद अधिसूचना जारी

पांचों एमएलसी ने समूह बनाकर जेडीयू में विलय का पत्र विधान परिषद में जदयू की सचेतक रीना यादव को दिया, जिसपर विधान परिषद के कार्यकारी सभापति ने पहले अलग समूह के रूप में मान्यता दी और बाद में जदयू में विलय की मंजूरी दी। विलय के बाद विधान परिषद के कार्यकारी सचिव की ओर से अधिसूचना भी जारी कर दी गई है।

10 वर्ष में 11 एमएलसी जेडीयू में

ज्ञात हो कि बीते 10 वर्ष में विधान परिषद के 11 सदस्य दूसरे दलों को छोड़कर जेडीयू में शामिल हो चुके हैं। परिषद में एक साथ पांच सदस्यों के दल बदल का यह पहला मामला है। इससे पहले 2009 में स्थानीय क्षेत्र प्राधिकार से विधान परिषद के चुनाव में लोजपा के तीन सदस्य जीते थे। राजेंद्र राय -हाजीपुर, राजू यादव-नालंदा और मो। इसराइल राइन-सहरसा। ये तीनों 2011 में जेडीयू में शामिल हुए थे। 2015 के इसी चुनाव में राजेंद्र राय को टिकट नहीं मिला। राजू यादव की पत्नी रीना यादव नालंदा से जीतीं। इसराइल सहरसा से हार गए। संयोग से इसबार आरजेडी छोड़ जेडीयू में शामिल हुए पांच में से तीन सदस्य स्थानीय क्षेत्र प्राधिकार से चुने गए हैं।

आरजेडी से नाराज रघुवंश सिंह ने दिया इस्तीफा

आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह बीमार हैं और अभी पटना के एम्स में उनका इलाज चल रहा है। उन्हें जब यह सूचना मिली कि पूर्व सांसद रामा सिंह ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव से संडे को मुलाकात की है और 29 जून को आरजेडी की सदस्यता लेने वाले हैं तो वह नाराज हो गए और इस्तीफा दे दिया। समाजवादी चरित्र के रघुवंश को बुरा लगा कि बिना सहमति उनके प्रतिद्वंद्वी को ज्वॉइन कराया जा रहा है। जगदानंद सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद से ही आरजेडी में खुद को उपेक्षित महसूस करते आ रहे रघुवंश के लिए यह बड़ा झटका था। रामा सिंह से रघुवंश की पुरानी सियासी अदावत है। रघुवंश फिलहाल बात करने की स्थिति में नहीं हैं।