पटना ब्यूरो। प्रदेश में बिहार इंटरमीडिएट की परीक्षाएं समाप्त हो चुकी हैैं और जल्द ही सीबीएसई व आईसीएसई 12वीं की परीक्षाएं भी समाप्त हो जाएंगी। उसके बाद कॉलेजों में एडमिशन की प्रक्रिया शुरू हो जाएंगी। एक ओर जहां कॉलेजों में एडमिशन की होड़ मच जाएगी, वहीं दूसरा पहलू यह हैं कि राजधानी के कई मुख्य कॉलेजों में स्टूडेंट्स के बैठने तक की जगह नहीं है। कई ऐसे कॉलेज हैं जिनमें एक समय में 100 प्रतिशत उपस्थिति हो जाए तो छात्र-छात्राओं के लिए बैठने की जगह नहीं मिलेगी। एक साथ पढऩे या परीक्षा लेने की स्थिति नहीं रहेगी। इसके बाद भी कॉलेज प्रशासन व शिक्षा विभाग इस दिशा में पूर्व से कोई कदम नहीं उठा रहा है। जबकि शिक्षा विभाग द्वारा स्टूडेंटस की 75 फीसदी उपस्थिति परीक्षा में बैठने के लिए अनिवार्य कर रखा है वरना परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं होगी या उनका कॉलेज से नाम तक काट दिए जाने की चेतावनी जारी कर रखी है।
इंफ्र ास्ट्रक्चर बन रही स्टूडेंट के कॅरियर में बाधा
बता दें कि जिस रफ्तार से विश्वविद्यालयों ने अपने अंतर्गत आने वाले कॉलेजों की सीटें बढ़ाई हंै। उसके मुताबिक इंफ्र ास्ट्रक्चर को नहीं बढ़ रहा है। कॉलेजों को दो या तीन शिफ्ट में चलाना पड़ता है। इतना ही नहीं एक कॉलेज पर कई अन्य विभाग निर्भर रहते हैं। ऐसे में आप समझ सकते हैं कि जब बड़े कॉलेजों की स्थिति ऐसी है तो अन्य छोटे कॉलेजों के हालात क्या होंगे।
पीयू के वाणिज्य महाविद्यालय को अपना भवन नहीं
पटना विश्वविद्यालय के वाणिज्य महाविद्यालय की बात करें तो स्थिति ऐसी है कि इस कॉलेज को अपना भवन अबतक नसीब नहीं हुआ। यह कॉलेज पटना कॉलेज के कैंपस में चल रहा है। यहां सीटें सैंक्शन होने के बाद भी उन पर नामांकन इसलिए नहीं होता, क्योंकि छात्र-छात्राओं को बैठाने की जगह नहीं है। दो-तीन कमरे में कॉलेज चलता है।
कॉलेज ऑफ कॉमर्स के एक सेक्शन में 310 बच्चे
पीपीयू के कॉलेज ऑफ कॉमर्स में 18 हजार छात्र-छात्राएं हैैं। जबकि एक साथ यहां सिर्फ 5 से 6 हजार विद्यार्थी ही पढ़ सकते हैं। इस वजह से कॉलेज दो शिफ्टों में चलता है। जाहिर सी बात है कि एक शिफ्ट में 9 हजार विद्यार्थी आ जाएं तो स्थिति क्या होगी समझा जा सकता है। इंटर में 930 छात्र हैं, लेकिन सेक्शन तीन है। यानि एक सेक्शन में 310 बच्चे। इतना बड़ा तो क्लास रूम भी नहीं है।
बीडी कॉलेज की क्षमता 3000 की
बीडी कॉलेज में 15000 छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं। यहां एक साथ सिर्फ तीन हजार छात्र-छात्राओं को बैठाने की क्षमता है। यानी पांच गुना अधिक विद्यार्थी है। कॉलेज दो शिफ्ट चलता है। अगर एक साथ 7500 छात्र-छात्राएं आ जाएं तो खड़े रहने की भी जगह नहीं बचेगी।
आरकेडी कॉलेज में 9000 स्टूडेंटस
आरकेडी कॉलेज में 9000 छात्र-छात्राएं हैं। यहां क्षमता 3 से 4 हजार छात्र-छात्राओं को बठाने की ही है। ऐसे सभी सभी छात्र एक साथ नहीं आते, इसलिए दो शिफ्ट में क्लासेज यहां चलाया जाता है। कॉलेज की जमीन पर अतिक्रमण भी है।
अरविंद महिला कॉलेज भी बदहाल
अरविंद महिला कॉलेज में 10 हजार छात्राएं पढ़ती है। जबकि इस कॉलेज की क्षमता सिर्फ 4 से 5 हजार छात्राओं की ही है। चूंकि सभी छात्राएं एक साथ नहीं आती हैं तो यहां भी दो शिफ्ट में काम चल जाता है। उधर, पटना विवि और पाटलिपुत्र विवि दोनों में ही कॉलेजों पर ही पीजी विभाग निर्भर हंै। कॉलेज के खुद के विभाग और विवि के पीजी विभाग भी यहीं चलते हैं। पीपीयू में पीजी विभाग अलग-अलग कॉलेजों में चलते हैं।
कॉलेज क्षमता एडमिशन
कॉलेज आफ कॉमर्स : 4-5 हजार 18000
बीडी कॉलेज : 3000 15000
आरकेडी कॉलेज: 4000 9000
अरविंद महिला कॉलेज: 5000 10000