-सीएम ने पीएम को पत्र लिख स्थिति की भयावहता बताई

PATNA: संडे को सीएम नीतीश कुमार ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा। जिसमें अनुरोध किया है कि इंटरनेट के माध्यम से उपलब्ध स्ट्रीमिंग सर्विसेज पर सेंसरशिप लगाया जाए। पिछले वर्ष दिसंबर में भी सीएम ने पीएम को पत्र लिख पोर्न साइट्स पर प्रतिबंध लगाने का निवेदन किया था। सीएम ने पत्र में कहा है कि वर्तमान में कई सेवा प्रदाता अपनी-अपनी स्ट्रीमिंग सर्विसेज के माध्यम से कस्टमर्स को विभिन्न कार्यक्रम, फिल्म और धारावाहिक दिखा रहे हैं। स्ट्रीमिंग सर्विसेज पर सेंसरशिप लागू नहीं होने से वहां अत्यधिक आपराधिक घटनाओं और सेक्स का खुला प्रदर्शन दिखाया जाता है। ये कार्यक्रम किसी अन्य माध्यम से उपलब्ध नहीं होते हैं। केवल स्ट्रीमिंग सर्विसेज के माध्यम से ही उपभोक्ताओं को सीधे उपलब्ध हैं। इन पर जो कार्यक्रम आते हैं उन पर नियमों और कानून की अस्पष्टता होने के कारण न तो सेंसरशिप लागू होता है और न ही किसी प्रकार के विज्ञापन आते हैं। ये सेवाएं ऑनलाइन वीडियो लाइब्रेरी के रूप में काम करती है।

हिंसक कंटेंट देख रहे लोग

सीएम ने लिखा है कि स्ट्रीमिंग सर्विसेज की लोगों तक बिना सेंसर के पहुंच के कारण बहुत से लोग अश्लील, ¨हसक और अनुचित कंटेंट देख रहे हैं। इस कारण सामाजिक समस्याएं उत्पन्न हो रही है। विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराध में वृद्धि हो रही है। इस तरह की अनुचित सामग्री की असीमित उपलब्धता उचित नहीं। इसलिए इन पर कार्रवाई आवश्यक है। ऐसे कार्यक्रमों के निर्माण एवं प्रसारण को अपराध मानते हुए इन पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है। विभिन्न हितधारकों जैसे अभिभावकों, शैक्षणिक संस्थानों एवं गैर सरकारी संगठनों के सहयोग से व्यापक जागरूकता अभियान चलाना भी आवश्यक है।

लाना होगा प्रमाणीकरण के दायरे में

सीएम ने कहा कि सिनेमैटोग्राफ एक्ट-1852 की धारा -3 के अनुसार फिल्मों के सार्वजनिक प्रदर्शन के प्रमाणीकरण के लिए सेंट्रल बोर्ड ऑफ सर्टिफिकेशन (सीबीएफसी) के गठन का प्रावधान है। परंतु इस अधिनियम में पब्लिक एग्जीबिशन को परिभाषित नहीं किया गया है। इस कारण यह स्पष्ट नहीं है कि प्रमाणीकरण की आवश्यकता केवल सिनेमा हॉल में दिखाए जाने वाले कार्यक्रमों के लिए है या यह घर में देखे जाने वाले कार्यक्रमों पर भी लागू होता है। स्ट्रीमिंग सर्विसेस के माध्यम से प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों को भी सिनेमैटोग्राफ एक्ट के अंतर्गत प्रमाणीकरण की परिधि में लाने की कार्रवाई जरूरी है।