आपकी जान भी ले सकता है

टेटवैक की लापरवाही का असर सीधे आपकी लाइफ से जुड़ी होती है, मतलब यह आपकी जान भी ले सकता है। इस खतरनाक सच का खुलासा ड्रग्स डिपार्टमेंट के 'ऑपरेशन पी' से हुआ। 'ऑपरेशन पी' यानी ऑपरेशन पटना में शहर में ड्रग्स की सप्लाय तथा स्टॉक से लेकर उसके शॉप तक की चेकिंग की जानी है।

आपके लिए इफेक्टिव नहीं हो सकता

इस दौरान कई गोदाम में हुई छापेमारी के बाद पता चला कि टेटवैक को सप्लायर किस तरह से बेतरतीब होकर रखते हैं। उसके अंदर का बैक्टीरिया पूरी तरह से खत्म हो चुका है, जो कभी भी बॉडी के लिए इफेक्टिव हो ही नहीं सकता। इसकी कीमत करोड़ों रुपए आंकी गई है। सबसे बड़ी बात है कि इसका लोग सीधे यूज कर रहे हैं और मेडिकल शॉप तक में कोई चेकिंग प्वाइंट नहीं है। कई मेडिकल शॉप में तो फिर से उसे फ्रिज में रख दिया जाता है, जबकि डॉक्टर्स का मानना है कि फैक्ट्री से लेकर पेशेंट को लगने तक इसका टेंपरेचर 2 से 8 डिग्री के बीच रहनी चाहिए।

जन्म के बाद संभल कर दें इंजेक्शन

चाइल्ड स्पेशलिस्ट भी मानते हैं कि अचानक से बच्चे की मौत का सही से पता तो चल नहीं पाता है, पर कई बार मेडिसिन और इंजेक्शन पडऩे के बाद भी बच्चे की मौत हो जाती है। फिलहाल आंकड़ा तो यह बताता है कि जन्म के बाद जच्चे-बच्चे की मौत की दस परसेंट तक जिम्मेवार टेटवैक इंजेक्शन ही है, पर इस ओर किसी का ध्यान नहीं जाता। चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ। एके ठाकुर ने बताया कि इस तरह के ड्रग्स का कोल्ड चेन तो हर हालत में मेनटेन होना चाहिए, अगर नहीं हो रहा है, तो यह बहुत खतरनाक है।

हर वैक्सीन का चेन हो कंट्रोल

ड्रग्स कंट्रोलर हेमंत कुमार सिन्हा ने बताया कि पूरे स्टेट में इस तरह की छापेमारी हो रही है। हर वैक्सीन या सिरम का टेंपरेचर कंट्रोल होना चाहिए। इस दौरान लापरवाही होती है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। वहीं, ड्रग्स इंसपेक्टर डॉ। सच्चिदानंद विक्रांत बताते हैं कि टेटवैक, एआरवी, एटीएस जैसी दवाएं शिड्यूल सी की ड्रग्स हैं और शिड्यूल पी के तहत इसका कोल्ड चेन मेनटेन होना होता है। जो शिड्यूल पी के तहत नहीं करते हैं, वो वैक्सीन या सिरम जानलेवा बन जाता है। शिड्यूल पी के तहत यह छापेमारी हो रही है, इसलिए इसका नाम 'ऑपरेशन पी' रखा गया है।

जले-कटे में काफी जरूरी

ऑपरेशन से पहले यह हर पेशेंट को लगाया जाता है। इसके अलावा जलने, कटने के बाद भी यह प्राइमरी ड्रग्स है, जिसका यूज किया जाता है। अगर लापरवाही बरती गई, तो जानलेवा साबित हो सकता है। इमरजेंसी या ऑपरेशन के दौरान गलत इंजेक्शन पडऩे से भी प्रॉब्लम हो सकती है।

'ऑपरेशन पी' का मकसद

पटना सहित आसपास के एरिया में 'ऑपरेशन पी' के तहत वैक्सीन, सिरम और दवाओं की चेकिंग की जाती है। इसमें देखा जाता है कि कोल्ड चेन कितना मेनटेन होता है। कोई भी ड्रग्स तभी इफेक्टेड होता है, जब उसका कोल्ड चेन प्रॉपर वे में मेनटेन हो। बच्चों को दी जाने वाली कई सारी वैक्सीन कोल्ड चेन की वजह से ही इफेक्टिव रहती है।

टिटनेस के लक्षण

बॉडी के हर पाट्र्स में अकडऩ।

बॉडी धनुष की तरह हो जाना।

फीवर और सिर में तेज दर्द।

पीडि़त पूरे होश में रहता है।

मोटेलिटी रेट काफी हाई होता है।

For your information

इंजेक्शन लेने से पहले रूम टेंपरेचर की जानकारी लें।

रूम टेंपरेचर के हिसाब से ही वैक्सीन का यूज करें।

 लाइफ सेविंग ड्रग्स से लेकर नॉर्मल ड्रग्स तक का कोल्ड चेन मेनटेन रखें।

वैक्सीन लेने से पहले पर्चा जरूर ले लें।  

बच्चों के मामले में लापरवाही नहीं

चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ। किरण शरण की मानें, तो इसे जन्म के टाइम से लेकर जन्म के छठे सप्ताह में और लगातार तीन महीने, इसके बाद डेढ़ साल पर, फिर तीन से चार साल पर, इसके बाद पांच साल तक देना चाहिए। पांच साल के बाद अगर कहीं कट-फट जाता है, तो दिलवाना चाहिए। जब भी लें, 8 डिग्री टेंपरेचर मेनटेन रहनी चाहिए। इसके अलावा बच्चों में बीसीजी, ईसीजी-ओरल पोलियो और हेपेटाइटिस सहित पडऩे वाले तमाम वैक्सीन टेंपरेचर मेनटेन के बाद ही देनी चाहिए।

छापेमारी के दौरान पांच से दस करोड़ की वैक्सीन पाई गई, जो अपने आप में हैरत करने वाला है। इसमें टेटवैक और नारकोटिक्स ड्रग्स शामिल है। इन ड्रग्स का कोल्ड चेन मेनटेन नहीं होने पर ही कार्रवाई की जा रही है।

डॉ। सच्चिदानंद विक्रांत

ड्रग्स इंस्पेक्टर