पटना ब्‍यूरो। देवोत्थान एकादशी के दिन मंगलवार को महावीर मन्दिर में भगवान् शालीग्राम का पूरे विधि-विधान से पूजन हुआ। ईंख के मंडप में विराजमान शालीग्राम भगवान का वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पहले गंगाजल से, उसके बाद पंचामृत से अभिषेक हुआ। विगत चार महीने से योगनिद्रा में लीन जगतपति की माता लक्ष्मी संग भक्तिपूर्वक आराधना की गयी। लक्ष्मीनारायण के पूजन के बाद भगवान् शालीग्राम समेत ईंख के मंडप को तीन बार उठाया गया। उतिष्ठ-उतिष्ठ गोविन्द के उच्चारण के साथ जगत पालनहार को योगनिद्रा से जगाया गया।

-धनिया से तैयार पंजीरी और मखाना का भोग लगाया गया.
भगवान को जगाने के बाद लक्ष्मीनारायण की आरती हुई। इस अवसर पर भगवान् को धनिया से तैयार पंजीरी और मखाना का भोग लगाया गया। आरती के बाद उपस्थित भक्तों के बीच प्रसाद का वितरण किया गया। महावीर मन्दिर की पत्रिका धर्मायण के संपादक पंडित भवनाथ झा ने बताया कि कार्तिक शुक्ल एकादशी को देवोत्थान एकादशी के दिन भगवान् विष्णु की माता लक्ष्मी संग पूजन किया जाता है। यानी इस अवसर पर लक्ष्मी नारायण का पूजन होता है.
-आज से शुरू हुए शुभ कार्य महावीर मन्दिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने कहा कि 17 जुलाई को आषाढ़ शुक्ल एकादशी तिथि को भगवान् विष्णु चार महीने की योगनिद्रा में चले गये थे। देवोत्थान एकादशी के दिन भगवान् विष्णु के योगनिद्रा से जगते ही संपूर्ण शुभ कार्य प्रारंभ हो गये। मंगलवार को महावीर मन्दिर के दक्षिण पूर्वी भाग में स्थित सत्यनारायण भगवान की प्रतिमा के समक्ष पूजन कार्यक्रम हुआ। इस अवसर पर देवोत्थान एकादशी का व्रत रखनेवाले श्रद्धालु भी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।