पटना (ब्यूरो)। मखाना को मिथिला मखाना नाम से जीआई टैग मिलने की सूचना से मिथलांचल के लोगों में काफी हर्ष है। शनिवार को सोशल मीडिया पर पीयुष गोयल ने ट्विट कर लिखा कि जीआई टेग से पंजिकृत हुआ मिथिला मखान, किसानों को मिलेगा लाभ और आसान होगा कमाना। त्योहारी सीजन में मिथिला मखाना को जीआई टैग मिलने से बिहार के बाहर भी लोग श्रद्धा भाव से इस शुभ सामग्री का प्रयोग कर पाएंगे। इस खबर का मिथिला के लोगों को लंबे समय से इंतजार था। सामाजिक कार्यकर्ता रजनीकांत पाठक ने बताया कि इस संबंध में गत आठ नवंबर को ऑनलाइन बैठक हुई थी। बैठक के बाद मुझे लगने लगा था कि मखाना को जीआई टैग मिलने की घोषणा किसी भी दिन हो सकती है। अब आधिकारिक रूप से इसकी घोषणा कर दी गयी है। इस कड़ी में अनुप मैथिल, आदित्य मोहन ने कहा कि मिथिला मखाना नाम से जीआई टैग मिलने से मिथिला क्षेत्र के मखाना उत्पादकों और व्यवसायियों को काफी फायदा होगा।

-मिथलांचल के लोग थे सक्रिय
मखाना को जीआई टैग दिलाने के लिए दरभंगा जिले से भी जोरदार आवाज उठी थी। स्थानीय मखाना उत्पादकों के अलावा जनप्रतिनिधियों ने इसे लेकर जोरदार आवाज उठायी थी। इनका कहना था कि मखाना का 90 प्रतिशत उत्पादन मिथिला क्षेत्र में होता है इसलिए इसका जीआई टैग मिथिला मखान नाम से होना चाहिए। इस संबंध में विधायक नीतीश मिश्रा ने कहा कि जीआई टैग की घोषणा से अब सभी तरह के संशय दूर हो गए हैं। अब पूरे विश्व में जहां भी मखाना जाएगा, वहां मिथिला का नाम रहेगा। मिथिला के लोगों के लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि है। जीआई टैग मिलने से मखाना पर मिथिला का जो एकाधिकार था, वह कायम रह गया है।

-इन उत्पादों को मिल चुका है जीआई टैग
इस टैग को पाने वाले प्रसिद्ध सामानों में भागलपुर का जर्दालु आम, कतरनी चावल, नवादा के मगही पान,सिलाव को खाजा और मुजफ्फरपुर के शाही लीची को जीआइ टैग मिल चुका है।


किसने दिलाया जीआई टेग
मिथिला मखान के ज्योग्राफि़कल इंडिकेशन के लिए सामाजिक कार्यकर्ता रजनीकांत पाठक ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, देश के गृह मंत्री अमित शाह सहित कृषि मंत्री व उद्योग मंत्री को साल 2020 में ही पत्र के साथ मखान भेजा था। उन्होंने मिथिला मखान के नाम से ज्योग्राफि़कल इंडिकेशन की मांग रखी थी। सर्वविदित है कि बिहार की मिठाइयों में सिलाव का खाजा पहली मिठाई है। इसे भारत सरकार की एजेंसी ने जीआई टैग की मान्यता दी है। भारत सरकार ने नवादा के मगही पान को जीआई टैग (ज्योग्राफिकल इंडिकेशन) दिया है। सरकार ने अपने जीआई जर्नल में भागलपुर के कतरनी चावल, जर्दालु आम और मगही पान को राज्य के बौद्धिक संपदा अधिकार के तहत रखा है।

- 90 फीसदी बिहार में होता है उत्पादन
एक आंकड़ें के अनुसार प्रतिवर्ष लगभग 120,000 टन बीज मखाने का उत्पादन होता है, जिससे 40,000 टन मखाने का लावा प्राप्त होता है। बिहार के मिथिलांचल में बड़े स्तर पर इसकी खेती होती है। मिथिलांचल में मधुबनी और दरभंगा, सहरसा, पुर्णिया, मधेपुरा, कटिहार जिले शामिल हैं के अलावा बेगुसराय के उतरी इलाके में भी खेती शुरू हुई है।