डीलर्स द्वारा ली जाने वाली रजिस्ट्रेशन फीस को लेकर हमने काफी देर तक माथा-पच्ची की कि ये किस अमाउंट पर और कितना परसेंट टैक्स ले रहे हैं। लेकिन जवाब नहीं मिल सका। पूछने पर टका-सा जवाब यही मिला कि आप चाहें तो खुद रजिस्ट्रेशन करवा लें.
पेंच बताकर अधिक चार्ज करते हैं
डीलर्स कस्टमर के साथ साइकोलॉजिकल गेम खेलते हैं। पहले तो खुद रजिस्ट्रेशन करवा लेने की नसीहत देते हैं। इसके बाद उसमें से एक स्टाफ डीटीओ ऑफिस का पेंच बताने लगता है। लोगों को इस कदर डरा दिया जाता है कि वे डीटीओ के ऑफिस से निजात पाने के लिए डीलर्स द्वारा मांगी गई रजिस्ट्रेशन फीस देने को तैयार हो जाते हैं। फिर जहां लाखों की खरीद हो रही हो, वहां पांच-सात हजार रुपयों पर लोगों का ध्यान नहीं जाता। डीलर्स इसका खूब फायदा उठा रहे हैं।
कहां जा रहा यह पैसा
कंज्यूमर से रजिस्ट्रेशन फीस के नाम पर लिया जानेवाला अधिक पैसा आखिरकार कहां जा रहा है। इसको लेकर डीटीओ तो साफ इनकार कर रहे हैं। डीटीओ ने कहा कि अपनी ओर से डीलर को यह निर्देश दिया गया है कि वे रजिस्ट्रेशन के नाम पर जो पैसा लेते हैं, उसकी डिटेल्स एक फॉर्म फिलअप करवा कर डीटीओ ऑफिस को जमा करेंगे। डीटीओ ऑफिस के खाते में तो वही रकम आती है।
लाखों की अवैध वसूली
टू व्हीलर शो रूम से अमूमन एक दिन में 40 से 50 गाडिय़ों की बुकिंग होती है। एक गाड़ी की बुकिंग पर आठ सौ से लेकर 1500 रुपए तक रजिस्ट्रेशन फीस के रूप में अधिक लिया जा रहा है। यह स्थिति तो सामान्य दिनों की है। पीक सीजन में एक शो रूम से 150 बाइक तक की बुकिंग होती है। यदि बात फोर व्हीलर शो रूम की करें, तब यहां भी हर दिन एवरेज 15-20 कारों की बुकिंग हो रही है। एक कार की बुकिंग पर तीन हजार से लेकर आठ हजार रुपए तक का अंतर है। एक शो रूम से रजिस्ट्रेशन फीस के नाम पर एक दिन में दो-ढाई लाख रुपए की अवैध वसूली हो रही है। केवल पटना से हर महीने करोड़ों रुपए की अवैध वसूली हो रही है।
चल रहा बड़ा रैकेट
नाम न छापने की शर्त पर एक शो रूम के जेनरल मैनेजर ने बताया कि राजधानी में अधिकतर शो-रूम में यह खेल चल रहा है। शायद ही कोई ऐसा शो रूम हो, जहां शो-रूम प्राइस का पांच परसेंट ही रजिस्ट्रेशन के रूप में लिया जा रहा हो। हालांकि उनका दावा है कि वे ऐसा नहीं करते। वो कॉस्ट ऑफ व्हीकल के आधार पर ही पांच परसेंट की रजिस्ट्रेशन फीस कस्टमर से ले रहे हैं। फिर भी वो खुलकर विरोध नहीं करना चाह रहे हैं।
सब हैं शामिल
अवैध वसूली का यह खेल किसी एक शो रूम में नहीं चल रहा। बल्कि यह खेल टू व्हीलर्स से लेकर फोर व्हीलर्स तक और अधिकतर कंपनियों के शो रूम में चल रहा है। इसमें यदि एक कंपनी शामिल होती, तो उसका नाम दिया जा सकता था। लेकिन यहां तो डिस्ट्रिक्ट ट्रांसपोर्ट ऑफिस के लोगों की भी भागीदारी है। यह तो जंाच के बाद ही पता चल पाएगा कि इस लूट की रकम में से किसको कितना हिस्सा मिल रहा है। आखिर डीटीओ ऑफिस, डीलर्स और दलाल सबों को इसमें से उनका हिस्सा मिल रहा है।