लोग जय-जयकार करने लगे
अन्ना जेपी चरखा समिति से निकलकर, गोविंद मित्रा रोड, अशोक राजपथ होते हुए गांधी मैदान पहुंचे थे, ठीक उसी अंदाज में जगत नारायण रोड स्थित चरखा समिति गए। वहां उन्होंने जेपी को नमन किया, फिर खुली जीप पर जेपी के रास्तों पर निकल पड़े। जैसे ही अन्ना मंच पर पहुंचे लोग उनकी जय-जयकार करने लगे। अन्ना ने मंच पर आते ही माइक थाम लिया। सबसे पहले उन्होंने 'भारत माता की जय' और 'वंदे मातरम्' से लोगों को आंदोलन के लिए प्रेरित किया।
तीन कारणों से आया हूं बिहार
उन्होंने कहा कि आप सोच रहे होंगे, मैंने बिहार को ही आंदोलन की शुरुआत के लिए क्यों चुना? भीड़ ने पूछा, क्यों? इस पर अन्ना ने कहा कि तीन कारण हैं इसके। पहला यह जेपी की कर्म भूमि है। दूसरा गांधी ने चंपारण आंदोलन की शुरुआत यहीं से की थी। तीसरा यहां बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था। ये तीनों ही किसी में भी उर्जा भरने के लिए काफी हैं। उन्होंने कहा कि देश के 6 करोड़ लोगों को भी जगा दें, तो सरकार की नाक दबाने के लिए काफी होगा। सरकार की नाक दबेगी, तो उसका मुंह अपने आप खुल जाएगा, फिर जनता के लिए जो भी काम होंगे, वह उनसे पूछने के बाद ही होंगे।
मोर्चा बनाकर लेंगे लोहा
अन्ना ने कहा कि हमने मोर्चा बनाया है। 'जनतंत्र मोर्चा'। इसमें कार्यकर्ताओं को ट्रेंड किया जाएगा। वे ग्राम सभा से लेकर संसद तक में बनने वाले रूल रेगुलेशन और जनता के लिए होने वाले कामों की दिशा तय करेंगे। किसी भी जमीन या खान को निजी हाथों में नहीं दिया जाएगा। किसानों, गरीबों की आवाज सबसे पहले सुनी जाएगी। डीजल-पेट्रोल का दाम सरकार तय करेगी। उन्होंने कहा कि करोड़पति की जयंती कभी नहीं मनाई जाती है। समाज के लिए काम करेंगे, तो जिंदा रहेंगे, वरना मर जाएंगे, इसलिए करोड़पति मत बनिए। समाज के लिए काम कीजिए। देश को मजबूत लोकपाल बिल की जरूरत है। यदि इस सत्र में बिल पास नहीं किया गया, तो एक बार फिर राम लीला मैदान में अनशन करूंगा।
सबसे पहले अनुशासित बनिए
इस मौके पर जनरल वीके सिंह ने कहा कि मैं आपको सेना की कुछ सीख दूंगा। इसके तहत सबसे पहले अनुशासित बनिए। इसके बिना बड़ा आंदोलन नहीं किया जा सकता है। आपस में जात-पात, धर्म-संप्रदाय की भावना को खत्म कर दीजिए। राष्ट्रहित में सोचिए, फिर काम कीजिए, तभी एकता से भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ पाएंगे। इस मौके पर किरण बेदी ने अपनी बुक का लोकार्पण अन्ना के हाथों करवाया। उन्होंने कहा कि इसमें भ्रष्टाचार के विरोध में हुए आंदोलन की न्यूज की कटिंग से हिस्ट्री को समेटा गया है। इस मौके पर सीनियर जर्नलिस्ट संतोष भारतीय सहित कई लोगों ने विचार व्यक्त किए।