आयरन रहने की समस्या का निदान मार्च-2020 तक संभव

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PATNA : पेयजल में आर्सेनिक और फ्लोराइड से बिहार को मार्च, 2019 तक मुक्ति मिल जाएगी। यह बातें गुरुवार को पीसी कर लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (पीएचईडी) के मंत्री विनोद नारायण झा ने कही। उन्होंने कहा कि बड़ी आबादी आयरन युक्त पानी पीने को मजबूर हैं। लेकिन इस समस्या के निदान में थोड़ा समय लगेगा। अगले चुनाव से पहले यानी मार्च, 2020 तक इस समस्या से भी मुक्तिपा ली जाएगी। मंत्री ने कहा कि बिहार सरकार ने पिछले चुनाव में हर घर नल का जल पहुंचाने का वादा किया था। यह काम तेजी से चल रहा है। अगले चुनाव से पहले इस लक्ष्य को पूरा कर लिया जाएगा। मार्च, 2020 तक हम हर घर में शुद्ध पेयजल पहुंचाने लगेंगे। पानी की गुणवत्ता जांचने के लिए हर जिले में एक प्रयोगशाला बनाई गई है। 76 अनुमंडलों में भी इसकी स्थापना होगी।

अबतक 2979 योजनाएं स्वीकृत

पीसी में मौजूद पीएचईडी के सचिव विनय कुमार ने बताया कि आर्सेनिक की समस्या बक्सर से कहलगांव तक गंगा नदी के दोनों ओर है जबकि फ्लोराइड से दक्षिणी पहाड़ी इलाका और दरभंगा प्रभावित है। वहीं, आयरन की समस्या कोसी क्षेत्र एवं पूर्णिया कमिश्नरी में है। फ्लोराइड से प्रभावित 3,079 वार्ड चिह्नित हैं जिनमें फ्लोराइड से मुक्ति के लिए 2979 योजना स्वीकृत हो चुकी हैं। 2373 योजनाओं पर काम शुरू है और इनमें से 375 योजनाएं पूरी हो चुकी हैं। जबकि, आर्सेनिक प्रभावित 2556 चिह्नित वार्डो में 1378 योजनाओं को स्वीकृति दी जा चुकी है। अगले मार्च तक सभी योजनाओं को पूरा कर लिया जाएगा।

आयरन से 20,633 वार्ड प्रभावित

आयरन से बिहार में 20,633 वार्ड प्रभावित हैं, जहां देर से काम शुरू हुआ है। मार्च, 2020 तक आयरन की समस्या भी ख्त्म हो जाएगी। उन्होंने बताया कि शुद्ध पेयजल पहुंचाने के लिए पिछले वित्तीय वर्ष में 2,000 करोड़ रुपए और चालू वित्तीय वर्ष में 3,000 करोड़ रुपए आवंटित हैं। हर वार्ड में एक योजना चलेगी जिसपर 25 लाख रुपए खर्च होंगे। सचिव ने बताया कि इन योजनाओं की पांच साल तक देखरेख के लिए संबंधित एजेंसी से करार हुआ है। सभी योजनाओं की लाइफ 30 सालों की है, इस कारण पांच साल के बाद भी इनकी देखरेख होती रही, इसके लिए नीति बनाई जा रही है।