-शहर के तमाम घाटों पर आस्था का उमड़ा रहा सैलाब
-55 गंगा घाटों पर उमड़ा आस्था का सैलाब, दिनकर की हुई आराधना
PATNA
: शनिवार की शाम अस्ताचलगामी व रविवार की सुबह उगते सूर्य को अर्ध्य देने के साथ ही चार दिवसीय पावन पर्व छठ शांतिपूर्ण माहौल में सम्पन्न हो गया। कार्तिक शुक्ल पक्ष की पष्ठी व सप्तमी पर पटना के दानापुर में गंगा घाट से लेकर दीदारगंज के बीच सभी गंगा घाटों पर उल्लास का माहौल दिखा। दीपों की पवित्र ज्योति के साथ पारंपरिक गीत गाती महिलाएं गंगा घाट पहुंचीं। पुरुष व महिला व्रतियों ने संध्या वंदन व सूर्योदय वंदन के साथ गंगा के ठंडे पानी में खड़े हो आस्था के अंजुरी से सूर्य देवता को अर्घ्य दिया। गंगा तट पर मौजूद लाखों श्रद्धालु इस अविस्मरणीय क्षण के गवाह बने। खास बात यह भी कि लाखों की भीड़ में सभी धर्म व समाज के लोग शामिल थे। सूर्य साधकों एवं साधिकाओं ने शहर भर में जगह-जगह छठ पर्व की छटा बिखेरी। निर्जल उपवास किये व्रतियों ने घंटों कमर भर गंगा व कृत्रिम तालाब के पानी में खड़े रहकर सूर्य को अर्घ्य दिया। इस दौरान सड़कों व घाटों पर परस्पर सहयोग व प्रेम का अद्भुत नजारा दिखा। बिना किसी वैदिक मंत्र और किसी कर्मकांड के मनाए जाने वाले लोक आस्था के इस पर्व के मौके पर लाखों व्रतधारियों ने फल और कंद मूल से अस्ताचलगामी व उगते सूर्य को अर्घ्य दिया।
सूर्य की दोनों शक्तियां ऊषा व प्रत्युषा की आराधना
बजरंगपुरी शिव मंदिर के पुजारी आचार्य अवध किशोर पांडे बताते हैं कि हिन्दू धर्म के देवताओं में सूर्य ऐसे देवता हैं जिन्हें मूर्त रूप से देखा जा सकता है। सूर्य की शक्तियों का मुख्य स्त्रोत उनकी पत्नी ऊषा और प्रत्यूषा है। छठ में सूर्य के साथ-साथ दोनों शक्तियों की संयुक्त आराधना होती है। प्रात:काल में सूर्य की पहली किरण (ऊषा) और सायंकाल में सूर्य की अंतिम किरण (प्रत्यूषा) को अर्घ्य देकर दोनों को नमन किया जाता है। भगवान सूर्य की आराधना करने वाला व्यक्ति ओजस्वी, तेजस्वी, समृद्धिवान तथा शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने वाला होता है।
रोशनी में नहाये घाट, मिटा दिन-रात का फर्क
घाट व सड़कों पर श्रद्धालुओं की भीड़ को व्यवस्थित करने, रोशनी, सफाई व्यवस्था के साथ व्रतियों की सेवा एवं सुविधा का ध्यान रखने में सामाजिक संगठनों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दउरा ले जाने के पूर्व सड़कों की सफाई व धुलाई की गई। अशोक राजपथ एवं घाट जाने वाले सभी सम्पर्क पथों को रंगीन बल्बों व झालरों से इस तरह सजाया गया था कि दिन-रात का फर्क ही मिट गया। गंगा किनारे घाटों पर शनिवार की दोपहर करीब तीन बजे से ही अर्घ्य देने के लिए श्रद्धालुओं का आना प्रारंभ हो गया। रविवार की सुबह में अर्घ्य देने के लिये श्रद्धालु तीन बजे भोर से ही गंगा घाटों की ओर जाते दिखे।
घाटों पर सुरक्षा का किया गया था पुख्ता बंदोबस्त
छठ जैसे पावन पर्व को लेकर जिला व पुलिस प्रशासन पूरी तरह से अलर्ट थे। शहर व ग्रामीण क्षेत्रों के तमाम घाटों पर दंडाधिकारी के साथ पुलिस पदाधिकारी व बलों की पर्याप्त संख्या बल में तैनाती की गई थी। पुलिस बलों के साथ महिला कांस्टेबल भी जगह-जगह तैनात किए गए थे। प्रशासन की चुस्त व्यवस्था के कारण आस्था का यह पर्व शांतिपूर्ण माहौल में सम्पन्न हो गया। व्रतियों की सुरक्षा में महिला -पुरूष जवान नदी घाट से लेकर सड़क पर तैनात थे, ताकि व्रतियों को किसी प्रकार की असुविधा न हो सके। नदी पर व्रतियों के दउरा रखने की व्यवस्था से लेकर गाडि़यों की पार्किग व सड़कों पर विधि व्यवस्था चुस्त -दुस्त करने में जवान तैनात थे।
सबसे अधिक भीड़ वाला घाट रहा गायघाट, सेतु से दिखा नजारा
शहर के सभी घाटों में छठ पर्व पर गायघाट आदर्श बना रहा। जिला एवं अनुमंडल प्रशासन इस घाट की व्यवस्था को लेकर पूरी तरह चौकस था। इस घाट पर कंट्रोल रूम, चें¨जग रूम, बाथरूम, पेयजल, चिकित्सा सेवा,श्रद्धालुओं के ठहरने और बैठने तक की व्यवस्था की गई थी। पुलिस व प्रशासन के सभी आला अधिकारी सुबह शाम में यहां अपनी उपस्थिति सुनिश्चित कर रहे थे। सेतु पर खड़े लोगों ने सूर्य को प्रणाम कर छठ पर्व का नजारा लिया। इस घाट पर अशोक राजपथ के रास्ते गांधी मैदान व दीदारगंज की ओर तथा ओल्ड व न्यू बाइपास के रास्ते ग्रामीण इलाकों, कंकड़बाग, राजेन्द्र नगर, कुम्हरार आदि क्षेत्रों, गांधी सेतु के रास्ते उत्तर बिहार से भी छठव्रति व श्रद्धालु पहुंचे थे। अशोक राजपथ पर निगम के टैंकर से जल छिड़काव किया गया। पश्चिम दरवाजा से गायघाट तक चले सफाई अभियान में दर्जनों स्वयंसेवी संस्थानों के सदस्यों का योगदान रहा। अशोक राजपथ पूरा साफ लग रहा था। आलमगंज थाना के समीप मोहम्मद फैयाज काजमी सड़क सफाई में तत्पर दिखे।
कंगन घाट पर उमड़े श्रद्धालु, सिख परिवारों ने भी किया नमन
विश्व में दूसरे बड़े तख्त श्री हरि मंदिर जी पटना साहिब के ठीक सामने में उत्तर का रास्ता कंगन घाट छठ व्रतियों एवं श्रद्धालुओं से पटा रहा। कंगन घाट पर स्थानीय सिख परिवार तथा बाहर से आये सिख श्रद्धालुओं ने भी छठ की पवित्रता एवं गरिमा को नजदीक से देखा। कई सिख श्रद्धालु पूजन में शामिल हुए। मां गंगा को हाथ जोड़ कर नमन किया। कंगन घाट पर दशमेश गुरु श्री गुरु गो¨वद सिंह जी महाराज ने बचपन में खेलने आते थे। जिसे देखो वही कंगन घाट जा रहा था। प्रशासन, निगम व स्थानीय पार्षद ने कंगन घाट को खूबसूरत बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। व्यवस्थित ढंग से तैयार किये गए इस घाट पर लोगों की भीड़ दिखी। चौक पुलिस तथा सामाजिक संगठनों को भीड़ नियंत्रित करने में काफी परेशानी हुई। तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब प्रबंधक समिति की ओर श्रद्धालुओं के लिए चौक थाना तथा कंगन घाट मोड़ पर शिविर लगाया गया था।
तमाम घाटों पर दो से तीन चें¨जग रूम बनाए गए थे
छठव्रती माताओं के वस्त्र बदलने के लिए प्रशासन, नगर निगम व पूजा समिति की ओर से शहरी क्षेत्र के तमाम घाटों पर वस्त्र बदलने के लिए दो से तीन चें¨जग रूम बनाए गए थे। ताकि छठव्रती माताओं को किसी प्रकार की परेशानी न हो।
नदी घाटों पर मेले जैसा ²श्य
छठ पूजा में गंगा घाटों पर मेले जैसा ²श्य नजर आ रहा था। वहां चाट -पकौड़ी समेत खिलौनें की दुकानें सज गयी थी। नदी घाटों पर दूर -दूर तक सिर्फ लोग ही दिखायी दे रहे थे। आम से लेकर खास तक सभी नदी घाटों पर छठी मईया व भगवान सूर्य की आराधना में डूबे हुये थे।
सोशल साइट पर भी छाया रहा छठ
छठ महापर्व की धमक सोशल साइट पर साफ दिखी। लोग नहाय -खाय के एक सप्ताह पहले से ही एडवांस बधाई एवं छठ कैसे व और क्यों मनाया जाता है। इसके अलावा बधाई संदेश का फोटो व वीडियो लोगों ने खूब -एक दूसरे को भेजा।
सेल्फी लेने का दिखा क्रेज
छठ पूजा में लोगों में सेल्फी लेने का जबरदस्त क्रेज दिखा। युवक -युवतियों च्े साथ ही बूढ़े एवं बच्चों ने खूब सेल्फी लिया। घाट पर उतर कर एवं समूह में एक साथ बैठकर लोगों ने सेल्फी लिया और उसे अपने एफबी में अपलोड किया। शनिवार की शाम होते ही छठ घाटों पर उमड़ी भीड़ ने रंग-बिरंगी लाइट से सजे डाला छठ की निखरी छटा को अपने कैमरे के कैद करने को लेकर उत्साह में दिखे। व्रतियों के साथ सेल्फी लेने को लेकर होड़ मची रही। वही विभिन्न छठ घाटों पर पहुंचे दूर-दराज से पहुंचे लोग डूबते व उगते सूर्य को अर्ध्य देते श्रद्धालुओं की सेल्फी लेते दिखे। ढोल-नगाड़ों के साथ दउरा लेकर छठ घाट जा रहे श्रद्धालुओं की तस्वीर लेने को लेकर भी लोगों के बीच होड़ मची रही।