पटना (ब्यूरो)। कला संस्कृति एवं युवा विभाग बिहार सरकार के सहयोग से राज्यस्तरीय दो दिवसीय युवा उत्सव का रविवार को भव्य शुभारंभ हुआ। उद्घाटन समारोह मुजफ्फरपुर क्लब मैदान में हुआ। प्रदेश के कला-संस्कृति एवं युवा विभाग के मंत्री जितेंद्र कुमार ने गुब्बारा उड़ाकर और बिहार के गौरव गान के साथ कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की। उन्होंने कहा कि युवा महोत्सव के माध्यम से सभ्यता-संस्कृति और युवाओं की प्रतिभा को प्रदर्शित करने का मंच मिलता है। कड़ाके की ठंड के बीच युवाओं के उत्साह को देख उन्होंने काफी तारीफ की। कहा, जिले में दो हजार की क्षमता वाले प्रेक्षागृह का निर्माण जारी है।
कला-संस्कृति एवं युवा विभाग की सचिव वंदना प्रेयसी ने कहा कि मुजफ्फरपुर जिला प्रशासन ने कम समय में इतनी ठंड में शानदार कार्यक्रम का आयोजन किया है, यह प्रशंसनीय है। उन्होंने ब'चों से बातचीत कर उन्हें दी जानेवाली सुविधाओं से संबंधित फीडबैक लिया। सोमवार को परिणाम के साथ प्रतियोगिता का समापन होगा। विजेता टीम कर्नाटक के हुबली धारवाड़ में 12 से होने वाले राष्ट्रीय युवा उत्सव में भाग लेगी।
गायन-वादन-नृत्य कला की प्रस्तुतियों से झंकृत होते रहे हृदय के तार :
सर्द हवाएं प्रतिभागी और दर्शकों को कंपकंपा रही थीं, लेकिन इसके बाद भी प्रतिभागी पूरे जोश के साथ प्रस्तुति दे रहे थे। मुजफ्फरपुर क्लब में विभिन्न जिलों से आए प्रतिभागियों ने समूह लोक गायन-लोक नृत्य प्रतियोगिता में अपनी प्रतिभा दिखाई। अरवल, मुंगेर, कटिहार, वैशाली और इसके बाद बारी थी गया के प्रतिभागियों की। जैसे ही गया के प्रतिभागियों ने अपनी प्रस्तुति शुरू की, वहां बैठा प्रत्येक व्यक्ति मुग्ध होकर तालियां बजाने लगा। यहां की टीम ने 13 मिनट की प्रस्तुति में बिहार के पर्व-त्योहार, खेती-किसानी, शादी-जन्म संस्कार से लेकर झिझिया, सामा-चकेवा, बधइया, होली और अन्य सभी संस्कृतियों को समेट लिया। प्रस्तुति के बाद लोगों ने खड़े होकर युवा प्रतिभागियों का उत्साह बढ़ाया। अरवल के प्रतिभागियों ने निमिया पतइया गिर जाला अंगनवा कइसे बहारब हो झूमर की प्रस्तुति दी। मुंगेर के प्रतिभागियों ने नाचे खेतवा में किसनवा मोरा जियरवा लहरेलाकी प्रस्तुति से समां बांध दिया। कटिहार के प्रतिभागियों ने मोरा बलमुआ न अइलेझूमर की प्रस्तुति दी। वैशाली के प्रतिभागियों ने कजरी की प्रस्तुति दी। जिला जहानाबाद की टीम ने फर गइले निमुआ, सोहर गइले पतिया न अइलेकी प्रस्तुति दी। प्रस्तुतियों को देख ऐसा लग रहा था जैसे गीत-संगीत और नृत्य की प्रस्तुतियों से हृदय के तार झंकृत हो उठे।
मुजफ्फरपुर व मधुबनी के प्रतिभागियों ने मोहा मन
मुजफ्फरपुर के प्रतिभागियों ने परिधान, सुर-तुला और नृत्य में समन्वय से सबका ध्यान अपनी ओर खींचा। प्रतिभागियों ने सुखार पडऩे के बाद झिझिया नृत्य के माध्यम से ईश्वर को मनाने के लिए खेती-किसानी की दशा का वर्णन किया। लोगों ने इसकी खूब सराहना की। मधुबनी से आए प्रतिभागियों ने चौसा झूमर की प्रस्तुति दी। अपनी प्रस्तुति के समापन के दौरान मिथिला में राम खेलथि होरीसामा चकेबा से ऐसा समां बांधा कि सभी सभी झूम उठे। बक्सर, सारण, भागलपुर के प्रतिभागियों ने भी प्रस्तुतियों से आयोजन में चार चांद लगा दिए। मधेपुरा के प्रतिभागियों ने डोमकच नृत्य की प्रस्तुत कर सबको मोहित किया।
एक समय पर अलग-अलग आयोजन से बीच-बीच में लेना पड़ा ब्रेक
राज्यस्तरीय कला उत्सव का आयोजन सात स्थलों पर किया गया। ऐसे में एक ही समय पर मुजफ्फरपुर क्लब, नगर भवन, जिला परिषद सभागार, आम्रपाली आडीटोरियम, आरडीएस कालेज, एमआइटी सभागार और एलएस कालेज में आयोजन चल रहे थे। ऐसे में एक टीम की प्रस्तुति के बाद घंटों तक दूसरी प्रस्तुति के लिए इंतजार करना पड़ रहा था। आधी-अधूरी टीम पहुंची थी तो उसी टीम के कुछ सदस्य दूसरी प्रतियोगिता में भाग ले रहे थे।
इससे पहले पूर्व मंत्री व औराई के विधायक रामसूरत राय, गायघाट विधायक निरंजन राय, कला-संस्कृति एवं युवा विभाग की सचिव वंदना प्रेयसी व जिला पदाधिकारी प्रणव कुमार ने संयुक्त रूप से कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कार्यकम का संचालन गोपाल फलक व सोमा चक्रवर्ती ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डीडीसी आशुतोष द्विवेदी ने किया। मौके पर प्रशिक्षु आइएस सारा अशरफ, निदेशक कला संस्कृति वीरेंद्र कुमार, अपर समाहर्ता संजीव कुमार, वरीय उप समाहर्ता शारंग मणि पांडेय समेत विभिन्न विभागों के अधिकारी मौजूद थे।