पटना ब्यूरो। सावन शुक्ल पंचमी में शुक्रवार को हस्त नक्षत्र, सिद्ध योग एवं रवियोग के सुयोग में नाग पंचमी का पर्व मनाया गया। इस दिन सावन मास, शुक्ल पक्ष, शुक्रवार दिन, नाग पंचमी तिथि, सिद्ध योग, हस्त नक्षत्र, बव करण एवं रवियोग का उत्तम संयोग भी बना था। श्रद्धालुओं ने भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा के बाद नाग देवता को दूध, लावा, अक्षत, चंदन, फूल एवं सिंदूर से विधिवत पूजन किया। शिवालयों में जलाभिषेक को लेकर सुबह से ही शिव भक्तों का तांता लगा हुआ था। शुक्रवार को दिनभर मंदिरो में हर हर महादेव, ओम नम: शिवाय एवं बोलबम को गूंज सुनायी दे रही थी। शिव मंदिरों में नाग पंचमी को लेकर विशेष सजावट की गयी थी और संध्याकाल में भोलेनाथ का भव्य श्रृंगार पूजा भी हुआ।
-रुद्राभिषेक व नागाभिषेक की हुई पूजा
आचार्य राकेश झा ने बताया कि नाग पंचमी पर शुक्रवार को सनातन धर्मावलंबियों के घर रुद्राभिषेक, पार्थिव पूजन, महामृत्युंजय मंत्र का जाप व मंदिरों में रुद्राभिषेक के अलावे नागाभिषेक की पूजा हुई .नाग की विधिवत पूजा के बाद इनके 1008 नामों से नागाभिषेक की विशेष पूजा की गई.कालसर्प दोष से पीडि़त जातकों ने नाग पंचमी पर विशेष अनुष्ठान किया.सोमवार को नाग के 12 प्रजातियों की पूजा हुई। नाग पंचमी पर नाग की पूजा करने से भोलेनाथ जल्द प्रसन्न हो कर मनचाहा वरदान देते है। यह पर्व नागों के साथ जीवों के प्रति सम्मान, उनके संवर्धन एवं संरक्षण की प्रेरणा देता है।
-परंपरागत पद्धति से मनाया नाग पंचमी का पर्व
मिथिलांचल के श्रद्धालु नाग पंचमी पर अपने कुलदेवी एवं नाग देवता की विधि-विधान से पूजा कर खीर और महिआउर (खोरजाउर) का भोग अर्पित किया.कुलदेवी की आराधना कर उनको लाल चुनरी, श्रृंगार सामग्री, ऋतुफल, फूलमाला चढ़ाकर भजन, नचारी व लोकगीत गाने के बाद आरती उतारी। नाग-नागिन को दूध-लावा में निम्बू का रस मिलाकर चढ़ाया गया। वहीं मगध प्रांत के धर्मावलंबी शुक्रवार को घरों में नीम की पत्तियां लगाए। फिर कई प्रकार के व्यंजन, पकवान आदि बनाकर अपने इष्टदेव को भोग स्वरूप अर्पित किया। भोग में माल पुआ, खीर, दालपुरी, आम, पक्का हुआ कटहल का फल प्रमुख था।