पटना ब्‍यूरो। आपने कई बार देखा होगा संवेदनशील इलाकों में आग लगने पर फायर ब्रिगेड की टीम को आग बूझाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। संकरे रास्ते होने के कारण फायर ब्रिगेड की गाडिय़ों को घटनास्थल पर पहुंचने में दिक्कत होती है। ऐसे में कई बार बड़ी जान माल की भी हो जाती है। अब इस समस्या से निजात पाने के लिए अग्निशमन विभाग बड़े बदलाव करने जा रहा है। पटना में दमकल विभाग अब अमेरिका और ब्रिटेन में इस्तेमाल होने वाली फायर फाइटर ड्रोन तकनीक से आग बुझाएगा। इसकी मदद से ऊंची इमारतों और संवेदनशील इलाकों में आग पर काबू पाने में आसानी होगी। अग्निशमन विभाग के पदाधिकारी राजेन्द्र कुमार भील ने बताया कि बहुमंजिला भवनों में आग पर काबू पाने के लिए जल्द ही ड्रोन सिस्टम काम करेगा। ड्रोन सिस्टम लाने का काम प्रोसेस में है।

दमकल वाहनों को किया अपग्रेड
वहीं आग पर जल्द काबू पाने के लिए फायर ब्रिगेड की गाडिय़ों को अपग्रेड भी किया गया है। पटना में हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म के साथ वाटर वाउज और फोम टेंडर जैसी अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस अग्निशमन विभाग की 98 गाडिय़ां एक्टिव है। जिसमें से 34 नई गाडिय़ों को हाल ही में अग्निशमन सेवा में शामिल किया गया है। इन गाडिय़ों की मदद से पहले के मुकाबले आग पर जल्दी काबू पाया जा सकता है। साथ ही इसको ऑपरेट करना भी आसान हो गया है। इन वाहनों में 72 प्रकार के ऐसे उपकरण हैं, जिससे फायर ऑफिसर और लोगों की सुरक्षा हो सकती है।

अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस हैं गाडिय़ां
पटना के डीएम शीर्षत कपिल अशोक ने आम जनता से अग्नि-सुरक्षा हेतु निर्धारित मापदंडों का पालन करने का आह्वान किया है। साथ ही उन्होंने आपदा प्रबंधन के पदाधिकारियों को आग लगने की घटना पर प्रावधानों के अनुसार अग्निकांड पीडि़तों को 24 घंटे के अंदर अनुमान्य सहायता उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। उन्होंने बताया कि अगर पटना में कहीं अग्निकांड की घटना होती है तो, यह वाहन फस्र्ट रिस्पॉन्डर के तहत वहां पहुंचेंगे और पहले के मुकाबले कम समय में आग पर काबू पा लेंगे। उन्होंने बताया कि अभी अग्नि प्रवण काल चल रहा है जिसमें मार्च से जून तक अग्निकांड से सुरक्षा एवं बचाव हेतु आम जन को जागरूक करना जनहित में आवश्यक है। इस अवधि में पछुआ हवा का प्रवाह भी तीव्र होती है। ग्रीष्मकाल में विभिन्न क्षेत्रों में अग्निकांड की संभावना बढ़ जाती है। ग्रामीण इलाकों में अगलगी की घटना होने पर खेत, खलिहान, खड़ी फसल आदि में जान-माल की क्षति होती है। डीएम ने कहा कि ऐसी स्थिति में आग लगने की घटनाओं की रोकथाम हेतु सुरक्षात्मक उपाय करने के लिए दिये गये निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करें। आग लगने की हर छोटी-बड़ी घटना की सूचना क्षेत्रीय पदाधिकारी व वरीय पदाधिकारियों को तुरंत दें। मानक संचालन प्रक्रिया के अनुसार प्रबंधन सुनिश्चित करें.्र

अग्निशमन विभाग की 98 गाडिय़ां है एक्टिव
डीएम ने बताया कि पटना जिला में अग्निशमन विभाग की 98 गाडिय़ां एक्टिव है, जिसमें 36 गाडिय़ां 400 लीटर तथा 44 गाडिय़ां 5,000 लीटर से अधिक क्षमता की है। तीन हाइड्रॉलिक प्लेटफ़ॉर्म, 2 फोम टेंडर तथा 13 वाटर वाउजर है। जिला में 10 फायर स्टेशन हैं, जिसमें 6 शहरी क्षेत्रों में तथा 4 ग्रामीण क्षेत्रों में है। 10 अनुमडंल स्तरीय अग्निशामालय पदाधिकारी कार्यरत हैं। डीएम शीर्षत कपिल अशोक ने बताया कि पटना जिला अन्तर्गत सभी सरकारी (अग्निशाम, पीएचईडी एवं अन्य) तथा निजी हाईड्रेन्ट एवं जलश्रोतों को एक्टिव रखने का निदेश दिया। उन्होंने अग्निशामालयों तथा थानों में प्रतिनियुक्त सभी अग्निशामक वाहनों को ड्राइवर एवं अन्य संसाधनों सहित 24 घंटे मुस्तैद रखने का निर्देश दिया ताकि आवश्यकता की घड़ी में इसे तुरंत घटना स्थल पर भेजा जाए।

इस तरह करें अगलगी की घटना से बचाव
-स्टोव या लकड़ी, गोइठा, गैस चूल्हा पर खाना बनाते वक्त सावधानी बरतें। हमेशा सूती वस्त्र पहनकर ही खाना बनायें।

-ग्रामीण क्षेत्रों में गेहूं कटनी तथा ओसनी का काम हमेशा रात में तथा गांव के बाहर खलिहान में जाकर करें।
-अपार्टमेंट, फ्लैट व खलिहान पर समुचित पानी व बालू की व्यवस्था रखें।
-खाना पकाते समय रसोईघर में वयस्क मौजूद रहें, बच्चों को अकेला न छोड़ें।
-खिड़की से स्टोव के बर्नर तक हवा न पहुंच पाए। इस बात की पूरी तसल्ली कर लें।
-तौलिये या कपड़े का इस्तेमाल सावधानी से गर्म बर्तन उतारने के लिए करें।
-तैलीय पदार्थ से लगी आग पर पानी न डालें या सिर्फ बेकिंग सोडा, नमक डालें या उसे ढंक दें।
-गैस चूल्हे का इस्तेमाल करने के तुरंत बाद सिलिंडर का नॉब बंद कर दें।
-बिजली तारों एवं उपकरणों की नियमित जांच करें।
-घर में अग्निशमन कार्यालय तथा अन्य आपातकालीन नंबर लिखा हुआ हो और घर के सभी सदस्यों को इन नंबरों के बारे में पता हो।
-आग लगने पर दमकल विभाग को फोन करें और उन्हें अपना पूरा पता बतायें, फिर दमकल विभाग जैसा कहे वैसा ही करें।

क्या न करें
-बच्चों को माचिस या आग फैलाने वाले एवं अन्य सामानों के पास न जाने दें।
-बीड़ी, सिगरेट, हुक्का आदि पीकर जहां-तहां न फेंके, उसे पूरी तरह बुझने के बाद ही फेंके।
-चूल्हा, ढिबरी, मोमबत्ती, कपूर इत्यादि जलाकर न छोड़ें।
-अनाज के ढेर, फूस या खपड़ैल की झोपड़ी के निकट अलाव व डीजल इंजन नहीं चलाएं।
-सार्वजनिक स्थलों, ट्रेनों एवं बसों आदि में ज्वलनशील पदार्थ न ले जाएं
-आपके कपड़े में अगर आग लग जाए तो दौडऩा नहीं चाहिए बल्कि जमीन पर लेटकर गोल-गोल कर आग बुझायें।
-खाना बनाने के समय ढीले-ढाले कपड़े न पहनें
-अग्नि दुर्घटना के दौरान कभी भी लिफ्ट का प्रयोग नहीं करें।
-गैस की दुर्गंध आने पर बिजली के स्वीच को न छुएं।
-खाना पकाते समय रसोईघर में बच्चों को अकेला न छोड़ें।


पटना के अग्निशमन विभाग एक नजर में
-अग्निशमन की कुल 98 गाडिय़ां
-36 गाडिय़ां 400 लीटर का
-44 गाडिय़ां 5,000 लीटर क्षमता का
-3 हाइड्रॉलिक प्लेटफ्रॉर्म
-2 फोम टेंडर
-13 वाटर वाउजर
-10 फायर स्टेशन


अगलगी की घटनाओं पर काबू पाने के लिए अग्निशमन वाहन 24 घंटे एक्टिव है। बहुमंजिला भवनों में आग पर काबू पाने के लिए जल्द ही ड्रोन सिस्टम काम करेगा। ड्रोन सिस्टम लाने का काम अभी प्रोसेस में है।
- राजेन्द्र कुमार भील, अपर निदेशक सह सहायक राज्य अग्निशमन पदाधिकारी