पटना ब्‍यूरो। तेज धूप और टेंप्रेचर बढऩे से एईएस यानी चमकी बुखार फिर से पैर पसारने लगी है। बिहार में चमकी बुखार से पीडि़त मरीजों की संख्या बढ़कर 18 हो गई है। पटना एनएमसीएच को नोडल अस्पताल के रूप में बनाया गया है, जहां 10 बेड मरीजों के लिए सुरक्षित है। पिछले माह चमकी बुखार से पीडि़त एक बच्चे की मौत भी हुई थी। डॉक्टरों ने बताया कि धूप में कमजोर इम्युनिटी और कुपोषित बच्चे इसकी चपेट में आ रहे हैं। इसलिए आपके घर में भी इस तरह के बच्चे हैं तो धूप में बाहर न जाने दें। पढि़ए रिपोर्ट

15 साल तक के बच्चे इसकी चपेट में
शिशु रोग विशेषज्ञों की माने तो गर्मी में चमकी बुखार तेजी से फैलता है। पिछले दो दिनों में चमकी बुखार से पीडि़त तीन बच्चों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जिन बच्चों में चमकी बुखार की पुष्टि हुई है, वो मुजफ्फरपुर शहर के अलावा गोपालगंज और मोतिहारी जिले के रहने वाले हैं। डॉक्टरों ने बताया कि ये बीमारी 15 साल तक के बच्चों को अपनी चपेट में लेती है, जिसमें अधिकांश बच्चों के इम्युनिटी कमजोर या कुपोषित होते हैं।

मस्तिष्क ज्वर या एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम से भी प्रचलित
डॉक्टरों ने बताया कि चमकी बुखार को मस्तिष्क ज्वर या एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम या जापानी इंसेफेलाइटिस भी कहा जाता है। रात के समय इस बीमारी के लक्षण दिखने पर बच्चों को कभी भी भूखा न रहने दें। बच्चों को जगाते रहें। सुबह होते ही अस्पताल ले जाएं।

कमजोर इम्युनिटी के बच्चे होते हैं शिकार
डॉक्टरों ने बताया कि कमजोर इम्युनिटी और कुपोषण के शिकार बच्चे इस बुखार से ज्यादा प्रभावित होते हैं। खासतौर से ग्रामीण इलाके में देखा जाता है कि बच्चा अपनी मां और पिता के साथ खेत या बागान में चला जाता है। ज्यादातर लोग मजदूर होते हैं, तो वहां पर बच्चा सड़ा-गला फल खा लेता है। इन सब के कारण वह बच्चा चमकी बुखार की चपेट में आ जाता है। डॉक्टरों की माने तो गर्मी के मौसम में बच्चों की उचित देखभाल शुरू कर देना चाहिए। उनकी मानें तो बच्चे को तीन से चार बार खाना खिलाना चाहिए, नियमित अंतराल पर पानी पिलाना चाहिए, तेज धूप में बाहर जाने से रोकना चाहिए और सड़ा-गला मौसमी फल नहीं खाने देना चाहिए।

अब तक 18 बच्चों को ले चुका है चपेट में
प्रदेश में अब तक 18 बच्चों में चमकी बुखार की पुष्टि हुई। चमकी बुखार से पीडि़त जिन बच्चों की पहचान हुई है, उनमें मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, मोतिहारी आदि जिले के बच्चे हैं

पटना में हर दिन मिल रहे हैं सस्पेक्टेड पेशेंट
पटना सिटी स्थित नालंदा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पीटल के सुपरिटेंडेंट डॉ। अल्का सिंह ने बताया कि एईएएस पॉजिटिव पिछले कुछ दिनों से नहीं मिले हैं। मगर सस्पेक्टेड बच्चे इलाज के लिए हर दिन अस्पताल में पहुंच रहे हैं जिन्हें जांच पड़ताल के बाद छुट्टी दे दिया जाता है। उन्होंने बताया कि चमकी बुखार बहुत खतरानक बुखार है। पटना में लगतार बढ़ रहे गर्मी के बीच बच्चों को इस धूप से बचाने की आवश्यकता है तभी बीमारी पर नियंत्रण पा सकते हैं।

चमकी बुखार के लक्षण
-चमकी बुखार में बच्चे को लगातार तेज बुखार रहता है
-बदन में ऐंठन होती है
-बच्चे दांत पर दांत चढ़ाए रहते हैं
- कमजोरी की वजह से बच्चा बार-बार बेहोश होता है।

-चमकी बुखार होने पर क्या न करें
1.बच्चे को खाली पेट लीची न खिलायें
2.अधपके अथवा कच्ची लीची को खाने दें
3.बच्चे को कंबल अथवा गर्म कपड़ों में न लपेटें
4. बच्चे की नाक न बंद करें
5. बच्चे की गर्दन झुकाकर न रखें
6. मरीज के बिस्तर पर न बैठे साथ ही ध्यान रखें की मरीज के पास शोरगुल न हो।

सामान्य उपचार
1. बच्चे को धूप में जाने से बचाएं
2. बच्चों को दिन में दो बार स्नान कराएं
3.गर्मी के दिनों में बच्चों को ओआरएस अथवा नींबू-पानी-चीनी का घोल पिलाएं
4.रात में बच्चों को भरपेट खाना खिलाकर ही सुलाएं
5. रात में बीमारी बढऩे पर बच्चे को बार-बार जगाते रहें
6. जितना जल्दी हो सके योग्य चिकित्सकों से इलाज कराएं


अस्पताल में अभी एईएस के पॉजिटिव पेशेंट नहीं है। अस्पताल में 10 बेड रिजर्व हैं। सस्पेक्टेड मरीज अक्सर मिलते रहते हैं। इस बीमारी से बचने के लिए गर्मी से बचना अतिआवश्यक है।
- डॉ। अल्का सिंह, सुपरिटेंडेंट, नालंदा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पीटल, पटना